अगले महीने की दस तारीख यानी 10 फरवरी से पाँच राज्यों में पहले चरण के मतदान के साथ चुनावी प्रक्रिया विधिवत शुरू हो जाएगी। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब मणिपुर और गोवा इन पाँच राज्यों में कुल सात चरणों में मतदान होना है। इन राज्यों में सबसे बड़ा राज्य होने के नाते उत्तर प्रदेश में सात चरणों में, उत्तर प्रदेश की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा राज्य होने के बावजूद मणिपुर में दो चरणों में जबकि शेष राज्यों में अलग – अलग दिन एक ही चरण में मतदान की प्रक्रिया पूरी होनी है।
मार्च के पहले सप्ताह तक मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 10 मार्च को सभी राज्यों में एक ही दिन वोटों की गिनती का काम पूरा होने के बाद नई विधानसभाओं के गठित होने की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी। इस देश में काभी वो समय भी था, जब सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही हुआ करते थे लेकिन साल 1962 के बाद देश में बनी राजनीतिक अस्थिरता की स्थितियों के चलते विधानसभाओं के मध्यावधि चुनाव का सिलसिला ऐसा सिलसिला बना कि अब लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव एक साथ होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। 1977 के बाद तो लोकसभा के भी अधबीच भंग हो जाने और नई लोकसभा के गठन के लिए मध्यावधि चुनाव कराने का सिलसिला भी शुरू हो गया था , इसके बाद तो लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होने की रही सभी संभावना भी जाती रही थी । इस अस्थिर राजनीतिक मनःस्थिति के चलते अब तो राज्य देश के सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव भी एक समय पर नहीं हो पाते । इसके परिणाम स्वरूप अब इस देश में लगभग हर साल और हर महीने किसी न किसी राज्य विधानसभा के चुनाव का सिलसिला बना ही रहता है ।
हाल के वर्षों में इसे इस तरह भी देखा जा सकता है । पिछले साल 2021 में ही तो बंगाल , केरल , तमिलनाडु , असम और केंद्र शासित क्षेत्र पुडुचेरी में विधान सभा चुनाव हुए थे , इससे एक साल पहले साल 2020 में बिहार समेत कुछ राज्य विधानसभाओं के चुनाव सम्पन्न हुए थे। इस साल 2022 में इन राज्य विधानसभाओं के चुनाव हो रहे हैं । इसके अगले साल यानी 2023 में भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के साथ ही कई राज्यों में विधानसभाओं के चुनाव होने हैं और उसके एक साल बाद 2024 में अठारहवीं लोकसभा के साथ ही महाराष्ट्र और हरियाणा में भी विधानसभा के चुनाव होंगे । इस तरह हम कह सकते हैं कि 2019 से लेकर 2024 के बीच पूरे पाँच साल की अवधि में एक भी साल ऐसा नही है जब किसी तरह का चुनाव नहीं हुआ हो। प्रसंगवश जब हम विधायी निकायों (लोकसभा और विधानमंडलों ) के चुनाव की बात की बात करें तो हम देखते हैं कि 1952 में आजाद भारत की पहली लोकसभा और राज्य विधान मंडलों के चुनाव का जो सिलसिला शुरू हुआ है उसमें अब तक हर बार चुनाव का अलग ही नजारा देखने को मिला है। हर चुनाव पहले चुनाव से कहीं अधिक बदल हुआ और अलग तरह की छटा में लिपटा नजर आता है। इस लिहाज से इस बार होने वाला विधानसभा चुनाव भी अपवाद नहीं है । पंजाब , उत्तराखंड , उत्तर प्रदेश , मणिपुर और गोवा सभी राज्यों में चुनाव के मुद्दे भी अलग – अलग ही हैं, और यह चुनाव इन राज्यों में पाँच साल पहले 2017 में हुए चुनाव से भी अलग नजर आता है । हर चुनाव पिछले चुनाव से भिन्न कैसे होता है , इसका पता चुनाव को लेकर विभिन्न दलों के नेताओं के बयानों के साथ ही प्रमुख पार्टियों में चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा के बाद होने वाली छटपटाहट से चलता है ।
इस बार का यह चुनाव कितनी बहुरंगी छटाओं से लिप्त है इसका अंदाज चुनाव के संदर्भ में पिछले एक सप्ताह के दौरान सामने आने वाली समाचार पत्रों की सुर्खियों से आसानी से लगाया जा सकता है। मिडिया की ये सुर्खिया कुछ इस तरह का समा बांधती नजर आती हैं। गोवा में पिछले पाँच साल में 50 फीसदी विधायकों ने पाला बदला। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर के बेटे उत्पल पार्रिकर को नहीं दिया भाजपा ने टिकट , पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे उत्पल। