वाराणसी: लाल किले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री और बनारस के सांसद नरेन्द्र दामोदर दास मोदी भ्रष्टाचार से लड़ने की नसीहतें देते है पर इसके ठीक विपरीत उनके खुद के संसदीय क्षेत्र में खुलेआम कानून और लॉ एंड आर्डर की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ऐसा लोगों कहना हैं। इस कथन की पड़ताल करने के दौरान शहर के बहुचर्चित हत्याकांड विभूति भूषण सिंह की मामलें की पड़ताल में इस दावे की पुष्टि होती हैं। किस तरह से आजकल उत्तर प्रदेश की पुलिस काम कर रही है ये बताने की जरूरत नहीं। हाथरस कांड हो या लखीमपुर खीरी पूरे देश ने देखा। जिनके कंधों पर न्याय की जिम्मेदारी हो अगर वहीं अन्याय करें तो इंसाफ का तराजू भी सवालों के घेरे में आ जाता है। फिर इस हत्याकांड में तो हर उस बात की धज्जियां उड़ाई गई जिसको जांच के दायरे में ठीक से कसा जाना जरूरी था।
कौन थे विभूति भूषण सिंह-
शहर के निजी कॉलेज के प्रबंधक और पेशे से इंजीनियर और समाजसेवी विभूति हरिश्चंद्र इंटर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ शशिकांत सिंह के बेटे थे। विभूति भूषण सिंह की 10 फरवरी 2022 को बनारस के अति विशिष्ट इलाके, पुलिस लाइन में विपरीत दिशा से आ रही एक गाड़ी के द्वारा जोरदार टक्कर से मार कर हत्या कर दी जाती है। इस बात की पुष्टि परिजनों के द्वारा दी गई तहरीर से साबित होता है। इस घटना की प्रथम सूचना कैन्ट थाना 11 फरवरी 2022 को दी जाती है। क्योंकि मृतक विभूति भूषण सिंह के परिवार में बुजुर्ग माँ के अन्य महिलाओं के अलावा कोई पुरुष मौजूद नहीं होने के कारण विदेश में बसे छोटे भाई का इंतजार किया जाना जरूरी मालूम हुआ। छोटे भाई के द्वारा एयरपोर्ट से सीधा पहले अर्दली बाजार चौकी पर पोस्टमार्टम की कार्यवाही और उसके बाद कैन्ट थाना जाकर प्रथम सूचना देने की कार्यवाही दोपहर के 12.30 बजे के आसपास दी जाती है लेकिन मामला पंजीकृत होता है रात के 9 बजे के आसपास।
अपराध का घटनास्थल कानून कैन्ट थाने के अंतर्गत होना बताया जाता है। मृतक विभूति भूषण सिंह के भाई के आने के बाद पुलिस को दी गई सूचना के आधार पर पुलिस आरोपित महादेव महाविद्यालय के प्रबंधक अजय सिंह, पार्थ सिंह, सीमा सिंह, विनोद सिंह, अवनीश सिंह, और पीयूष पटेल के खिलाफ IPC 302, 506, 120B के तहत मामला पंजीकृत करती है। लेकिन दूसरी तरफ पीड़ित परिवार और वादी मृतक के छोटे भाई को कैन्ट थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अजय सिंह के द्वारा दबाव डालकर ये कहा जाता है कि तहरीर में से चंद बातें आप हटाइये की जानबूझ टक्कर मारी गई !
