सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पूर्व जज वीपी पाटिल की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमे उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का नाम बदलकर महाराष्ट्र हाईकोर्ट करने की मांग की थी। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने इस याचिका के संबंध में इसे ये कहते हुए खारिज कर दिया कि यह संसद द्वारा तय किया जाने वाला मामला है। बेंच ने कहा कि कोर्ट संसदीय प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। बेंच ने याचिकाकर्ता से सवाल पूछा कि, “ये कानून निर्माताओं द्वारा तय किये जाने वाले मुद्दे हैं। आप अपने किस मौलिक अधिकार के तहत ये मामला यहां लेकर आए?” उसके बाद याचिकाकर्ता वीपी पाटिल ने कोर्ट से इस मामले को लेकर संसद के समक्ष एक अभ्यावेदन पेश करने की स्वतंत्रता देने का अनुरोध किया, लेकिन बेंच ने उन्हें इसकी परमिशन नहीं दी।
याचिकाकर्ता वीपी पाटिल ने अपनी इस याचिका में मांग की थी कि बॉम्बे हाईकोर्ट का नाम बदलकर महाराष्ट्र हाईकोर्ट किया जाए। इस याचिका में अधिकारियों को महाराष्ट्र के लोगों की विशिष्ट संस्कृति, विरासत और परंपराओं के संरक्षण के लिए महाराष्ट्र अनुकूलन कानून (राज्य और समवर्ती विषय) आदेश, 1960 के एक खंड के कार्यान्वयन के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की गयी है।
इस याचिका में पाटिल ने यह भी मांग की है कि अन्य राज्यों के संबंधित अधिकारियों को भी निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे अपने उच्च न्यायालयों के नाम उन राज्यों के नाम के अनुसार बदलें जहां वे स्थित हैं।
याचिकर्ता पाटिल ने इस याचिका में कहा है कि ‘महाराष्ट्र’ शब्द का उच्चारण एक महाराष्ट्रीयन के जीवन में विशेष महत्व को दर्शाता है और इसके उपयोग को हाई कोर्ट के नाम में भी अभिव्यक्ति मिलनी चाहिए।
ठाणे के रहने वाले वीपी पाटिल ने 26 वर्षों तक जज के रूप में काम किया है-
बताते चलें कि महाराष्ट्र सरकार ने साल 1960 में एक आदेश जारी कर कहा था कि ‘बॉम्बे उच्च न्यायालय’ अब से ‘महाराष्ट्र उच्च न्यायालय’ के रूप में जाना जाएगा। लेकिन यह आदेश लागू नहीं किया गया इसलिए बॉम्बे हाईकोर्ट का नाम भी नहीं बदला। साल 1995 में बॉम्बे का नाम बदलकर मुंबई कर दिया गया लेकिन हाईकोर्ट ‘बॉम्बे’ के नाम पर ही रहा। उसके बाद साल 2016 में बॉम्बे हाई कोर्ट का नाम बदलकर ‘महाराष्ट्र उच्च न्यायालय’ करने के लिए एक बिल संसद में पेश किया गया लेकिन वह बिल पास नहीं हो पाया। इसलिए आज भी ‘बॉम्बे हाईकोर्ट’ ही नाम है।