दिल्ली/वाराणसी: प्रधानमंत्री लगातार सार्वजनिक मंचों पर बोलते नजर आते है “ना खाऊंगा ना खाने दूंगा” लेकिन इसके ठीक उलट उनके कार्यालय से कुछ दूरी पर बैठे शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के कानों में प्रधानमंत्री की बातें सुनाई नहीं देती, बल्कि ऐसे भ्रष्टाचार खुद प्रधानमंत्री के अपने संसदीय क्षेत्र में हो रहे है और भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री से प्रेरित होकर आवाज़ उठाने वाले एक शख़्स विभूति भूषण सिंह की हत्या हो जाती है ताकि फर्ज़ीवाड़ा दबा रहे इसकी पोल ना खुले….. ये पूरा मामला बेहद संगीन और सरकारी कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल है ! NCTE समय रहते भ्रष्टाचार पर रोक लगाती तो क्या ये हत्या होती ???
क्यों नहीं इसके लिए जिम्मेदार NCTE की MS, NRC,कमेटी, RD और NCTE चैयरमैन के साथ SO अभिमन्यु यादव पर भी हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए ??? इस भ्रष्टाचार को छुपाने और हत्या में सहयोग देने के लिए !!
दरअसल तक्षकपोस्ट ने पिछले साल साक्ष्यों और सबूतों के आधार पर बनारस के फ़र्ज़ी शिक्षण संस्थान महादेव पर कई चौकाने वाले खुलासे किये थे, वाराणसी के निजी शिक्षण संस्थान महादेव महाविद्यालय के द्वारा प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में सारे नियमों को ताक पर रखकर फ़र्ज़ी तरीके के ना सिर्फ इस कॉलेज को कागज़ों पर खोला गया बल्कि सालों बाद एक फ़र्ज़ी दस्तावेज बना कर शिक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाली संस्था NCTE से 2009 में बीएड की डिग्री ले ली गई। इस फर्ज़ीवाड़े की जानकारी होने पर जमीन के मालिकों के द्वारा मंत्रालय को लिखने और बार-बार ऐतराज जताने पर भी जब कारवाई नहीं हुई तो दिल्ली की स्वयंसेवी संस्था बोधिसत्त्व फॉउंडेशन की मदद से तमाम विभागों में इस मामलें को उठाया गया। इससे बचने के लिए महादेव महाविद्यालय के प्रबंधक ने अपने भ्रष्टाचार से पीड़ित परिवार के सदस्य की हत्या करवा दी।
ये हत्या 10 फरवरी 2022 में ठीक उस वक्त हुई जब बोधिसत्व फाउंडेशन के डेलिगेशन को तत्कालीन चैयरमैन ने फरवरी में महादेव पर कारवाई करने का आश्वाशन दिया था, ठीक तभी हत्या हो जाती है। चैयरमैन ने फॉउंडेशन के सदस्यों के सामने मेंबर सेकेट्री को इस फ़ाइल के बारे में कारवाई के लिए कहा भी था। परिवार ने इस हत्या में एक पंजीकृत FIR के माध्यम से महादेव महाविद्यालय और उसके प्रबंधक समेत 6 लोगों को नामजद किया है। इस मुकदमें में IPC 302, 506, और 120B के तहत सभी को आरोपी बनाया गया है। पुलिस के द्वारा जमा की गये दस्तावेजों में NCTE के दलालों के नाम हैं इसलिए सन्देह की कड़ी इस हत्याकांड में NCTE पर भी है….
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मृतक विभूति भूषण सिंह के मामा संतोष सिंह और उनके पारिवारिक सदस्यों के शिकायत को NCTE के 2018 के भ्रष्ट अधिकारियों ने पैसे लेकर दबा दिया, परेशान होकर संतोष सिंह ने बोधिसत्व फाउंडेशन समेत आधा दर्जन कार्यालय को संपर्क किया, इन शिकायतों के आधार पर पिछले साल शिक्षा मंत्रालय ने महादेव की फ़ाइल पर जांच शुरू की और तो पाया कि उनके रिकॉर्ड में महादेव महाविद्यालय के रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट मौजूद ही नहीं है और फ़र्ज़ी CLU आर्डर पर 2008 में इसने मान्यता के लिए आवेदन किया था। NCTE के उस समय के सभी भ्रष्ट अधिकारियों पर पहले से ही CBI का शिकंजा कसा हुआ है और विभागीय जांच चल रही है। पैसे लेकर महादेव की फ़ाइल को 2018 से अब तक बचाया गया।
महादेव महाविद्यालय 2009 से बीएड कोर्स चला रहा है, पर बड़ा गंभीर सवाल ये है कि बिना कागज़ों के चल कैसे रहा हैं ?
