प्रयागराज: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने प्रयागराज में तीन और उम्मीदवारों के नाम घोषित किये है। जारी सूची में प्रयागराज में शहर दक्षिणी सीट से रईस चंद्र शुक्ला, शहर पश्चिम सीट पर अमरनाथ मौर्या और प्रतापपुर सीट पर पूर्व विधायक विजमा यादव को प्रत्याशी बनाया गया है।शहर की दोनों सीटों पर सपा ने जो नाम घोषित किए हैं वह बहुत चौंकाने वाले हैं। एक तो सपा ने अपने उम्मीदवार घोषित करने में बहुत देर कर दी है। दूसरे दोनों सीटों पर सपा ने अपने पुराने नेताओं को दरकिनार कर भाजपा से आते नेताओं को टिकट दिया है।
शहर पश्चिमी सीट पर पिछली बार छात्र नेता ऋचा सिंह को समाजवादी पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वह भाजपा की लहर में सिद्धार्थनाथ सिंह से हार गई थीं। इस बार भी ऋचा ने सपा से शहर पश्चिमी सीट के लिए दावेदारी की थी लेकिन उनका टिकट काटकर अमरनाथ मौर्य को कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ के खिलाफ उम्मीदवार बनाया गया है। दो दिन पहले चर्चा थी कि यह सीट अपना दल कमेरावादी को दी जा रही है। सन 1927 के बाद ऐसा पहली बार था जब कोई छात्रा इलाहाबाद विश्वविद्यालय की अध्यक्ष चुनी गई थी। अध्यक्ष बनने के बाद छात्र-छात्राअें के मुददों पर प्रशासन से लोहा लेने वाली ऋचा सिंह अपने कार्यकाल में अधिकतर समय सुर्खियों में रही। उनकी सबसे ज्यादा चर्चा उस समय हुई थी जब छात्र संघ के उदघाटन समारोह में उन्होंने बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गोरखपुर के सांसद महंत आदित्यनाथ के आने का विरोध किया था। ऋचा सिंह कहती हैं, राजनीति में मेरा आने का मकसद कमजोर और महिलाओं के लिए संघर्ष करके उन्हें न्याय दिलाना है। एक छात्रनेता के तौर पर लोगों ने मेरा काम देखा है। उन्होंने बहुत मेहनत शहर पश्चिमी में की थी। हर मामले में वह लोगों के साथ खड़ी रही।
रिचा सिंह का टिकट कटने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी-
शहर पश्चिम से डॉ. ऋचा सिंह 2017 के विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही थीं। उन्हें 60 हजार से अधिक मत मिले थे। पांच सालों में डॉ. ऋचा सिंह ने बतौर सेकेंड पोलर क्षेत्र में काफी मेहनत की थी। शहर पश्चिम की जनता के हर सुख-दुख में ऋचा सिंह खड़ी रही हैं। डॉ. ऋचा सिंह पूरी तरह आश्वस्त थीं कि उन्हें टिकट मिलेगा। टिकट कटने से सपा कार्यकर्ताओं को भी झटका लगा है। दोनों विधानसभा सीटों पर सपा के पास मजबूत उम्मीदवार होने के बाद बाहरी को टिकट देने से खासी नाराजगी है। पार्टी के नेता अजीत विधायक कहते हैं जिसने क्षेत्र में पांच साल तक अपना खून-पसीना एक कर क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क कर रहा है। उसका अचानक से टिेकट काट देना कहां तक उचित है। फिर भी टिकट कटना समझ से परे है। वह भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ बहुत मजबूती से लड़ती।
प्रतापपुर से एक बार फिर उम्मीदवार विजमा यादव पहले तीन बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर 1996 और 2002 में झूंसी और 2012 में प्रतापपुर सीट से विधायक चुनी जा चुकी हैं। सन 2017 में वह प्रतापपुर में ही बसपा के मुज्तबा सिदिद्की से चुनाव हार गई थीं। शहर दक्षिणी सीट के सपा प्रत्याशी रईस चंद्र शुक्ल को भाजपा ने एमएलसी चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। रईस चंद्र को सपा के वासुदेव यादव ने पराजित कर दिया था। फिर वह सपा में शामिल हो गए और अब उन्हें शहर दक्षिणी सीट पर भाजपा के मौजूदा कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा गया है। वह बड़े कारोबारी हैं। उनका पेट्रोल पंप भी है।
इस तरह से समाजवादी पार्टी प्रयागराज में अब तक 11 सीट पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है।सपा से शहर दक्षिणी से पूर्व विधायक हाजी परवेज अहमद बड़े दावेदार थे।सन 2017 का चुनाव वह भाजपा के नंद गोपाल गुप्ता नंदी से बड़े अंतर से हार गए थे। इसके अलावा कांग्रेस नेता विजय मिश्रा और भाजपा छोड़ कर सपा में शामिल हुए शशांक त्रिपाठी भी शहर दक्षिणी से सपा के दावेदार थे। उन्होंने ने तो क्षेत्र में अपने बैनर पोस्टर भी लगा दिए थे। पिछले दो महीने से वह क्षेत्र में सक्रिय थे। लेकिन ऐन वक्त पर उनका टिकट कट गया।
भाजपा से सिध्दार्थ नाथ सिंह हैं प्रत्याशी-
भाजपा की ओर से 28 जनवरी को प्रयागराज की 6 विधानसभा सीटों के उम्मीदवार की घोषणा की गई थी। शहर पश्चिमी से एक बार पार्टी ने अपने सीटिंग विधायक सिद्धार्थनाथ को उम्मीदवार बनाया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी वह यहां से जीते थे। उन्होंने 2 बार की पूर्व विधायक बसपा उम्मीदवार पूजा पाल को हराया था। उल्लेखनीय है कि पूजा पाल कौशाम्बी के चायल विधानसभा सीट से इस बार सपा उम्मीदवार हैं। शहर पश्चिमी पर अतीक अहमद का दबदबा रहा है। पूर्व सांसद और 5 बार विधायक रहे अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन पिछले दिनों लखनऊ में एआईएमआईएम में शामिल हुई थीं।
शहर पश्चिम सीट पर अतीक अहमद का खासा प्रभाव है। वह यहां से एक बार अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को भी जिता चुके हैं।चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें, तो 1989, 1991, 1993 में निर्दलीय विधायक रहे अतीक के दम पर ही यहां सपा ने जीत का परचम लहराया था। अतीक ने 1996 में भाजपा के तीरथ राम कोहली को 35,099 वोट से हराया था। 2002 में अतीक ने अपना दल के टिकट पर सपा के गोपालदास यादव को 11,808 वोट से पराजित किया। 1989 से 2002 तक इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं के समीकरण अतीक पर ही टिके रहे हैं।