सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि ये ऐसे व्यक्ति होने चाहिए जो स्वतंत्र निर्णय ले सकते हों। दरअसल मंगलवार को चुनाव आयोग की स्वायत्तता पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने सुनवाई की। जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, ऋशिकेष राय और सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा कि अदालत की कोशिश ये है कि एक ऐसा सिस्टम तैयार हो जिससे कि ‘सबसे अच्छे व्यक्तित्व का आदमी यानी बेस्ट मेन; मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में चुना जाए।
5 जजों की बेंच ने कहा, ‘संविधान ने मुख्य चुनाव आयुक्त व दो चुनाव आयुक्तों के नाजुक कंधों पर भारी शक्तियां दी है और हमें इन पदों के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति को खोजना है। सवाल यह है कि हम उस बेस्ट व्यक्ति को कैसे चुनें और उसे कैसे नियुक्त करें।’ ‘देश में अनेक मुख्य निर्वाचन आयुक्त हुए हैं, लेकिन टीएन शेषन एक ही हुए हैं। हम नहीं चाहते कि कोई इसे दबाने की कोशिश करे’।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने सुनवाई के दौरान संविधान के अनुच्छेद 324 का हवाला दिया और कहा कि यह अनुच्छेद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की बात तो करता है, लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया के पर बिल्कुल चुप है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस बारे में कानून बनाने पर विचार किया जाना चाहिए था लेकिन पिछले 72 सालों में ऐसा नहीं किया गया। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने इस प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लेकर कहा, ” 2004 के बाद से, किसी भी सीईसी ने छह साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है और यूपीए सरकार के 10 साल के शासन के दौरान छह सीईसी थे और एनडीए सरकार के आठ वर्षों में आठ सीईसी हुए हैं।”
केंद्र की ओर से मामले में पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी के दौरान कहा, ‘हम अच्छी प्रक्रिया अपनाते हैं ताकि सक्षम व्यक्ति के अलावा मजबूत चरित्र का कोई शख्स ही सीईसी के रूप में नियुक्त किया जा सके। सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति की नियुक्ति पर किसी आपत्ति नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि यह कैसे किया जा सकता है’।
CEC की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे ये नहीं कह सकते हैं कि वे असहाय है और कुछ भी नहीं कर सकते। इन नियुक्तियों के लिए एक ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जो नियुक्ति की वर्तमान संरचना से अलग हो।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा कि 1990 से अब तक कई बार CEC की नियुक्ति को लेकर सवाल उठे हैं और एक बार तो बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए पत्र लिखा था और उसमे कॉलेजियम जैसे सिस्टम की पैरवी की थी।
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने 23 अक्टूबर, 2018 को सीईसी और ईसी के चुनाव के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को पांच जजों की संविधान पीठ को भेज दिया था।
कौन थे पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन?
टी.एन. शेषन तमिलनाडु कैडर के 1955 बैच के IAS ऑफिसर थे. टीएन शेषन भारत सरकार के 27 मार्च 1989 से 23 दिसंबर 1989 तक कैबिनेट सचिव रहे थे और उन्हें 12 दिसंबर, 1990 को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 11 दिसंबर, 1996 तक रहा था। CEC के रूप में टीएन शेषन की संवैधानिक दायित्वों के प्रति उनके रुख ने चुनाव आयोग की एक नई पहचान स्थापित की। उनके ही कार्यकाल के दौरान बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे। सीईसी के रूप में शेषन ने चुनाव सुधारों की शुरुआत बिहार से की। उस समय बिहार बूथ कैप्चरिंग के लिए बदनाम था। शेषन ने चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती करवाई और बूथ कैप्चरिंग और हिंसा को रोकने में कामयाब भी रहे। उनका निधन 10 नवंबर, 2019 को हो गया था।