कोरोना महामारी के कारण कार्यसमिति की 18 महीने के बाद फिजिकल मीटिंग हुई, इससे पहले वर्चुअल मीटिंग हुई और कोविड के कारण ही पार्टी ने पहले देश और जनता के हितों का ख्याल रखते हुये अपने अध्यक्ष के चुनाव को टाल दिया था। बैठक में पार्टी की अंतरिम चुनाव के साथ देश में उपजे हालात और गिरती अर्थव्यवस्था के साथ किसानों के साथ हो रहे दमन पर चर्चा हुई।
इस बार की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष के संदर्भ में पूछे प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति के हर साथी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी में उनका गहन विश्वास है। उनके नेतृत्व, उनकी कार्यकुशलता में, अस्वस्थता के बावजूद, वे जिस प्रकार से किसी सामान्य स्वस्थ व्यक्ति से ज्यादा 24 घंटे काम करती हैं; उसमें कांग्रेस कार्यसमिति के हर सदस्य ने उनके नेतृत्व में विश्वास जताया और ये जो कभी अंतरिम अध्यक्ष, कभी पूर्णकालिक अध्यक्ष की खबरें थी; कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों ने ही उसे सिरे से खारिज कर दिया और अनुरोध किया कि अगले चुनाव तक कांग्रेस अध्यक्षा हमारा नेतृत्व करें।
आने वाले विधानसभा चुनावों को सुरजेवाला ने कहा कि जिन-जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, उन सबके महासचिव/ प्रभारियों ने प्रदेश की राजनीतिक परिस्थिति, किस प्रकार से वहाँ निर्धारित है रणनीति चुनाव की, किस प्रकार से वो आगे बढ़ेंगे, क्या-क्या कदम उठा लिए गए हैं, कितने दिनों में क्या-क्या और कदम उठाए जाएंगे चुनाव की तिथि तक, उस पर एक विस्तृत रिपोर्ट कांग्रेस कार्यसमिति के समक्ष रखी।
तीन महत्वपूर्ण प्रस्ताव कांग्रेस कार्यसमिति ने पारित किए-
कांग्रेस कार्यसमिति ने गहन चिंता जाहिर की कि किस प्रकार से देश में आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, दोनों को लेकर मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ और समझौता किया है।
एक साल के करीब बीत गया, परंतु चीन अब भी डेप्सांग प्लेन हो या गोगरा या हॉट स्प्रिंग हो, उस पर कब्जा करे बैठा है और प्रधानमंत्री जी के मुंह से ‘चीन’ शब्द नहीं निकलता।
पाक समर्थित आतंकवादियों ने हमारी सेना के सैनिकों और ऑफिसरों पर खासतौर से, तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद लगातार हमले शुरु कर रखे हैं। पर सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगती। जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाने और पूर्ण प्रांत का दर्जा देने की बजाए सरकार जो है, वो केवल बहाने ढूंढती है। असम, नागालैंड और मिजोरम में खूनी संघर्ष हुआ। व्यक्तियों के द्वारा नहीं, सरकारों का आपस में और भाजपा के मित्रों और भाजपा की सरकार द्वारा एक दूसरे के मुख्यमंत्री पर एफआईआर दर्ज करवाई गई। एक प्रांत की पुलिस ने दूसरे प्रांत की पुलिस पर फायरिंग की। जिस प्रकार से खूनी संघर्ष सीमा विवाद हुआ दो चुनी हुई सरकारों के द्वारा, ये भारत में तार-तार हुई इंटरनल सिक्योरिटी सिचुएशन को दर्शाता है और नागालैंड जिसकी पीस अकोर्ड की चर्चा करके मोदी जी पीठ थपथपाते थे; अब उन्हें अपने उसी मिस्टर रवि इंटरलोक्यूटर को बदल कर कहीं और लगाना पड़ा और कई ऐसे ग्रुप हैं, जो हमारे संविधान को मानने से इंकार कर रहे हैं, पर सरकार चुप्पी साधे है।
नशे के बड़े-बड़े संगठित व्यापारी सरकार की नाक के नीचे खुलेआम घूम रहे हैं और फल-फूल रहे हैं। खासतौर से कांग्रेस कार्यसमिति ने नोट किया कि जिस अडानी पोर्ट पर 3,000 किलोग्राम हेरोइन (लगभग 21,000 करोड़ रुपए की कीमत) की पकड़ी गई थी, उससे ठीक पहले 25,000 किलो हेरोइन वहाँ से निकल कर हिंदुस्तान के बाजार में आ गई। क्या ये बगैर सरकार के संरक्षण के हो सकता था? तो देश के युवाएं को नशे में धकेलने का जो षड़यंत्र है, उस पर गहन चिंता कांग्रेस कार्यसमिति ने व्यक्त की।
अर्थव्यवस्था जिस प्रकार से तार-तार है और जिस प्रकार से लाखों किसान तीन कृषि विरोधी काले कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं, उनके साथ सहमति जताते हुए एक बार फिर उन कानूनों को खत्म करने की चर्चा भी की गई। लखीमपुर खीरी का नरसंहार हो या मोदी जी द्वारा देश के गृह राज्यमंत्री को बर्खास्त ना करना हो; ये अपने आपमें देश के लिए शर्मनाक घटनाएं हैं, किसी भी केन्द्रीय सरकार के लिए।
