हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ में विज्ञान प्रभा के अंतर्गत विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय की अंतःविषयी एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान पीठ द्वारा आयोजित इस व्याख्यान में विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव जे. सहस्रबुद्धे मुख्य अतिथि तथा विज्ञान भारती के सचिव प्रवीन रामदास व हरियाणा विज्ञान भारती की उपाध्यक्ष प्रो. सुनीता श्रीवास्तव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। आजादी का अमृत महोत्सव अभियान के अंतर्गत आयोजित इस व्याख्यान के उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने विश्वविद्यालय में मनाए जा रहे आजादी का अमृत महोत्सव के बारे में प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत वर्ष भर से अधिक समय तक आयोजित होने वाले कार्यक्रमों से हमें अपने इतिहास के बारे में जानने का अवसर तो मिलेगा ही साथ ही हम अपने कर्त्तव्यों से भी रूबरू हो सकेंगे।
स्वतंत्रता संघर्ष में वैज्ञानिकों की भूमिका विषय पर आयोजित इस विशेषज्ञ व्याख्यान में कुलपति ने कहा कि कोई भी लड़ाई वैज्ञानिकों के बिना जीतना संभव नहीं है। उन्होंने कहा विज्ञान आज से नहीं बल्कि पुरातन काल से चल रहा है और वैज्ञानिक दृष्टि से भारत हमेशा से सुदृढ़ रहा है। हमारे ऋषियों मुनियों ने आत्मसंयम का जो ज्ञान दिया उसमें भी विज्ञान निहित है। कुलपति ने कहा कि हर रोज कुछ सीखें, अपने इतिहास और कर्त्तव्यों को जाने। बड़े बड़े अविष्कार, रक्षा अनुसंधान से जुड़े हैं जोकि बाद में सामान्य जन को लाभांवित करते हैं। आज सियाचिन में तैनात सैनिक विज्ञान के बल पर ही जंग लड़ पाते हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में तैनात विभिन्न सशस्त्र बलों के सैनिकों की अपनी-अपनी आवश्यकताएं हैं जिनकी पूर्ति विज्ञान के द्वारा ही संभव हो पाती है। उन्होंने कहा कि अध्यात्म मानवता लाता है जो कि महत्त्वपूर्ण है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जे. सहस्रबुद्धे ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत कैसा हो। यह विचार हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के मन में था। उनका विचार गौरवपूर्ण भारत का निर्माण करना था। भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम के शब्दों में कहें तो भारत फिर से गौरवशाली तब बनेगा जब हमारे यहां विश्व के विकसित देशों के छात्र पढ़ने आयेंगे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रवीन रामदास ने कहा कि हजारों सालों में भारतीयों ने कभी गुलामी को स्वीकार नहीं किया और उसके खिलाफ लड़ते रहे। यही कारण है कि आज हम स्वतंत्रता प्राप्त कर सके और अपनी संस्कृति को बचा सके। प्रो. सुनीता श्रीवास्तव ने कहा कि ज्ञान-विज्ञान पर चर्चा देश के सभी विभाग और मंत्रालय मिलकर कर रहे हैं। जिसका आरंभ आचार्य प्रफुल्ल चंद राय की जयंती से हो चुका है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. दिनेश कुमार गुप्ता ने कुलपति महोदय का परिचय दिया। विश्वविद्यालय की अंतःविषयी एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान पीठ की अधिष्ठाता प्रो. नीलम सांगवान ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की व अतिथियों का स्वागत किया। मंच का संचालन सहायक आचार्य डॉ. नम्रता ढाका ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन सहआचार्य डॉ. दिनेश कुमार ने दिया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की विभिन्न पीठों के अधिष्ठाता, विभाागध्यक्ष, अधिकारी, शिक्षक, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।