लगातार जा रही शिकायतों के बाद जब तमाम पहलुओं परखा ज गया तो पाया गया कि शिकायतें सही है और महादेव महाविद्यालय ने ना सिर्फ फ़र्ज़ी तरीके से मान्यता ली है बल्कि अब तक भ्रष्टाचार के भरोसे बचता रहा, NRC की तरफ से जब इस संस्थान पर जब शिकंजा कसा 2021 में तो ना सिर्फ MS केशांग शेरपा ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुये इस फ़ाइल को रोकने की कोशिश की बल्कि विभाग में रहे पूर्व के अंडर सेकेट्री डॉ एस के चौहान और मथुरा के एक दलाल के माध्यम से अपने भ्रष्टाचार के मंसूबे को पूरा करते हुए इस फ़ाइल की डील करने पिछले साल मथुरा तक चली गई। जहाँ डील में मुँह मांगी रकम के बाद इस फ़ाइल को डंप करने की कवायद शुरू हुई जिसमें NRC कमेटी का चैयरमैन बनवारी लाल नाटिया और शेरपा का सेक्शन ऑफिसर अभिमन्यु यादव समेत टी. प्रीतम सिंह और नवीन मलिक भी शामिल पाया गया। बोधिसत्व फॉउंडेशन की सचिव से लंबी बातचीत में बनवारी लाल नाटिया ने खुलकर कहा जिस फ़ाइल पर हमें कारवाई नहीं करनी होती उसे हम दबा देते है।
ये वही नाटिया है जिसका कार्यकाल साल पहले खत्म हो चुका है पर अभी तक ये शिक्षण मंडल के नाम पर बैठा हुआ है सांप की तरह कुंडली मार कर, एक महिला के साथ यौन शोषण के आरोप में भी ये सवालों का सामना कर चुका है लेकिन केशांग शेरपा के साथ देने के ये महादेव की फ़ाइल में इसे उन आरोपों से भी मुक्त कर दिया गया और शोषित महिला को मानसिक रूप से परेशान करके जबरन इस्तीफा लिया गया।
नियमों के विरुद्ध जाकर शेरपा ने अपने निजी स्वार्थ के लिए NCTE में रोका हुआ है। फाइनल SCN के बाद मान्यता खत्म हो जाते है नियमों कब हिसाब से। लेकिन मेंबर सेकेट्री को इस फ़ाइल को बचाना है इसलिए पिछले 2 दिनों से वो वाराणसी में डेरा डाल कर डील फाइनल करने की कोशिश में है NRC के RD और अपने SO अभिमन्यु यादव को लेकर। ये भ्रष्टाचार कितना घिनौना है क्या ये प्रधानमंत्री के लिए शर्मनाक नहीं है क्योंकि वो वहां के सांसद भी हैं..
महादेव महाविद्यालय 2009 से बीएड कोर्स चला रहा है, पर बड़ा गंभीर सवाल ये है कि बिना कागज़ों के चल कैसे रहा हैं ?
बड़ा सवाल क्या एक जमीन के दो बार CLU कैसे हुये ?? इसी फर्ज़ीवाड़े में इस की पोल खुली…
NCTE की फाइनल SCN को पढ़कर ये साफ है कि महादेव महाविद्यालय लगातार पिछले 5 सालों से बार-बार रजिस्ट्रर्ड लैंड डॉक्यूमेंट मांगने के बाद भी नहीं दे पाया है क्योंकि जिस जमीन पर फ़र्ज़ी तरीके से कॉलेज चलाया जा रहा है वो जमीन किसी और कि है और कभी बेची या खरीदी नहीं गई है, उसकी कोई रजिस्ट्री कभी हुई ही नहीं।
महादेव कॉलेज के बीएड के मान्यता रद्द करने की कारवाई पूरी हो चुकी है फाइनल नोटिस जारी हुये 1 साल हो चुका है NCTE अब कोई और मौके नहीं दे सकती ऐसा NCTE का नियम कहता हैं। लेकिन ये फ़ाइल मीटिंग में रखी नहीं जा रही क्योंकि शेरपा और नाटिया का निजी स्वार्थ और भ्रष्टाचार इस फ़ाइल पर हावी है। इसलिए विभूति की हत्या में आरोपियों के साथ इन सभी अधिकारियों के ऊपर मुकदमा दर्ज होने चाहिये इसके लिए पीड़ितों ने एक पिटीशन भी शुरू की है ताकि उनको न्याय मिल सकें आप नीचे लिंक पर क्लिक करके पूरी जानकारी देख सकते है..
https://www.change.org/p/justiceforvibhutibhushansingh-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%A6-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%82-cbi-cbcid-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9A-%E0%A4%B9%E0%A5%8B?redirect=false
इतना ही नहीं ये पूरी टीम मिलकर NRC के RD के पोस्ट आने वाले किसी भी व्यक्ति को टिकने नहीं दे रहे जो निष्पक्ष तरीके से काम कर सकें। पिछले 1 साल में 4 RD बदल चुके है, क्योंकि शेरपा को YES और NO के अलावा ईमानदार आदमी नहीं चाहिए। शेरपा और उसके साथ जुड़े भ्रस्टाचारियों की टीम अपनी मर्जी से फ़ाइलें चुनती है बिना किसी नम्बर के यही सबसे बड़ा फर्ज़ीवाड़ा है। इसी फर्ज़ीवाड़े की डील में शेरपा वाराणसी में महादेव के इलाके में देखी गई। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी कैंपस में विभूति भूषण की हत्या में अपरोक्ष रूप से शामिल एक व्यक्ति आजकल NCTE से डील करवाने में लगा है।
क्या ऐसे हत्या करवा कर शिक्षा मंत्रालय प्रधानमंत्री के सपनों को पूरा करना चाहती है, भ्रष्टाचार और उससे होने वाले फर्ज़ीवाड़े को रोकने के लिए जस्टिस वर्मा कमेटी के नियमों को 2014 में लागू किया गया था, लेकिन आज भ्रष्टाचार NCTE ने कम नहीं किया बल्कि दोगुनी गति से बढ़ा दिया है। जब महादेव ने मान्यता लेने के लिए फ़र्ज़ी दस्तावेज इस्तेमाल किये तो मान्यता कैसे वैध है ? और ये जानते हुये भी केशांग शेरपा इस भ्रष्टाचार को दबा रही सरकार को इस दिशा में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।