Mulayam Singh Yadav Passed Away: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का आज निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। मुलायम सिंह के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया।
मुलायम सिंह यादव का राजनीति में योगदान-
वह तीन बार मुख्यमंत्री रहे। पहली बार पांच दिसंबर 1989 से 24 जून 1991 तक, दूसरी बार पांच दिसंबर 1993 से 3 जून 1995 तक और तीसरी बार 29 अगस्त 2003 से 13 मई 2007 तक मुख्यमंत्री रहे।
वह एक जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक भारत के रक्षा मंत्री रहे।
पहली बार 1967 में विधायक बने। फिर 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में विधायक बने। फिर उपचुनाव में 2004 से 2007 तक विधायक रहे।
लोकसभा सदस्य के रूप में 1996 में मैनपुरी, 1998 में संभल, 1999 में संभल से रहे। 2004 में मैनपुरी से चुने गए, लेकिन इस्तीफा दे दिया। फिर 2009 में मैनपुरी, 2014 में आजमगढ़ औ 2019 में मैनपुरी से सांसद चुने गए।
1992 में सपा का गठन किया और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वह जनवरी 2017 तक इस पद पर रहे। इसके बाद इन्हें संरक्षक बना दिया।
राजनीति में अपने कई फैसलों के लिए मुलायम याद किये जायेंगे-
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव अपने कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए याद किए जाएंगे। उन्होंने भारतीय राजनीति को न सिर्फ नई दिशा दी बल्कि समाजिक परिवर्तन की इबारत भी लिखी। उन्होंने महिलाओं को सियासत में भागीदारी दिलाने के लिए निरंतर आवाज बुलंद किया इसका प्रत्यक्ष परिणाम सपा में पुरुषों के साथ महिलायों को बराबर मिली जिम्मेदारी देखी जा सकती हैं।
साधारण से असाधारण बने मुलायम की कहानी-
इटावा के सैफई में किसान परिवार में जन्म लेने वाले मुलायम सिंह यादव अखाड़े में दांव लगाते- लगाते सियासी फलक पर छा गए। 24 फरवरी वर्ष 1954 में मात्र 15 वर्ष की आयु में समाजवाद के शिखर पुरुष डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर नहर रेट आंदोलन में पहली बार जेल गए। वह केके कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। आगरा विश्वविद्यलाय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर करने के बाद इंटर कॉलेज में प्रवक्ता बने लेकिन मन नही लगा तो त्यागपत्र दिया और अपने गुरु चौधरी नत्थूसिंह की परंपरागत विधानसभा सीट जसवंत नगर से 1967 में पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और जीत के बाद विधायक बने। मुलायम ने इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने अपने जीवन में कई ऐसे फैसले लिए, जिसकी वजह से उनकी आलोचना भी हुई। अपने राजनीतिक सफर में पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों के हित की अगुवाई कर अपनी पुख्ता राजनीतिक ज़मीन तैयार की।
समाजवादी पार्टी का गठन-
लोकदल से वांया जनता दल होते हुए मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। पिछड़ी जातियों को गोलबंद करते हुए अल्पसंख्यकों को साथ लिया। अगलों को उनकी हिस्सेदारी के आधार पर भागीदारी देते हुए आगे बढ़े।
कार सेवकों पर कारवाई के कारण आलोचना झेलनी पड़ी-
1989 में मुलायम सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अयोध्या में मंदिर आंदोलन तेज़ हुआ तो कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया। इसके बाद उन्हें मुल्ला मुलायम तक कहा गया। लेकिन उन्होंने इसकी परवाह कभी नहीं की। अपने 79वें जन्मदिन पर मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते देश की एकता के लिए कारसेवकों पर गोलियां चलवाईं। अगर वह अयोध्या में मस्जिद नहीं बचाते तो ठीक नहीं होता क्योंकि उस दौर में कई नौजवानों ने हथियार उठा लिए थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री काल में देश की एकता के लिए कारसेवकों पर गोलियां चलवानी पड़ी। देश में आग लग जाती और विध्वंसकारी ताकतों को रोकना मुश्किल हो जाता।
यूपीए को समर्थन से चौंकाया-
वर्ष 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार अमरीका के साथ परमाणु करार को लेकर संकट में आ गई। उस वक्त यूपीए में शामिल वामपंथी दलों ने समर्थन वापस ले लिया। ऐसे समय मुलायम सिंह यादव ने बाहर से समर्थन देकर मनमोहन सरकार को गिरने से बचा लिया। उनके इस फैसले की जमकर आलोचना भी हुई, लेकिन उन्होंने कोई परवाह नहीं की।
बेटे को सौंपना चाहते थे विरासत-
