2002 के गोधरा ट्रेन कोच बर्निंग मामले में गुजरात सरकार के कड़े विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद के एक दोषी को गुरुवार को जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए उसकी जमानत मंजूर कर दी कि दोषी फारूक 2004 से जेल में है और 17 साल जेल में रह चुका है, लिहाजा उसे जमानत मिलनी चाहिए। CJI डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने दोषी फारूक की तरफ से पेश वकील की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि जेल में अब तक बिताई गई अवधि को ध्यान में रखते हुए उसे जमानत दी जानी चाहिए। दोषी पर पत्थरबाजी का मामला है।
#SupremeCourt grants bail to a convict named Farook, sentenced to life in the Godhra carnage case, considering the fact that he has undergone 17 years sentence and that his role was of stone-pelting at the train.
Bench led by CJI DY Chandrachud passed the order. pic.twitter.com/2dXwywv9lz
— Live Law (@LiveLawIndia) December 15, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाकी 17 दोषियों की अपीलों पर छुट्टियों के बाद सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान जमानत का विरोध करते हुए गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, ‘ये महज पत्थरबाजी का मामला नहीं था, ये एक जघन्य अपराध था, क्योंकि जलती ट्रेन से लोगों को बाहर नहीं निकलने दिया गया। इस घटना में महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था और दोषियों की अपील जल्द से जल्द सुनने की जरूरत है। इस मामले की पिछली सुनवाई में भी गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दोषियों की रिहाई का विरोध किया था। उस समय गुजरात सरकार ने पत्थरबाजों की भूमिका को बेहद गंभीर बताया था।
पिछली सुनवाई में गुजरात सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि ये घटना महज पत्थरबाजी का केस नहीं है। पत्थरबाजी के चलते जलती हुई ट्रैन की बोगी से पीड़ित बाहर नहीं निकल पाए थे। पत्थरबाजों की मंशा ये थी कि जलती बोगी से कोई भी यात्री बाहर न निकल सके और बाहर से भी कोई शख्स उन्हें बचाने के लिए अंदर न जा पाए। उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा, दमकल कर्मियों पर भी पत्थर फेंके गए थे।
मेहता की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इनमें से कुछ दोषी पत्थरबाज थे और वे जेल में लंबा समय काट चुके हैं। ऐसे में कुछ को जमानत पर छोड़ा जा सकता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया था कि वह हर दोषी की भूमिका की जांच करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से 15 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात में स्थित गोधरा शहर में अयोध्या से लौटे कारसेवकों से भरी साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच को बाहर से बंद कर कुछ लोगों ने उसमें आग लगा दी थी। इस घटना में 59 यात्रियों की मौत हो गई थी और राज्यभर में सांप्रदायिक दंगे फैल गए थे। गोधरा कांड के बाद चले मुकदमों में करीब 9 साल बाद 31 लोगों को दोषी ठहराया गया था।