सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ISRO के पूर्व साइंटिस्ट नंबी नारायणन मामले में चार आरोपियों को अग्रिम जमानत देने के केरल हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही केरल हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह चार सप्ताह में आरोपियों की अग्रिम जमानत पर फिर से सुनवाई करे। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपियों को पांच सप्ताह तक गिरफ्तार नहीं किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने केरल हाईकोर्ट का फैसला रद्द किया। यह मामला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को कथित रूप से फंसाने से जुड़ा है। इन आरोपियों में पुलिस/खुफिया ब्यूरो के अधिकारी आर बी श्रीकुमार, पीएस जयप्रकाश, थंपी एस दुर्गा दत्त और विजयन शामिल है। CBI ने केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज सहित चार आरोपियों को मिली अग्रिम जमानत को चुनौती दी थी।
Supreme Court sets aside the Kerala High Court order granting anticipatory bail to four persons in connection with the 1994 ISRO espionage case relating to the alleged framing of scientist Nambi Narayanan. pic.twitter.com/1Ngg1U4hq9
— ANI (@ANI) December 2, 2022
जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, ‘ये सभी अपीलें स्वीकार की जाती हैं। उच्च न्यायालय द्वारा पारित अग्रिम जमानत देने के आदेश को रद्द किया जाता है। सभी मामलों को उच्च न्यायालय को वापस भेजा जाता है ताकि वह उनके गुणदोष के आधार पर नए सिरे से फैसला कर सके’। पीठ ने आगे कहा कि, ‘अंतत: हाईकोर्ट को ही आदेश पारित करना है। हम उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि वह इस आदेश की तारीख से चार सप्ताह के भीतर अग्रिम जमानत याचिकाओं पर जल्द से जल्द फैसला करे।’ पीठ ने कहा, ‘तब तक एक अंतरिम व्यवस्था के तहत और अधिकारों के प्रति पूर्वाग्रह के बिना, यह निर्देश दिया जाता है कि पांच सप्ताह की अवधि के लिए और जब तक कि उच्च न्यायालय द्वारा जमानत अर्जियों पर हिरासत के संबंध में अंतिम फैसला नहीं किया जाता, प्रतिवादियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, जो कि जांच में सहयोग के अधीन होगा।’
ये मामला क्या था?
1994 में साइंटिस्ट नंबी नारायणन को जासूसी के झूठे केस में फंसाया गया था। इसके चलते क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन हासिल करने के भारत के प्रयासों को धक्का लगा था। नंबी नारायणन पर क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन की तकनीक विदेशियों को बेचने का आरोप लगा था। इस मामले में हुई सीबीआई जांच में पूरा मामला झूठा निकला। सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि नंबी नारायणन के खिलाफ केरल पुलिस की ओर से दर्ज मुकदमा दुर्भावनापूर्ण था। सुप्रीम कोर्ट ने नंबी नारायणन को 50 लाख का मुआवजा देने का आदेश सुनाया और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज डी के जैन की अध्यक्षता में नंबी नारायणन को फंसाने वालों पर कार्रवाई के लिए विचार करने के लिए तीन सदस्य कमेटी का भी गठन किया। नंबी नारायणन ने इसरो में रहते हुए कई अहम खोज की और स्पेस साइंस के क्षेत्र में अहम योगदान दिया था।
डीके जैन कमेटी की रिपोर्ट पर CBI ने इस मामले की जांच की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूर्व जज डीके जैन की अध्यक्षता वाली कमिटी ने मामले की जांच की। कमिटी ने पाया कि पुलिस और आईबी के 5 पूर्व अधिकारी इस साज़िश में शामिल थे। इस रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल, 2021 को सीबीआई से मुकदमा दर्ज करने को कहा।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आगे जांच के लिए कमेटी की रिपोर्ट सीबीआई को सौंप दी। जिसके बाद CBI ने FIR दर्ज कर पुलिस अधिकारियों की जांच शुरू की और उसी बीच चार आरोपियों को हाईकोर्ट से ज़मानत मिल गई। हाईकोर्ट ने इसे पुराना मामला बता कर सबको अग्रिम जमानत दी। यह भी कह दिया कि इन अधिकारियों के विदेशी ताकतों से संपर्क के सबूत नहीं हैं। इस तरह जांच को किसी नतीजे तक पहुंचा पाना कठिन होगा।
बता दें कि नंबी नारायणन की जिंदगी पर हाल ही में ‘रॉकेट्री’ नाम से फिल्म बनी, जिसे एक्टर आर. माधवन ने डायरेक्ट किया था। नंबी नाराणन की भूमिका में फिल्म में वो खुद दिखाई दिए थे। फिल्म रिलीज होने के बाद से नंबी नारायण को लेकर देश में फिर से चर्चा शुरू हो गई थी। इस फिल्म में उनके इसरो वैज्ञानिक के रूप में सफलताएं और बाद में साजिश के तहत उन्हें फंसाए जाने को दिखाया गया है। कई दिन जेल में काटने के बाद और अदालत में लंबी लड़ाई लड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।