वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रशासन अभी तक सुचारू रूप से प्रवेश परीक्षा और दाखिले को सुचारूरूप से करवा पाने में असफल रहा है। सितंबर के आगमन के आने के बावजूद अभी तक दाखिला पूरा नहीं हो पाया है। वहीं दूसरी ओर प्रवेश परीक्षा की शुचिता को लेकर छात्रों के आरोप का क्रम जारी है। इस क्रम में छात्रों के एक गुट ने एलएलबी की प्रवेश परीक्षा में व्यापक पैमाने पर नकल होने का आरोप लगाया है। छात्रों का दावा है कि परीक्षा के दौरान LLB का भी पेपर वायरल हो गया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे जानबूझ कर दबा दिया ताकि एलएलबी की प्रवेश परीक्षा दोबारा न करानी पड़े। छात्रों ने एलएलबी की प्रवेश परीक्षा भी निरस्त करने की मांग की है।
इस संबंध में छात्रों ने कुलसचिव को एक पत्रक भी सौंपा है। इसमें कहा गया है कि गत 16 अगस्त को मानविकी, विधि, वाणिज्य व समाज विज्ञान संकाय में हुई एलएलबी की प्रवेश परीक्षा में व्यापक पैमाने पर नकल हुई। कई परीक्षार्थी मोबाइल लेकर परीक्षा में बैठे थे। परीक्षा के दौरान इन परीक्षार्थियों ने वाट्स-एप पर पेपर बाहर भेज दिया था। परीक्षार्थियों की हरकत सीसी कैमरे में भी कैद है। छात्रों ने कुलसचिव से एलएलबी प्रवेश परीक्षा में हुई नकल की जांच कराने की मांग की है ताकि यह परीक्षा दोबारा कराई जा सके।
छात्रों का कहना है कि कुलसचिव डा. सुनीता पांडेय सिर्फ जांच कराने का आश्वासन दे रहीं हैं लेकिन इस प्रकरण पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विद्यापीठ प्रशासन बार-बार जांच कमेटी की रिपोर्ट आने पर कोई कार्रवाई करने का आश्वासन दे रहा है I जबकि सच्चाई यह है कि एलएलबी प्रवेश परीक्षा की जांच के लिए कोई कमेटी ही नहीं गठित की गई है। एलएलएम प्रवेश परीक्षा की जांच के लिए समिति गठित की गई थी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर एलएलएम की परीक्षा निरस्त भी की जा चुकी है। वही आरोप के बाद भी एलएलबी प्रवेश परीक्षा की उत्तर कुंजी वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है। कुलसचिव को पत्रक सौंपने वालों में आकाश राय, आलोक कुमार, अमृत राज सिंह सहित अन्य लोग शामिल है।
वहीं ये कोई दूसरा मौका नहीं जब कुलसचिव को कटघरे में खड़ा होना पड़ा है, लगातार हर मोर्चे पर उनकी कार्यशैली में कमियां देखने को मिलती रही है छात्रों का कहना है कि कुलसचिव की ये दूसरी पोस्टिंग है और कार्यकुशलता की कमी के साथ-साथ विश्विद्यालय के पुराने गुटों के घेरे में होने के कारण कुलपति के तमाम कोशिशों के बाद भी सुधार उस तरह नहीं हो रहा जिस तरह होना चाहिए।