नई दिल्ली: पूर्व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष और मौजूदा सांसद मनोज तिवारी ने आज सुबह अपने ट्विटर अकाउंट से घोषणा करते हुए लिखा है कि वो दोबारा एक नन्ही सी परी के पिता बन गये है और भगवान को उन्होंने धन्यवाद की अदा किया, उसके बाद उन्हें बधाइयां देने वालों की होड़ सी लग गई।
मनोज तिवारी की खुशियों में टीम #Takshakpost की तरफ से भी ढेर सारी बधाइयां। पर क्या है सच ! क्यों है सवाल ?
2012 में मनोज और रानी पांडेय का तलाक हुआ था, मनोज और रानी की पढ़ाई के दौरान मुलाकात हुई थी। रानी ने शुरुआती दौर में भरपूर सपोर्ट किया मनोज को लेकिन शोहरत मिलते ही मनोज की नजदीकियां श्वेता तिवारी से इतनी बढ़ी की श्वेता के पति राजा मनोज पर अपना घर तोड़ने का आरोप लगाया दिया था। जिसे बाद में मनोज और श्वेता ने बेबुनियाद बताया।
मनोज तिवारी दूसरी बार मोदी लहर में जीत के दिल्ली के सांसद बने संसद में आने से पहले जो उन्होंने अपना हलफनामा चुनाव आयोग को दिया है उसमें साफ- साफ लिखा है कि वो अपनी पत्नी से तलाक ले चुके है। उनका तलाक 2012 में आधिकारिक रूप से हो गया था। सूत्रों की माने तो मनोज की अपनी पत्नी के साथ ठीक से नहीं बनी और तो और 2014 में पहले बार सांसद बनने के बाद जब वो अपनी बेटी के जन्मदिन पर मुम्बई वाले घर पहुंचे तो उन्होंने अपनी बेटी के हाँथ में 1100 रुपये का लिफाफा दिया । जो हैरत में डालने वाली बात है पर इसे कन्फर्म किया उनके मित्र और सहयोगी ने, सुरक्षा और गोपनीयता के लिहाज से हम उनका नाम नहीं लिख सकते। वहीं दूसरी तरफ मनोज के जीवन के बारे मेें ल्युटियन में काफी चर्चा रही है। सूत्र के हवाले से खबर है कि बिहार की एक महिला जो कि मौर्या है, कला की दुनिया से है मनोज के काफी करीब है , येे महिला ही मनोज के साथ है और इस बच्ची की माँ है।
मनोज को पार्टी में अभयदान भी कुछ खास बातों के लिए दिया गया था। अध्यक्ष भी बनाया गया पर खुद जिस एरिया के वे सांसद रहे है वहीं जाकर समारोह में शिरकत करने के लिए भुगतान करने की डिमांड कर बैठते थे। जिससे कार्यकर्ता नाराज थे।
कौन है मनोज तिवारी
मनोज तिवारी उर्फ मृदुल के नाम से भोजपुरी फिल्मों से और स्थानीय लोक गीत संगीत से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले मनोज ने लंबा अरसा बिताया है बनारस की गलियों में “जहाँ से बगल वाली जान मारे” जैसे गानों से उन्होंने अपनी पहचान बनाई। हालांकि संगीत घरानों की हम बात करें तो मनोज को कभी बनारस में वो मुकाम और शोहरत नहीं मिली जितनी बाहर मिली क्योंकि बनारस अलग मिजाज़ का शहर है, बनारस घराने से निकले कई नामचीन हस्तियों की भीड़ में मनोज कभी अपनी जगह नहीं बना पायें क्योंकि मनोज के गानों के दोअर्थी बोल को सभ्य नहीं माना गया उसकी वजह थी कला में ऊंचे पायदान पर बैठे पंडित रविशंकर, गिरजादेवी, बिस्मिल्लाह खां, किशन महाराज और राम कुमार मिश्रा जैसे अन्य कई नाम इनके जितनी ऊंचाई मनोज में कभी देखी नहीं गई।