सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने देशभर से अक्टूबर महीने में दवाओं का एक सैंपल टेस्ट किया है जिसमे 50 दवाएं ड्रग सैंपल टेस्ट में फेल हो गई हैं । CDSCO ने देश के अलग-अलग लैब से आए हुए1280 दवाइयों का टेस्ट किया, जिसके बाद उन सैंपलों में से 50 दवाओं को टेस्ट में फेल घोषित कर दिया गया । इन दवाओं में ज्यादातर दवाएं बुखार, एंटीबायोटिक, दर्द, उल्टी और विटामिन की हैं । CDSCO ने बताया है कि यह एक रूटीन प्रक्रिया है। हर महीने दवाइयों के सैंपल जांच के लिए आते हैं और अलग-अलग कारणों से स्टैंडर्ड और गुणवत्ता की जांच सही पाए जाने वाली दवाइयों को ही अप्रूवल दी जाती है।
जिन दवाओं को फेल किया गया है उन दवाओं का निर्माण अलग अलग राज्यों- हरियाणा, कोलकाता, असम, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड में हुआ था। इन 50 फेल दवाओं में से अकेले उत्तराखंड में बनी 11 दवाएं शामिल हैं। उत्तराखंड के अलावा गुजरात की 4, महाराष्ट्र की 1, पश्चिम बंगाल की 2, उत्तर प्रदेश की 7, मध्य प्रदेश की 6, राजस्थान की 1, बिहार की 2, सिक्किम की 2, हरियाणा की 1, दिल्ली की 1 और तमिलनाडु की 3 दवाएं भी इस लिस्ट में शामिल है ।
इन दवाओं को बाजार से वापस लेने का आदेश दिया गया है और इन्हें बनाने वाली कंपनियों को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है । बीते दिनों हुए सैंपल टेस्ट में हिमाचल प्रदेश में बनी हुई कई दवाओं को फेल किया गया था । स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे पहले इसी साल जून में 26 दवाओं, जुलाई में 53, अगस्त में 45 और सितंबर में 59 दवाओं के सैंपल को टेस्ट में फेल किया था ।
हैरानी की बात ये है कि जिन दवाओं को टेस्ट में फेल किया गया है उनमे से अधिकतर का इस्तेमाल एंटीबायोटिक के रूप में किया जाता है । इसके अलावा अन्य दवाएं बुखार, पेट में दर्द, उल्टी, सिरदर्द और विटामिन के तौर पर यूज की जाती हैं । इसके अलावा इन फेल दवाओं में कई लाइफ सेविंग ड्रग्स और कुछ इंजेक्शन भी हैं ।
ये दवाएं हुई हैं फेल-
1. फोलिक एसिड टैबलेट आईपी
2. सिपदान-500
3. हैक्सीप्लोर
4. एयरमोल-650 टैबलेट
5. एसोलिप 40
6. कैंटोप-40 टैबलेट
7. OMZOLE
8. मोंटेक एलसी
9. लेवोसेटिरिज़िन टैबलेट आईपी
10. पामगिन-पी
11. मार्कमॉक्स-500
12. ओंकाम
13. क्रोमोस्टेटइंजेक्शन
14. पैंटोप-डीएसआर
15. उरिफ्लो -डी
16. मिसोप्रोस्टोल गोलियाँ
17. सिलोडोसिन 4 मिलीग्राम
18. डायकोविन-प्लस कैप्सूल
19. एल्बेंडाजोल की गोलियां आई.पी. 400 मिलीग्राम बी
20. एल – मिथाइलफोलेट गोलियाँ
21. लेवेतिरसेटम टैबलेट
22. मेट्रोनिडाजोल की गोलियां
23. तिलविट (मल्टीविटामिन आसव)
24. ओटोकैप कैप्सूल
25. मायकोबल-प्लस कैप्सूल
26. किंगकैथ टैबलेट
27. बीकोम-एल
28. एनालाप्रिल मैलेट
29. पिलोग्रेल – ए 75
30. लेवोसेटिरिज़िन डाइहाइड्रोक्लोराइड
31. आरएल 500 इन्जेक्शन (इन सभी के कंपाउंड सिडोयम एक हैं)
32. आरएल 500 इंजेक्शन
33. आरएल 500 इंजेक्शन
34. आरएल 500 इंजेक्शन
35. आरएल 500 इंजेक्शन
36. आरएल 500 इंजेक्शन
37. आरएल 500 इंजेक्शन
38. एनएस (सोडियम क्लोराइड)
39. फेनोफिब्रेट टैबलेट
40. क्लेरीफोर्ड-500
41. ओंडासेट्रोन
42. Montelukast टैबलेट आईपी
43. bromhexine हाइड्रोक्लोराइड
44. नांद्रोलोन डेकोनेट
45. पैंटोप्राजोल सोडियम
46. आरएल 500 बी इंजेक्शन
47. मिडाजोल्म इंजेक्शन
48. लेवोसेटिरिज़ि
49. डाइकोविन प्लस
50. पिलोग्रेलाम
स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार ने जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ‘सैंपल फेल होने की लिखित जानकारी अभी प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन जैसे ही सैंपल फेल होने की लिखित जानकारी प्राप्त होगी तो फिर संबंधित कंपनियों पर एफडीए एक्ट के तहत सुसंगत धाराओं में कार्रवाई की जाएगी।’
इस मामले में IMA का कहना है कि इन दवाओं को किस वजह से फेल किया गया है इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन यह जरूरी है कि दवा की गुणवत्ता 100 फीसदी बनी रहे। IMA के सचिव डॉ अनिल गोयल ने कहा कि, ‘दुनिया भर में दवाइयों के सैंपल फेल होने का अनुपात 3 से 4% का है। हमारे यहां भी लगभग यही अनुपात है लेकिन अगर यह 6% से ज्यादा हो तो पैनिक की स्थिति हो सकती है। सवाल तीन या चार प्रतिशत का नहीं है, दवाइयों की गुणवत्ता शत प्रतिशत रहनी चाहिए। किन वजहों से इन्हें सेम्पलिंग में फेल किया गया है ,यह जानकारी नहीं है, लेकिन सेंपलिंग एरर डेमोग्राफी, टेंपरेचर पेटेंट जैसे कारणों से हो सकते हैं।’