राजनीति के कुशल खिलाड़ी मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2012 में पूण बहुमत मिलते ही अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया। वर्ष 2017 में पार्टी के अंदर खलमंडल मचा। वह कभी शिवपाल और कभी अखिलेश के पक्ष में खड़े होते रहे। आखिरकार उन्होंने सार्वजनिक मंच से स्वीकार किया कि वह अखिलेश यादव के साथ साथ हैं। अखिलेश यादव ही समाजवादी विरासत को आगे बढ़ा सकते हैं।
रामगोपाल को दिखाया बाहर का रास्ता-
सियासत में कई उतार-चढाव देखते हुए मुलायम सिंह यादव ने कई कड़े फैसले भी लिए। जिस वक्त विरासत को लेकर विवाद चला तो मुलायम सिंह ने अपने प्रो रामगोपाल यादव को पार्टी से बर्खास्त करने से भी नहीं हिचके।
मंडल कमीशन खेमे के विरोध में उतरे-
पिछड़ों के हक के लिए निरंतर संघर्ष करने वाले मुलायम सिंह यादव ने एक वक्त ऐसा भी आया जब मंडल कमीशन के विरोधी खेमे में खड़े नजर आए। मंडल कमीशन रिपोर्ट नामक पुस्तक की भूमिका में चंद्रभूषण सिंह ने लिखा है कि जब लालकृष्ण आडवाणी कमंडल लेकर निकले तो चंद्रशेखर ने मंडल लागू न करने संबंधी बयान दे दिया। इसके बाद जनता दल में विद्रोह शुरू हुआ। मुलायम सिंह मंडल विरोधी चंद्रशेखर के साथ हो लिए। इसे लेकर मुलायम सिंह की आलोचना भी हुई, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की।
मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान जितने कड़क फैसले लिए, उतने ही दिल के मुलायम रहे। उन्होंने अपने घनघोर विरोधियों को भी मौका पड़ने पर गले लगाने से नहीं चूके। पेश हैं मुलायम के मुलायम होने की कहानी बयां करती कुछ घटनाएं—
मुलायम और अमर सिंह का दोस्ताना –
अमर सिंह- मुलायम सिंह ने उद्योगपति अमर सिंह को गले लगाया और महासचिव पद सौंपा। चंद दिनों में ही अमर सिंह की हालत पार्टी में नंबर दो की हो गई। लेकिन वर्ष 2010 में अमर सिंह को सपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अमर सिंह ने कई गंभीर आरोप लगाए, लेकिन मुलायम ने इन आरोपों को मुस्कुरा कर टाल दिया।
आजम खां- सपा के गठन में मुलायम सिंह के अजीज दोस्त आजम खां से उनकेरिश्ते बनते -बिगड़ते रहे हैं। कभी अमर सिंह तो कभी कल्याण सिंह की वजह से आजम खां असहज हुए। 27 साल साथ-साथ रहने केबाद 2009 में आजम ने सपा का साथ छोड़ दिया। इसके पीछे असली वजह अमर सिंह को माना गया। आजम खां ने कभी खुलकर मुलायम सिंह के खिलाफ नहीं बोला। इतना जरूर है कि उन्होेंन एक बार शेर पढ़ा कि – इस सादगी पर कौन न मर जाए ऐ खुदा, करते हैं कत्ल और हाथ में तलवार नहीं। फिर चार दिसंबर 2010 को आजम खां की घर वापसी हुई। दोनों मिले तो आंखों में आंसू छलक पड़े।
कल्याण सिंह- प्रदेश की सियासत में एक साथ सफर शुरू करने वाले मुलायम सिंह को छह दिसंबर को 1992 को मुल्ला मुलायम तो कल्याण सिंह को हिंदू सम्राट की उपाधि मिली। भाजपा से रिश्ते खराब होने के बाद कल्याण सिंह ने अलग पार्टी बनाई। वर्ष 2009 से ठीक पहले मुलायम सिंह ने कल्याण सिंह मिले। आगरा में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में एक साथ मंच साझा किया। लेकिन चुनाव में सपा को झटका लगा और फिर दोनों की राहें अलग हो गईं।
बेनी प्रसाद वर्मा- सपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे बेनी प्रसाद मौर्य 2008 में बेटे को टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर नई पार्टी बनाई और फिर 2008 में कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्मा ने मुलायम सिंह के खिलाफ बयान दिया कि मुलायम प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, लेकिन उनकी औकात प्रधानमंत्री कार्यालय में झाड़ूलगाने तक की नहीं है। इसके बाद भी मुलायम सिंह ने कभी भी बेनी प्रसाद के लिए बयान नहीं दिया। हालात बदले और बेनी प्रसाद सपा में वापस आए तो उन्हें सपा ने 2016 में राज्यसभा भेजा।
सियासी जानकार बताते हैं कि वर्ष 1993 में मुलायम सिंह यादव और कांशीराम आपस में मिले तो भाजपा का विजय रथ रोकने में कामयाबी मिली थी। लेकिन मायावती और मुलायम के बीच 23 मई 1995 को दूरियां साफ दिखी थी। क्योंकि इस दिन जब मुलायम सिंह कांशी राम से मिलने पहुंचे तो कांशीराम ने कहा कि बात पत्रकारों के सामने होगी। एक जून को मायावती ने मुलायम सरकार में शामिल अपने 11 मंत्रियों के साथ दावा पेश कर दिया। इसके बाद दोनों की राहें जुदा हो गईं। इसके बाद 15 मार्च 2018 को अखिलेश यादव ने मायावती से मुलाकात कर दोबारा गठबंधन कायम किया। फिर 24 साल बाद 19 अप्रैल 2019 को मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव और मायावती एक मंच पर दिखे। इस दिन सपा- बसपा की एका में नारे लगे। हमेशा 1995 में गेस्ट हाउस कांड की दुहाई देने वाली मायावती ने इस दिन रैली में न सिर्फ मुलायम सिंह के लिए वोट मांगा बल्कि उनकी तारीफ़ भी की और गेस्ट हाउस जैसा कांड भूलने की वजह भी बताई। कहा कि मुलायम सिंह यादव पिछड़े वर्ग के असली नेता हैं।