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय पर दिल्ली की सीमा पर धरने में बैठे पंजाब के किसान संगठनों ने किया चुनाव में भाग लेने का ऐलान किसान। आन्दोल के दो संगठनों -पंजाब संयुक्त संघर्ष पार्टी और संयुक्त समाज मोर्चा के नाम से दो पार्टियों में हुआ गठबंधन , बलबीर सिंह राजेवाल बने गठबंधन के नेता। पंजाब चुनाव में पहली बार बिग ब्रदर बनी भाजपा , अभी तक अकाली दल की सहयोगी पार्टी के रूप में चुनाव लड़ने वाली भाजपा ने पहली बार पंजाब लोक काँग्रेस और अकाली दल के बागी नेता सुखदेव सिंह ढिंडसा के नेतृत्व में गठित संयुक्त अकाली दल के साथ किया गठबंधन। भाजपा ने विधान सभा की 65 सीटों पर खुद लड़ने का किया ऐलान। काँग्रेस के बागी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह की पंजाब लोक काँग्रेस को दी 37 सीट और 15 सीट पर चुनाव लड़ेगी ढिंडसा की पार्टी संयुक्त अकाली दल । उत्तर प्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती की नजर मुस्लिम , दलित और पिछड़ा वोट बैंक पर बिहार में भाजपा समेत कई दलों की गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे नीतीश कुमार की पार्टी एकीकृत जनता दल उत्तर प्रदेश में अकेले लड़ेगी चुनाव ।
उत्तर प्रदेश में चुनाव के लिए ओवेसी की पार्टी ने कई छोटे – छोटे दसलों के साथ मिल कर बनाया भागीदारी मोर्चा। काँग्रेस महासचिव और पार्टी की उत्तर प्रदेश मामलों की प्रभारी प्रियंका गांधी ने कहा, उनकी पार्टी भाजपा को छोड़ कर किसी भी पार्टी के साथ कर सकती है समझौता। काँग्रेस, भाजपा, और सपा समेत देश की प्रमुख पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं में टिकट कटने के बाद मची भगदड़। सपा नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, इस बार जनता को भाजपा से ज्यादा उम्मीदें सपा से हैं। उत्तर प्रदेश चुनाव में पाकिस्तान की एंट्री , प्रचार के दौरान पाकिस्तान के पक्ष में की गई अखिलेश की एक टिप्पणी से भाजपा और सपा नेताओं ने खडा किया विवाद। हार्दिक पटेल और कन्हैया कुमार काँग्रेस के स्तर प्रचारकों में शुमार। चुनाव विशेषज्ञ प्रशांत किशोर ने कहा भाजपा को हराने के लिए गैर भाजपा दलों को एकजुट होने के साथ ही भाजपा की उस रणनीति का भी तोड़ निकालना होगा, जिसके तहत भाजपा हिन्दुत्व, चरम राष्ट्रवाद और लोक कल्याणकारी नीतियों के संगम से मतदाताओं को रिझाने में सफल रहती है, विपक्षी दसलों को कम से कम इनमें से दो मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देकर तदनुकूल रणनीति अपनानी होगी ।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने भाजपा से सपा में में आए राज्य के पूर्व केबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे को नहीं दिया विधानसभा चुनाव का टिकट। उत्तराखंड में भाजपा से काँग्रेस में आए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों में मंत्री रहे हरक सिंह रावत को नहीं दिया टिकट। हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाई को दिया कोटद्वार से पार्टी का टिकट हरक सिंह की राजनीतिक उत्तराधिकारी कही जाती हैं, ग्लैमर की दुनिया से राजनीति में प्रवेश करने वाली माडल अनुकृति।
भाजपा के लिए कितना बाद खतरा होगा हरक सिंह रावत का काँग्रेस में जाना उत्तराखंड काँग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सरकार के, पूर्व केबिनेट मंत्री किशोर उपाध्याय को नहीं मिला टिकट पार्टी से निकाला बाहर, अब भाजपा की शरण में किशोर। बसपा नेता मायावती ने कहा, उत्तर प्रदेश में दलित समाज अपना नया ठिकाना तलाश रहा है। उत्तर प्रदेश में सपा ने ओपिनियन पोल पर रोक लगाने की मांग की। उत्तर प्रदेश में सपा नेता आजम खान के गढ़ रामपुर में कॉंग्रेस के घोषित उम्मीदवार बने अपना दल के उम्मीदवार। योगी बोले ,यूपी में जनता नहीं माफिया कर रहे पलायन। सपा से नाराज होकर भाजपा में गई , मुलायम सिंह यादव की छोटी पुत्रवधू अपर्णा बिष्ट यादव ने कहा , योगी उनके बड़े भाई , उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा जीती तो बेटियाँ रहेंगी सुरक्षित, मायावती ने किया सवाल, गोरखपुर मठ के बारे में बताएं योगी। योगी का दावा, पाँच साल में प्रदेश की छवि बदली। देश का सबसे लंबा व्यक्ति सपा के साथ। विधानसभा चुनाव के इन हालात को देख कर किसी ने फेस बुक में बहुत ही रोचक टिप्पणी की है। यह टिप्पणी आज की सत्तासीन राजनीति पर एक गहरा तंज भी है। “दिन में होगा घना अंधेरा , जश्न मनेगा रात में : यूपी में मंदिर बनेगा और कारखाना गुजरात में “