दिल्ली: देश की सबसे पुरानी पार्टी का चुनाव और तमाम कयासों के बीच कर्नाटक के वरिष्ठ वयोवृद्घ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को अपने प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर को हराकर 24 वर्षों में पहले गैर-गांधी कांग्रेस अध्यक्ष होने और चार दशकों के बाद बरसों पुराने संगठन के पहले अनुसूचित जाति के अध्यक्ष होने का गौरव हासिल कर लिया है।
खड़गे को 9385 वोटों में से 7897 वोट मिले, जबकि थरूर को 1072 वोट ही मिले। सूत्रों ने बताया 416 वोट इनवैलिड थे।
कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने शाम को आधिकारिक तौर पर खड़गे के निर्वाचित होने की घोषणा की, 80 वर्षीय पार्टी के योद्धा की जीत के साथ जश्न शुरू हो गया, खड़गे नौ बार कर्नाटक राज्य के पूर्व विधायक और तीन बार के सांसद है, (दो बार लोकसभा और वर्तमान में राज्यसभा) एआईसीसी मुख्यालय दिल्ली और सभी प्रदेश के क्षेत्रीय कार्यालय में में ढोल की थाप के बीच समर्थक और नेताओं ने अपनी खुशियों का इजहार किया।
वोटों की गिनती और मिल रहे रुझानों को देखते हुये थरूर ने हार मान ली और पार्टी को आगे ले जाने के लिए नए अध्यक्ष के साथ काम करने का संकल्प लिया। थरूर ने ट्वीट के माध्यम से अपनी बात रखी।
It is a great honour & a huge responsibility to be President of @INCIndia &I wish @Kharge ji all success in that task. It was a privilege to have received the support of over a thousand colleagues,& to carry the hopes& aspirations of so many well-wishers of Congress across India. pic.twitter.com/NistXfQGN1
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 19, 2022
आंध्र प्रदेश में चल रहे भारत जोड़ों यात्रा से आज पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि उनकी भविष्य में क्या भूमिका रहेगी ये कांग्रेस अध्यक्ष तय करेंगे, जो पार्टी में सर्वोच्च अधिकारी है। लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर आये है।
खड़गे की जीत का आभास पहले दिन से ही लोग लगा रहे थें। चुनाव के पहले दिन से उनके पक्ष लोग दुआएं मांग रहे थें दूसरी तरफ चुनाव एकतरफा लग रहा था, प्रस्तावकों की लंबी सूची इसका प्रमाण है। इस सूची में गांधी परिवार के वफादार शामिल थे, हालांकि पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी ने स्पष्ट किया था कि कोई आधिकारिक उम्मीदवार नहीं था।
थरूर ने आज अपनी हार स्वीकार कर ली, जब उनके पोल एजेंट सलमान सोज ने मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों के बीच उत्तर प्रदेश में सभी वोटों को “अमान्य” घोषित करने की टीम की मांग पर मिस्त्री से सहमत नहीं होने पर “उपयुक्त कार्रवाई” की धमकी दी।
जैसे ही परिणाम सामने आए, टीम थरूर पीछे हट गई और खड़गे को सहयोग देने की बात कही-
खड़गे के चुनाव का महत्व कई गुना है-
खड़गे 24 वर्षों में कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले पहले गैर-गांधी हैं, सीताराम केसरी को (1988) में कांग्रेस कार्य समिति के प्रस्ताव के माध्यम से बेदखल कर दिया गया था, उसके बाद सोनिया गांधी को पार्टी प्रमुख बनाया गया। इसके ठीक पहले सोनिया गांधी को 1997 में एआईसीसी कोलकाता प्लेनरी में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्य बनाया गया था।
खड़गे की पदोन्नति राजनीति के उस चाल की तरह है जिसका दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकता है। खड़गे एससी नेता हैं, एक ऐसे व्यक्ति जो विनम्र है जमीन से उठकर यहां तक पहुंचे है। खड़गे ने 1972 में राजनीति में प्रवेश किया। उन्हें पार्टी के अंदरूनी परिवेश में गांधी परिवार का करीबी माना जाता है।
खड़गे एकमात्र कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं जो राज्य विधानसभा (कर्नाटक) में विपक्ष के नेता रहे हैं; लोकसभा में पार्टी के नेता और अब राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं।
22 साल में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए यह पहला चुनाव था और पार्टी के 137 साल के इतिहास में केवल पांचवां बड़ा मुकाबला था। 2000 में सोनिया गांधी ने जितेंद्र प्रसाद को 96 के मुकाबले 7448 वोटों से हराया था।