लखनऊ: अयोध्या का दीपोत्सव चहुँओर प्रकाश फैला रहा है। इसके सृजनकर्ता योगी आदित्यनाथ की सरकार रामनगरी में अध्यात्म, संस्कृति व विकास का नया संगम बना रही है। त्रेतायुग के धरोहरों को कलियुग में भी संवारने के लिए सरकार कृत संकल्पित है। यहां बन रहा राम मंदिर जहां गौरवशाली परंपरा का वाहक बन रहा है, वहीं दीपोत्सव सांस्कृतिक गाथा की कहानी कह रहा है। एयरपोर्ट, मेडिकल कॉलेज, आवासीय विद्यालय यहां के सम्पूर्ण भौतिक विकास को परिलक्षित कर रहा है।
2017 में सरकार बनने के बाद योगी सरकार ने यहां के अतीत को जोड़कर वर्तमान को समृद्धशाली बनाने का सपना देखा था। इसके लिए सबसे पहले करोड़ों लोगों की आस्था के मद्देनजर सरकार ने दीपोत्सव का आयोजन कराया। यह आयोजन बदलते वर्ष की भांति नित नई ऊंचाइयां छूने लगा।
सांस्कृतिक प्रकाश से भी जगमगाने लगी अयोध्या-
योगी सरकार ने राम की अयोध्या को सबसे पहले सांस्कृतिक प्रकाश से प्रज्ज्वलित किया। 2017 में यहां दीपोत्सव का आयोजन किया गया। उस समय लगभग 1.71 लाख, 2018 में लगभग 3.01 लाख, 2019 में लगभग 4.04 लाख, 2020 में 6.06 लाख और 2021 में 12 लाख से अधिक दीपों से अयोध्या जगमग होती रही। इस बार यह आंकड़ा 18 लाख का है। वहीं बीते 28 सितंबर को स्वर कोकिला लता मंगेशकर के जन्मदिवस पर यहां 14 टन की वीणा रखकर योगी सरकार ने उनके नाम पर चौक का निर्माण कराकर संदेश दिया कि सरकार राम की नगरी में मां शारदे के स्वरूप में संस्कृति का भी प्रकाश बिखेरेगी। यहाँ के कई द्वारों का नामकरण त्रेता के धरोहरों की याद दिलाएगा। अयोध्या-लखनऊ-गोरखपुर राजमार्ग पर भगवान राम और ऋषि-मुनियों की लगी प्रतिमा इस बात का द्योतक है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न सिर्फ आज बल्कि आने वाली भावी पीढ़ी के रोम-रोम में राम के आदर्शों को उतारना चाहते हैं।
आध्यात्मिक विकास और आर्थिक स्वावलम्बन की भी राह दिखा रही योगी सरकार-
सरकार यहां का आध्यात्मिक विकास कराने के लिए भी पुरजोर कोशिश कर रही है। रामलला मंदिर में विराजमान हों, इसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है। रामलला सम्पूर्ण जगत का कल्याण करें, यह भावना सन्त व गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ की है। उन्होंने अयोध्या की पावनी सरयू के निर्मल बनाने के साथ यहां के घाटों का पुनरुद्धार कराया। राम की पैड़ी, सूर्यकुंड घाट, गुप्तार घाट आदि स्थानों को संवारने का भी सरकार ने कार्य किया।