जमशेदपुर (झारखंड) में सरकार के नाक के नीचे खुलेआम नियमों को धता बताते हुये बेखौफ घरेलू गैस सिलिंडर से गैस चोरी कर के बेचने का कारोबार चल रहा है। केन्द्र मे नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद (2014) से एक बड़ा बदलाव यह आया कि मध्यमवर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार को केन्द्र सरकार से एक बड़ा झटका लगा और घरेलू रसोई गैस की कीमत आसमान में उडते गुब्बारे की तरह 450 रुपये से 1050 रुपये पर पहुँच गई और इस महंगाई की मार से जख्मी इस वर्ग को गैस सिलिंडर से गैस की चोरी करने वालों ने उस जख्म पर नमन लगाने का कार्य किया। इसी पड़ताल में तक्षकपोस्ट की टीम को सूचना मिली शांतिनगर (बारीडीह, जमशेदपुर) में खुलेआम चल रहे अवैध रूप से गैस कटिंग के काम और उससे होने वाली कालाबाज़ारी की, इसमें चौकानें वाली बात ये है कि बिना प्रशासन के सहमति के 500 से ज्यादा सिलिंडर का स्टाक कर गैस कटिंग का काम करना संभव नहीं। तो ये कैसे मुमकिन है कि बिना प्रशासन के जानकारी के ये धंधा हो रहा है।
ये चोरी का धंधा और इनके काम करने का तरीका कुछ ऐसा है की जब कोई ग्राहक अपने घरेलू इस्तेमाल के लिए सिलिंडर बुक करता है तो उसको सिलिंडर की डिलीवरी से पहले गैस कंपनी का डिलीवरी ब्वाय सिलिंडर लेकर सबसे पहले ऐसे ही अवैध रूप से संचालित गोदामों में पहुंचते हैं और वहाँ से 2 से 4 किलो गैस कटिंग करवाने के बाद उसे पुनः सील करके ग्राहकों को डिलीवरी देते हैं।
ऐसे कई अवैध गोदाम शहर में खुलेआम चल रहे हैं और ऐसा पता चला है इस गोरखधंधे में प्रशासन से लेकर स्थानीय नेताओं तक की मिलीभगत है। इस गोदाम का संचालनकर्ता ‘समरेश उर्फ पिन्टू’ बताया जाता है। विचित्र बात यह है कि दिन भर अलग अलग थाने की गाड़ीयों का वहाँ आना जाना है। NH33 स्थित बडे़ बडे़ होटलों, रेस्टोरेंटस ढाबों और मोटर्स में खुलेआम इनकी अवैध सिलिंडर की आपूर्ति होती है।
जहाँ यह अवैध गोदाम स्थित है वह विशुद्ध रूप से एक घना आवासीय क्षेत्र है और वो पूरा का पूरा क्षेत्र एक हिसाब से बारुद के ढेर पर बैठा है। पिछले सप्ताह ही गैस कटिंग का काम करते आग लग गई और चार लोगों के बुरी तरह से झुलसने की सुचना है। ऊपर से विडम्बना यह है कि पुलिस केस के और मामले के उजागर होने के डर से घायलों को अस्पताल नहीं ले जाकर गोपनीय रुप से भुमिगत जगह पर घायलों का ईलाज करवा कर लौट आई। अब सवाल ये है कि इन अवैध कारोबारियों पर कौन कारवाई करेगा।
तक्षकपोस्ट पर खबर लिखे जाने से पहले तक लोकल स्तर पर हर संभव कोशिश ये की गई कि किसी भी तरह से ये खबर रोक दी जाये।