वाराणसी: बनारस के कुख्यात भू माफिया और चर्चित हत्या के मामलें विभूति भूषण सिंह की हत्या करवाने के आरोप में अपने कॉलेज सहायकों और पुत्र समेत 302 के आरोपी अजय सिंह ने अपने पुराने कीर्तिमान को बरकरार रखते हुये इस बार फर्ज़ीवाड़ा शहर में नये आये IPS संतोष कुमार सिंह के नाम पर कर दिया। शहर भर और लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से अजय सिंह की तस्वीर लगी योग दिवस के आयोजन की तस्वीर ने उस वक्त हंगामा मचा दिया जब उसमें लिखा नाम लोगों ने पढ़ा।
इस आमंत्रण में भाजपा के नेता अनिल राजभर और नये उपर पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह को अतिविशिष्ट अतिथि बनाये जाने की बात और नेतागिरी स्टाइल में अजय सिंह के एक साथ नाम।पाये जाने की बात सामने आने के बाद हंगामा बढ़ा और स्वर्गीय विभूति भूषण सिंह के परिजनों के संज्ञान में मामला आया तो उनकी तरफ से ये सवाल उठा कि एक हत्या के आरोपी और गंभीर धाराओं में नामजद व्यक्ति के यहां शहर का कप्तान क्यों जा रहा है? इस तरह से कैसे न्याय होगा। पुलिस पहले ही लीपापोती कर रही हैं।
इस मार्फत जब संतोष सिंह के कार्यालय में संपर्क साधा गया तो संतोष सिंह ने बताया वो अजय सिंह को नहीं जानते और ना ही ऐसे किसी कार्यक्रम में जाने की उनकी तरफ से कोई सहमति दी गयी है।
अब यहीं से कहानी में ट्विस्ट आता है कि बिना संतोष सिंह के रजामंदी से कैसे अजय सिंह ने अपने निजी फायदे के लिए उनका नाम इस्तेमाल किया और पुलिस की वर्दी की आड़ में खुद को हत्या के मुकदमों से बचाने के लिए कोई चाल तो नहीं है।
अजय सिंह का रिकॉड बेहद खराब और आपराधिक रहा है उसके और उसके कॉलेज महादेव PG कॉलेज पर अनगिनत मुक़दमे वाराणसी की लोकल कोर्ट में चल रहे हैं। इसके अलावा उसके नाम राजस्व का एक बड़ा फर्ज़ीवाड़ा और उसके बल पर फ़र्ज़ी तरीके से बीएड की मान्यता और कॉलेज़ चलाने का आरोप भी है इसके साक्ष्य पहले भी तक्षकपोस्ट वाराणसी जिलाधिकारी के संज्ञान में डाल चुका है और इसी राजस्व के फर्ज़ीवाड़े को छुपाने और खुद को बचाने के लिए उसने विभूति भूषण सिंह की हत्या करवाई है। ये शहर के कई गणमान्य लोगों का कहना है।
अब सवाल ये है कि बुलंदशहर से नये आये प्रमोटेड आईपीएस संतोष कुमार सिंह क्या हंगामा होने के बाद पीछे हटे या वो वाकई में अजय सिंह की मदद कर रहे है क्योंकि अगले साल उनकी रिटायरमेंट भी है ऐसे में तमाम कुर्सी धारी अपने लिए जगह तलाशते है ! तो क्या संतोष सिंह भी उनमें से एक है।
ये कैसे संभव है कि पुलिस अधिकारी को ये नहीं पता कि अजय सिंह हत्या के मामलें में नामजद है और अभी तक उसपर लगे आरोप दोषमुक्त नहीं हुये है तो फिर संतोष सिंह वहां कैसे जाने वाले थे। दूसरी तरफ अगर वो वाकई नहीं जाने वाले थे तो फिर उनके नाम के दुरुपयोग पर वो क्या सख्त कदम उठाएंगे ।