मुलायम सिंह के निधन पर देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है, समाजवाद को आगे बढ़ाने वाले और पिछड़ों की आवाज बनकर निकले मुलायम को लोग प्यार से धरतीपुत्र भी बुलाते है। 82 वर्ष की अवस्था में मुलायम सिंह के अनंत यात्रा पर निकले पर नेताओं ने दुःख जताया है-
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दुख जताया-
उन्होंने लिखा, “देश के पूर्व रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह का योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा।”
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर दुख जताया।
उन्होंने लिखा, "देश के पूर्व रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह का योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा।" pic.twitter.com/eNN0Scm9kc
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 10, 2022
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जताया दुख
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट कर कहा, मुलायम सिंह यादव जी का राजनीतिक कौशल अद्भुत था। दशकों तक उन्होंने भारतीय राजनीति का एक स्तंभ बनकर समाज व राष्ट्र की सेवा की। जमीन से जुड़े परिवर्तनकारी,सामाजिक सद्भाव के नेता,आपातकाल में लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्षधर के रूप में वे सदैव याद किए जाएंगे। उनका जाना अपूर्णीय क्षति है।
मुलायम सिंह यादव जी का राजनीतिक कौशल अद्भुत था। दशकों तक उन्होंने भारतीय राजनीति का एक स्तंभ बनकर समाज व राष्ट्र की सेवा की।
जमीन से जुड़े परिवर्तनकारी,सामाजिक सद्भाव के नेता,आपातकाल में लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्षधर के रूप में वे सदैव याद किए जाएंगे। उनका जाना अपूरणीय क्षति है।
— Jagat Prakash Nadda (Modi Ka Parivar) (@JPNadda) October 10, 2022
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अखिलेश यादव को पत्र लिखा-
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को पत्र लिखा।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को पत्र लिखा।
उन्होंने लिखा, "वह उच्च सम्मान के नेता थे, जिनका हर कोई सम्मान करता था। भगवान आपको इस दुख को सहन करने की शक्ति दे।" pic.twitter.com/8R4vGwWgWq
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 10, 2022
मुलायम की छोटी बहु अपर्णा यादव ने नेता जी को याद किया-
मेरी गुरु धरती पुत्र नेताजी मेरे लिए “पिताजी” आज गोलोक वासी हो गए । सत्य है,की धरती पर शरीर रूपी जीव नश्वर है।इस सत्य की वेदना सहन करने की मुझे और नेताजी से प्रेम करने वाले सभी लोगो को ईश्वर शक्ति दे।
मेरी गुरु धरती पुत्र नेताजी मेरे लिए “पिताजी” आज गोलोक वासी हो गए ।
सत्य है,की धरती पर शरीर रूपी जीव नश्वर है।इस सत्य की वेदना सहन करने की मुझे और नेताजी से प्रेम करने वाले सभी लोगो को ईश्वर शक्ति दे।#Netaji #MulayamSinghYadav pic.twitter.com/dZl4dhS3x1
— Aparna Bisht Yadav (@aparnabisht7) October 10, 2022
सैफई के लिए रवाना हुआ मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर-
मेदांता अस्पताल से सैफई के लिए रवाना हुआ मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर।
#WATCH हरियाणा: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल से सैफई ले जाया गया। pic.twitter.com/Opes5rJYmV
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 10, 2022
कल सैफई में किया जायेगा मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार, कई राजनैतिक दलों के नेता और शुभचिंतकों के आने का अंदेशा है। अभी कुछ महीने पहले ही मुलायम सिंह की पत्नी साधना गुप्ता का देहवास हो गया था उसके बाद से ही मुलायम सिंह के लिए कयास लगाये जा रहे थे, क्या वो इस दुख को झेल पाएंगे और आज ये आशंका सच हो गई नेता जी अनंत यात्रा पर चले गये। मुलायम सिंह यादव के जाने से भारतीय राजनीति में एक शून्यता आ गई है।