जिस प्रकार से केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों का इस्तेमाल भाजपा के खोए हुए जनाधार को दोबारा लौटाने के लिए किया जा रहा है और चुनी हुई सरकारों के अधिकार और उनकी पुलिस के अधिकार छीन कर केन्द्र सरकार उन्हें स्वयं के अंदर ले रहा है, इस पर एक व्यापक राय बनाकर और इन्हें वापस करने के लिए एक संकल्पबद्धता सी.डब्ल्यू.सी. ने दोहराई।
अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, पिछड़े वर्गों पर और उनके अधिकारों पर हो रहे हमलों पर कांग्रेस कार्यसमिति ने गहन चिंता व्यक्त की। जिस प्रकार से 70 साल में देश की कमाई संपत्ति को बेचकर मोदी जी अपनी सरकार चलाना चाहते हैं, ये अपने आपमें देशद्रोह से कम की परिभाषा में नहीं आता और इसको लेकर भी कांग्रेस कार्यसमिति ने चिंता व्यक्त की।
जिस प्रकार से भिन्न-भिन्न संस्थानों पर हमला बोला जा रहा है और उनकी चर्चा केसी वेणुगोपाल जी ने की, उसको लेकर भी कांग्रेस कार्यसमिति ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में चर्चा की और आखिर में ये संकल्प लिया कि देश को जगाने का दायित्व, देश की जनमानस की आत्मा को झकझोरने का दायित्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का है और कांग्रेस कार्यसमिति ने उस दायित्व के प्रति अपना संकल्प दोहराते हुए ये कहा, ये संकल्प लिया, ये दृढ निश्चय लिया कि पूरे देश के अंदर इन और जनता से जुड़े दूसरे मुद्दों पर एक व्यापक जन-जागरण अभियान की हम शुरुआत करेंगे।
दो और प्रस्ताव कांग्रेस कार्य समिति ने पारित किए। एक, मोदी और महंगाई, दोनों देश के लिए कैसे हानिकारक हैं और दूसरा किस प्रकार से खेती पर, किसान पर, बगैर जमीन के खेत मजदूर पर, मंडी मजदूर पर, छोटे-छोटे दुकानदार, आढ़ती पर किस प्रकार से एक सुनियोजित हमला बोला जा रहा है, ताकि 25 लाख करोड़ का कृषि व्यापार दो या तीन मित्रों की जेब में डाल दिया जाए और बाकी सब अपने खेत खलिहान के अंदर उनके गुलाम बन जाएं। इस पर एक व्यापक प्रस्ताव कांग्रेस कार्यसमिति ने पारित किया।
किसानों के मुद्दे को सी.डब्ल्यू.सी. में रखने को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री सुरजेवाला ने कहा कि अगर आप हमारा रेजोल्यूशन पढेंगे, तो राजनीतिक प्रस्तावना में भी और जो खेती बाड़ी पर जो प्रस्ताव है, उसमें भी व्यापक बयान कांग्रेस पार्टी का इस मुद्दे पर दर्ज है। ये शर्म की बात है इस देश की आत्मा के लिए कि देश के प्रधानमंत्री ने एक ऐसे व्यक्ति को देश का गृह राज्यमंत्री बना रखा है, जिनका बेटा किसानों को गाड़ी तले रोंदकर नरसंहार करने में आरोपी है और जो स्वयं हत्या के आरोपी हैं और जिनके ऊपर वो हत्या का आरोप चलेगा या नहीं, 3 साल 8 महीने से इलाहाबाद हाईकोर्ट के पास वो मामला रिजर्व है और 17 साल से वो मामला चल रहा है।
पिछले 7 सालों में पूरा देश हमारे ‘अन्नदाता’ किसान और खेत मजदूर की रोजी-रोटी पर बर्बर हमले का साक्षी बना।
इस सबकी शुरुआत सन 2015 में हुई जब केंद्र की भाजपा सरकार ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा किसानों की सुरक्षा के लिए बनाए गए भूमि अधिग्रहण मुआवजा कानून को संसद में एक अधिनियम बनाकर खारिज कर दिया। इसके बाद कृषि कर्ज से किसी भी तरह की राहत देने से इंकार करने, फसल का मुआवज़ा देने के लिए बनाए गए नियमों को कमजोर करने, और एक अत्यधिक जटिल फसल बीमा योजना बनाने का कुत्सित चक्र शुरू हुआ, जिससे पीड़ित किसानों की बजाय चुनिंदा बीमा कंपनियों ने भारी मुनाफा कमाया।
मोदी सरकार के घ्रणित मनसूबों का अंत यहां भी नहीं हुआ। इसके बाद केंद्र की भाजपा सरकार ने इतिहास में पहली बार खेती पर टैक्स लगाते हुए खाद (5 प्रतिशत), कीटनाशकों (18 प्रतिशत) और ट्रैक्टर एवं कृषि उपकरण (12 से 18 प्रतिशत) पर अप्रत्याशित जीएसटी लगा दिया। परिणाम यह हुआ कि खाद, बीज और कीटनाशकों के दाम आसमान छूने लगे। स्थिति और भी ज्यादा गंभीर तब हो गई, जब डीज़ल की कीमतें अनियंत्रित होकर 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गईं और देश के अनेक शहरों में तो डीज़ल 100 रु. प्रति लीटर के पार हो गया। इतना सब होने के बाद भी मुख्य फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी में हर साल केवल 2 से 4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी ही की गई।