आखिर क्यों थाना प्रभारी प्रथम सूचना में संसोधन करना चाहते थे-
कैन्ट थाना प्रभारी के द्वारा इस घटना को महज दुर्घटना बताना और परिजनों के ऊपर दुर्घटना की तहरीर लिखवाने का दबाव बनाना पहले घंटे से संदेहास्पद रहा है। लेकिन परिजनों मुताबिक इस घटना के पीछे अजय सिंह के द्वारा किये गये राजस्व के बड़े फर्ज़ीवाड़े और कॉलेज चलाने संबंधित बीएड की मान्यता को लेने के लिए जमीन का फर्ज़ीवाड़ा उससे जुड़ी तहकीकात इस हत्या की बुनियादी वजह है। इसको लेकर तमाम कानूनी दांवपेंच के मामलें वाराणसी के विभिन्न न्यायालय में होने और इस फर्ज़ीवाड़े की स्थानीय पुलिस की तरफ लीपापोती और लापरवाही के साथ आरोपी के साथ मिली भगत के कारण सिंतबर 2021 में 156 (3) के तहत अदालत के जरिये मुकदमा कायम करने की अर्जी कोर्ट में दाखिल है। इस अर्जी के दाखिल होने की वजह और आरोपी के द्वारा पीड़ित परिवार देख लेने और मार देने की धमकी देने पर ग्रामीण पुलिस को लिखत में प्राथर्ना पत्र और सूचना 2021 में भी दी गई है। वाराणसी न्यायालय में चल रहे सभी मुकदमों में मृतक विभूति भूषण सिंह पैरवीकार थे और परिवारजनों की तरफ से सभी मामलों की पैरवी कर रहे थे। इसलिए अजय सिंह के द्वारा 2018 में भी विभूति को जान से मार देने की धमकी मिल रही थीं और उनकी गाड़ी का पीछा अजय सिंह के लोगों के द्वारा किया जाना भी पड़ताल में निकल कर आया। इन सभी कारणों को परिजनों ने कैन्ट थाना प्रभारी को बताया इस मामलें में नियुक्त विवेचना अधिकारी सतीश यादव को सबूत सहित बयान में बताते हुये निष्पक्ष जांच की मांग की।
लेकिन निष्पक्ष जांच की मांग आज तक पूरी नहीं हुई क्योंकि पुलिस की मंशा कभी न्याय करने की रही ही नहीं, बल्कि इस मामलें को लेकर हरसंभव लीपापोती पुलिस करती रहीं। परिजनों के द्वारा इस मामलें में कोई संतोषजनक कारवाई ना होता देख कर शहर के पुलिस कमिश्नर से जांच टीम को बदल कर अपनी योग्य अफसरों से विवेचना करवाने की मांग घटना के बाद से लगातार उठाई जाती रही, पर कोई उत्तर कभी नहीं मिला। बल्कि पीड़ित परिजनों से आज तक कभी कमिश्नर ने मुलाकात तक नहीं की क्योंकि कमिश्नर के पास समय का अभाव था। ऐसा उनके PRO के द्वारा बताया गया।
पुलिस की लीपापोती और संगलिप्तता-
एक तरफ जहां पुलिस अपराधी को लूट-पाट जैसे जुर्म में पॉकेटमारी करने में गिरफ्तार करके विवेचना करती है। इस मामलें में पुलिस ने किसी भी आरोपी से पूछताछ तक करनी जरूरी नहीं समझी उल्टा आरोपी खुलेआम गाड़ियों के काफ़िले के साथ शहर में घूमता देखा गया। इस बात की शिकायत करने पर फिर से पुलिस ने उल्टा परिवार पर ही दबाव बनाना शुरू किया और उसकी मंशा विवेचना की जगह आरोपियों को बचाने की ज्यादा रही इसकी पुष्टि भी पुलिस की रिपोर्ट और कागजातों को देख कर पता लगता है। पुलिस ने किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया और ना ही घटना के पीछे के कारणों पर जो परिवार के तरफ से दिये गए थे ठीक से विवेचना ही नहीं की।
FIR लिखने के बाद तुरंत ही पुलिस ये लिखती है कि ये महज दुर्घटना हैं, हत्या नहीं ? बिना विवेचना के अजय सिंह कैन्ट थाना प्रभारी को ये कैसे पता था….इस कड़ी में आगे और भी किरदार है, जिनकी विस्तृत रिपोर्ट आगे।
Ye nayi baat nahi hai, mere sath bhi aisa hi huaa , Luxa police station ke SI Accused se mil kar victim ko fasaya gaya ,
Jab is baat ki information SSP ko diya to unka reply aaya i don’t help u,
Ajay Singh aaj se nahi 2010 se janta hu , hafta vasooli karte the , Three wheeler se , is baat ki information jab SSP ko diya to wo boli proof lekar aa jaao office, itana bada bevkoof to hu nahi main jo proof lekar unke paas jata because jo hafta vasooli Cant pe hota hai usaka hissa SSP ko bhi jata hoga,
Isiliye jab koi police wala Marta hai to public khus hoti hai yahi vajah hai