केरल कैबिनेट ने विधानसभा सत्र में एक विधेयक पेश करने का फैसला किया है जिसके मुताबिक़ अब राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपति शिक्षा के क्षेत्र के विशेषज्ञ होंगे। इस विधेयक के पारित होने के साथ ही राज्यपाल को चांसलर पद से हटा दिया जाएगा। केरल विधानसभा का सत्र 5 दिसंबर से शुरू होगा।सत्र का मुख्य एजेंडा राज्यपाल को कुलाधिपति के पद से हटाना है। इस विधेयक को विधानसभा सत्र के पहले दिन पेश किए जाने की उम्मीद है। विधेयक के मुताबिक़ चांसलर के लाभ और अन्य खर्च विश्वविद्यालयों के अपने फंड से आवंटित किए जाएंगे। राज्यपाल ने इससे पहले पांच दिसंबर से केरल विधानसभा सत्र शुरू करने की अनुमति दी थी।
Kerala cabinet has decided to introduce a Bill where Chancellors of State universities will be experts from the field of education, in the Assembly Session. This will remove the Governor as the Chancellor. Assembly session will begin on 5th December.
— ANI (@ANI) November 30, 2022
राज्य कैबिनेट का यह फैसला केरल की वामपंथी सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच वीसी की नियुक्ति सहित राज्य के विश्वविद्यालयों के कामकाज से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर जारी खींचतान के बीच आया है। इससे पहले मीडिया रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी कि केरल कैबिनेट राज्यपाल को चांसलर के पद से हटाने के लिए विधेयक लाने जा रही है और विधेयक लाने के बाद चांसलर की जगह किसी विशेषज्ञ को लाया जाएगा।
केरल सरकार ने पुंछी आयोग की रिपोर्ट की सिफारिशों पर विचार करने के बाद निर्णय लिया है कि राज्यपाल को विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में नियुक्त करना उचित नहीं होगा। आयोग ने राय दी थी कि, ‘गवर्नर को चांसलर के पद पर नहीं नियुक्त करना चाहिए। उच्च शैक्षणिक मूल्यों को बनाए रखने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों को विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्तियों को विश्वविद्यालयों के प्रमुख के रूप में आना चाहिए’।
आज ही केरल हाईकोर्ट ने भी विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी की समय सीमा तय करने से मना कर दिया और संबंधित जनहित याचिका भी खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि, ‘विधेयकों पर राज्यपाल कितने समय में फैसला करें, यह समय सीमा तय करने का काम उनका नहीं है। विधानसभा या संसद ही इस बारे में कोई कानून तय कर सकती है’।
Kerala HC dismisses the PIL seeking to set a time limit for the Gov for taking a decision on bills passed by Assembly. While dismissing the PIL, Court observed, "it's not the duty of court to fix a time limit to decide on bills by the Governor & it's for the legislature to do so" pic.twitter.com/Z2IbPBdK8Y
— ANI (@ANI) November 30, 2022
बता दें कि केरल में राज्यपाल और राज्य सरकार के विवाद अब लंबे समय से चल रहा है। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर दोनों विवाद भी एक महत्पूर्ण कारणों में से एक है। बीते दिनों राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य के 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इस्तीफा मांगा था। जिसके बाद नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने इस्तीफा देने के राज्यपाल के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। केरल सरकार राज्यपाल पर राष्ट्रीय आरएसएस के एजेंडे को लागू करने का आरोप लगा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री विजयन ने कहा था कि राज्यपाल अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं और ये अलोकतांत्रिक है।