पूरे देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लखनऊ में रोज़ मौत हो रही है पर इनमें एक मौत बेहद खास है, लोग मौत की चर्चा से बचते है लेकिन इस मौत ने पूरे देश को चर्चा करने के लिए मजबूर जरूर कर दिया है। आखिर क्या माजरा है क्यों ये मौत खास है ये मामला ! दिलचस्प है। ऊत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में रोज़ लोग बिना इलाज और अस्पताल गये बिना दम तोड़ रहे है, सरकार कहती है कि सब सामान्य है। पर मुख्यमंत्री के दावों के उलट प्रदेश की राजधानी में खुले आम पैसों की बदौलत और सत्ता के रौब में सेक्स वर्कर को ना सिर्फ ऐय्याशी के लिए लखनऊ बुलाया जाता है बल्कि मौत के बाद खबर को बाहर आने से रोका भी जाता है। नाम दिया जाता है कोरोना का !
कोरोना के शुरुआत में पिछले साल भी ऐसा ही एक मामला आया था जिसमें मॉडल और सिंगर कनिका कपूर को लखनऊ बुला कर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी की मौजूदगी के अलावा अन्य ऊची पहुंच वाले व्यक्तियों की उपस्थिति में पार्टी का आयोजन किया गया था। उस बार और इस बार दोनों में एक बात कॉमन है राजनैतिक घराना और पैसों की माया। इस बार क्या हुआ, कौन है ये लोग देखना जरूरी है। बिना पहुंच और पैसों के ये मामलें नहीं बनते ये लोग ना कोरोना के नियम मानते है और पालन करते है बस ये नियम आम जनता को पालन के लिए बनाये गए है। लेकिन इस बार इस अगर मौत नहीं होती और विदेशी नहीं होती तो मामला नहीं खुलता।
सत्ता के हनक में कैसे क्या हुआ समझिये पूरा मामला
पेशे से हाइप्रोफाइल सेक्स वर्कर और थाईलैंड की रहने वाली इस लड़की का नाम Piya Wichapornsakul है जिसकी लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बीती 3 मई को दोपहर 12.49 बजे मौत हो गई थी, मौत के बाद पुलिस को पता चलता है कि मामला लखनऊ के कारोबारी और भाजपा सांसद के परिवार से जुड़ा है तो लीपापोती और मामला दबाने की जदोजहद शुरू होती है। लेकिन सत्ता के गलियारों से होता हुआ ये राज़ लोगों के सामने तब आता है जब सोशल मीडिया पर कुछ लोगों के द्वारा दबी छुपी जबान में ये मामला उछाला जाता है। लोकल मीडिया और अखबार इस मामले को ना बताते है ना सवाल पूछते है पुलिस से, मामला चर्चा में आने के बाद पुलिस के हवाले से बताया जाता है पिया 28 अप्रैल को राम मनोहर लोहिया के इमरजेंसी में भर्ती हुई थी, उसने यहां अपना पता हजरतगंज लखनऊ लिखवाया था। उसकी कोविड जांच की गई तो पिया की रिपोर्ट पॉजिटिव आई जिसके बाद पिया को कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था। पिया की तबीयत बिगड़ने के बाद उसकी मौत हो गई।
इस पूरे मामलें में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता का आधिकारिक बयान इस दावें की पुष्टि करता है, आईपी. सिंह ने ट्विटर के माध्यम से अपना बयान जारी करते हुये प्रदेश सरकार और पुलिस से कई सवाल उठाये है
https://twitter.com/IPSinghSp/status/1391366922021732354?s=19
सवाल जो इस मौत पर संदेह उत्पन्न करते है
कोरोना के इस समय आखिर कैसे ये सेक्स वर्कर लखनऊ कैसे पहुंची, उसके पासपोर्ट पर मार्च में वीसा दिया गया था ,मतलब वो मार्च में भारत पहुंची, तो कहा रुकी, फिर लखनऊ कैसे पहुंची सूत्रों ने बताया कि वो राजस्थान के रास्ते से लखनऊ पहुंची थी, जहाँ होटल के बाद उसे विभूतिखंड के एक फ्लैट में रखा गया था, और किसी निजी डॉक्टर के द्वारा उसकी जांच भी करवाई गई थी, गंभीर हालत में डॉक्टर के कहने पर उसे दूतावास के दखल के बाद लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहाँ लड़की की मौत हो जाती है। पुलिस बिना जरूरी कारवाई के लड़की जिस कंपनी के कागज़ों पर भारत आई थी उसके एजेंट को बुलाकार गुपचुप तरीके से लड़की की अंतिम क्रिया निपटा देती है।
बड़े सवाल जिनपर तुरंत कारवाई की जरूरत है
लड़की लखनऊ कैसे पहुंची, यहां आने के बाद क्या उसने जरूरी क्वारंटाइन किया था ?? कोरोना में जरूरी गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी है अनिवार्य रूप से।
संजय सेठ के बेटे कुणाल सेठ का नाम इस मामलें में आ रहा है पुलिस ने अभी तक उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया। किस किस व्यक्ति के संपर्क में वो आई थी। सेक्स वर्कर को 7 लाख की राशि देने की बात की जा रही है तो ये पैसे किस एकाउंट से ट्रांसफर किये गये।
कुणाल सेठ और संजय सेठ के कॉल डिटेल्स का ब्यौरा खंगाला क्यों नहीं गया।
लड़की की लाश का पोस्टमार्टम क्यों नहीं किया गया, या उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग क्योंकि विदेशी नागरिक के मामलें में ये प्रोटोकाल पूरे करने जरूरी होते है।
कौन था जिसने दिल्ली स्थित दूतावास में विदेश मंत्रालय के हवाले से दखल देकर इस लड़की को लखनऊ में लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाया।
विदेशी नागरिक का सरकार के पास ट्रैक रिकॉर्ड होता है। क्या विदेश मंत्रालय को पता था इस बारे में, थाईलैंड दूतावास में किसने काल किया था संजय सेठ या कुणाल सेठ।
संजय सेठ का नाम आने के बाद पुलिस ने क्यों इस मामलें को दबाने की कोशिश की , बताया जाता है संजय सेठ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नजदीकियों के चर्चा पर नाम लेने की शर्तों पर सूत्र ने बताया कि ये संजय सेठ किसी जमाने मे समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह के करीबी माने जाते थे और 2017 में बसपा और सपा का गठबंधन करवाने में इनका भी योगदान था, मकसद पार्टी को कमजोर करना था। 2019 में ये भाजपा में शामिल हुये तो ये रसूखदारों में गिने जाने लगे जिनका पार्टी में रौब है।