दिल्ली हाई कोर्ट ने शनिवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के फिर से चुनाव पर रोक लगा दी है। जस्टिस गौरांग कांत की बेंच ने दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय द्वारा प्रस्तावित पुनर्निर्वाचन के लिए जारी नोटिस पर रोक लगा दी।
बेंच ने अपने आदेश में कहा, “ये अदालत प्रथम दृष्टया पाती है कि चुनाव कराया गया है, हालांकि अभी तक परिणाम घोषित नहीं किया गया है। नए सिरे से चुनाव कराने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।”
कोर्ट ने बीजेपी पार्षदों शिखा रॉय और कमलजीत शेरावत द्वारा दायर याचिका में उठाए गए तर्क को भी स्वीकार कर लिया है, जिसमें तर्क दिया गया था कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम मेयर को चुनाव के परिणामों को घोषित होने से रोकने की अनुमति नहीं देता है, भले ही मेयर रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में कार्य करता हो।
जस्टिस गौरांग कंठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह नोटिस नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (प्रक्रिया और कार्य संचालन) विनियम, 1997 के विनियम 51 का उल्लंघन है, क्योंकि रिटर्निग ऑफिसर या मेयर 24 फरवरी को आयोजित चुनाव के परिणामों की घोषणा किए बिना फिर से चुनाव करवा रहे हैं। कोर्ट ने पाया कि विनियम 51 के अवलोकन से यह कहीं भी परिलक्षित नहीं होता कि रिटर्निग ऑफिसर या मेयर के पास स्थायी समिति के चुनाव को शून्य और शून्य घोषित करने का अधिकार है।
हाई कोर्ट ने फिलहाल 27 फरवरी को पुनर्निर्वाचन की अधिसूचना पर रोक लगा दी है और उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मेयर शैली ओबेरॉय को याचिकाओं पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी।
कोर्ट ने आगे निर्देश दिया है कि सभी मतपत्र, चुनाव के सीसीटीवी फुटेज और सदन की कार्यवाही, और “अन्य सभी संबंधित सामग्री” तीन महीने तक नगर सचिव और महापौर द्वारा संरक्षित रखी जाएगी। बेंच ने कहा- इस मामले में अदालत को सबूतों को देखने की आवश्यकता हो सकती है।
मेयर शैली ओबेरॉय की ओर से अपने तर्क में वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और राहुल मेहरा ने तर्क दिया कि सदन में हिंसा और भाजपा पार्षदों के व्यवहार की वजह से फिर से चुनाव कराने की जरूरत पड़ी। इस बीच बीजेपी ने दावा किया कि एक दिन पहले तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा की गई गणना के आधार पर बीजेपी और आप के तीन-तीन उम्मीदवारों को एमसीडी की स्थायी समिति के सदस्यों के रूप में “निर्वाचित” किया जाना था और महापौर को इस परिणाम को स्वीकार करना चाहिए था और इसकी घोषणा करनी चाहिए थी।
दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष, वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि मेयर शैली ओबेरॉय द्वारा स्थायी समिति के छह सदस्यों का चुनाव करने के लिए फिर से चुनाव कराने का आह्वान “अलोकतांत्रिक” और “असंवैधानिक” है।
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए मेयर शैली ओबेरॉय ने कहा कि, ‘24 फरवरी को हुए चुनाव में एक वोट अवैध था लेकिन बीजेपी कहती रही कि वोट वैध है। इस वजह से मतगणना की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। अधिनियम के अनुसार, फॉर्म 4 भरने के बाद केवल पीठासीन अधिकारी ही परिणाम घोषित कर सकता है। मैंने कोई फॉर्म नहीं भरा था, इसलिए किसी और को रिजल्ट घोषित नहीं करना था’।
बता दें कि बीते दिन पार्षदों के बीच हुई हाथापाई के बाद सदन में चुनाव को टाल दिया गया था। 27 फरवरी को एक बार फिर से स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव कराने की बात कही गई थी लेकिन बीजेपी ने इसका विरोध किया और कोर्ट पहुँच गई।