कानपुर देहात के एक गांव में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान मां-बेटी के जिंदा जल जाने से मौत के बाद, पुलिस ने उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (मैथा), एक थानाध्यक्ष, चार राजस्व अधिकारियों समेत 42 लोगों के खिलाफ हत्या और अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है।
एसपी (कानपुर देहात) बीबीटीजीएस मूर्ति ने कहा कि रूरा पुलिस ने एसडीएम (मैथा) ज्ञानेश्वर प्रसाद, एसएचओ (रूरा) दिनेश गौतम, कानूनगो अशोक दीक्षित, लेखपाल अशोक सिंह, जेसीबी चालक विशाल सहित पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या एवं हत्या के प्रयास की प्राथमिकी दर्ज की है।
मंगलवार को मैथा तहसील क्षेत्र के मडौली गांव में पूरा तनाव व्याप्त था। स्थानीय लोगों ने पुलिस को जली हुई लाशों को पहले पोस्टमार्टम के लिए नहीं ले जाने दिया लेकिन उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक द्वारा फोन पर परिवार से बात करने के बाद, वे शव परीक्षण के लिए तैयार हुए। हालांकि मृतक के परिजन एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद की गिरफ्तारी व ग्राम समाज की जमीन पर कथित तौर पर कब्जा हटाने का आदेश देने वाली जिलाधिकारी नेहा जैन के खिलाफ कार्रवाई पर अड़े रहे।
उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (मैथा) ज्ञानेश्वर प्रसाद को निलंबित कर दिया गया है और लेखपाल को गिरफ्तार कर लिया गया है। पीड़ितों के परिवार ने 5 करोड़ के मुआवजे और एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी की मांग की है।
एडीजी (जोन) आलोक सिंह ने कहा, “पुलिस मामले की जांच कर रही है और निष्कर्षों के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
मालूम हो कि प्रमिला दीक्षित (44) और उनकी बेटी नेहा दीक्षित (21) की सोमवार दोपहर अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान मौत हो गई थी। सोशल मीडिया पर सामने आए कथित वीडियो में दिख रहा है कि वे फूस के घर में घुस रहे थे और दरवाजा अंदर से बंद कर रहे थे। तभी कुछ पुलिसकर्मी दरवाजा तोड़ते हुए दिखे। लेकिन तब तक इस फूस के घर की छत में आग लग चुकी थी। एक अन्य कथित वीडियो में दिख रहा है कि जब घर में आग लगी हुई थी और मां-बेटी चिल्ला रही थीं, तब भी जेसीबी रुकी अतिक्रमण हटाने में ही लगी थी और पुलिसकर्मी अपनी जगह ही खड़े थे।
कृष्ण कुमार दीक्षित, जो अपनी पत्नी और बेटी को बचाने के प्रयास में झुलस गए थे, ने कहा कि ग्राम समाज की जमीन लगभग 100 वर्षों से उनके परिवार के पास थी। हाल ही में उन्होंने वहां बिना पक्की छत का पक्का ढांचा बना लिया था। समस्या तब शुरू हुई जब एक ग्रामीण गेंदन लाल ने शिकायत की थी कि दीक्षित के घर बनाने की वजह से उनके खेत में पानी आना रुक गया है। वहीं एक अन्य ग्रामीण अशोक दीक्षित ने डीएम से शिकायत की कि कृष्ण कुमार दीक्षित और उनके परिवार ने ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है, जिसे उनकी पत्नी को पट्टे पर दिया गया था।
इस शिकायत पर एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद ने इसी साल जनवरी में पक्का ढांचा गिरा दिया था। परिजन इसका विरोध करते हुए अपने मवेशियों को लेकर डीएम कार्यालय पहुंचे और अपना पक्ष रखा। कृष्ण कुमार दीक्षित ने ने बताया कि, “जब हम अपनी शिकायत लेकर पहुंचे तो हमें डीएम, एडीएम और एसडीएम (मैथा) द्वारा सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया। उन्होंने हमारी बात नहीं मानी और हमें कैंपस से बाहर कर दिया गया”।
15 जनवरी को तहसीलदार (अकबरपुर) रणविजय सिंह द्वारा डीएम कार्यालय पर विरोध करने को लेकर दीक्षित परिवार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इसके बाद सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने की एक और एफआईआर हुई।
कृष्ण कुमार दीक्षित ने आरोप लगाया है कि, ‘“(अशोक) दीक्षित ने सोमवार को अपनी शिकायत के साथ डीएम से मुलाकात की और उन्होंने विध्वंस का आदेश दिया। एसडीएम ज्ञानेश्वर एक घंटे में जेसीबी और भारी पुलिस बल के साथ गांव पहुंचे। मेरी पत्नी विध्वंस को रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन उन्होंने उसे मार डाला। आग में वो जल रही थी लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की”।
वहीं इस मामले को लेकर डीएम नेहा जैन ने मीडियाकर्मियों को बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए टीम पुलिसकर्मियों के साथ गांव पहुंची थी। महिलाओं ने टीमों को रोकने का प्रयास किया और टीम के सदस्यों पर हमला किया। उन्होंने कहा- ‘इसके बाद कमरे में महिला ने आत्मदाह कर लिया। उन्हें बचाने के प्रयास में एसएचओ (रूरा) झुलस गए। घटना की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा’।