वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ की वर्तमान संकाय प्रमुख को हटाकर विश्वविद्यालय के किसी संबंध महाविद्यालय के प्राचार्य को संकाय प्रमुख नियुक्त किया है। इस बात को लेकर विश्वविद्यालय में तरह-तरह की चर्चा व्याप्त है।
मिली जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय में ये पहला मामला है जब कुलपति ने भ्रष्टाचार और मिलने वाली अध्यापकों की शिकायतों को देखते हुये छात्रों के हित में फैसला लिया हैं। इस मामलें में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय के विरुद्ध अनगिनत शिकायतें और विरोध के स्वर तेज होने पर कुलपति त्यागी ने ये कदम उठाया है जिसके तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संकाय प्रमुख प्रो, सत्या सिंह पद से हटा दिया गया है। इसके साथ ही राम मनोहर लोहिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय भैरो तालाब के प्राचार्य डॉ आशुतोष कुमार को नए संकायाअध्यक्ष नियुक्त किया गया है इसकी सूचना भी निकाल दी गई हैं।
इस कदम के पीछे, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय के अंतर्गत भूगोल विभाग के एक संविदा शिक्षक का फरवरी 2022 से आज तक की सैलरी प्रोफेसर सत्या सिंह ने रोक दी थी। इसके विरोध में उक्त शिक्षक ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी को लिखित रूप से अपनी शिकायत की थी। इस बात को लेकर कुलपति ने प्रो,सत्या सिंह समझाने के साथ नियम के अनुसार काम करने की बात भी की थीं, लेकिन प्रोफेसर सत्या सिंह पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और इसके बाद शिकायतकर्ता शिक्षक को और ज्यादा प्रताड़ित किया जाने लगा। इसी बात से खफा होकर विश्वविधालय के कुलपति प्रो, आनंद कुमार त्यागी ने प्रोफेसर सत्या सिंह को संकाय प्रमुख पद से हटा दिया है।
यह पहली बार हुआ है, विश्वविद्यालय ने सत्या सिंह के ऊपर कार्रवाई की है। इसके पहले जितने भी कुलपति आए वह सत्या सिंह के सामने नतमस्तक ही दिखे। लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी ने सख्त कार्रवाई करते हुए इनको पद से बेदखल किया हैं।
कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी को लंबे समय से छात्र नेताओं एवं कर्मचारीयो तथा शिक्षकों का शिकायतें मिल रही थीं। लेकिन इस मामलें में कुलपति के अलावा अन्य किसी अधिकारी ने संज्ञान लेना जरूरी नहीं समझा। पूर्व के कुलपतियों के साथ साँठ-गांठ के कारण सत्या सिंह को लगता रहा कि इस बार भी कुछ नहीं होगा और पूर्व कुलपति त्रिलोकीनाथ सिंह की लगाई संविदा शिक्षकों की प्रताड़ना की आग को सत्या सिंह ने और हवा देते हुये लंबे समय से जब तनख्वाह रोक दी तो सारी हदें टूट गई। मानवीय संवेदना और गंभीरता से इस मामलें को प्रोफेसर त्यागी ने निपटाया है वो काबिले तारीफ है।