बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के हजारों अभ्यर्थियों ने रविवार को पटना के गांधी मैदान में अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा और 70वीं BPSC प्रारंभिक परीक्षा की दोबारा परीक्षा की मांग की। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और पानी की बौछारें कीं, वहीं प्रदर्शनकारियों ने दोबारा परीक्षा की मांग करते हुए पुलिस बैरिकेड भी तोड़ दिए। पटना के गांधी मैदान में पुलिस और बीपीएससी अभ्यर्थियों के बीच झड़प भी हुई।
प्रदर्शनकारियों ने फ्रेजर रोड से होते हुए डाक बंगला की ओर मार्च करने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए होटल मौर्या के पास बैरिकेड्स सहित भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। 13 दिसंबर को प्रारंभिक परीक्षा आयोजित होने के बाद से ही पटना में विरोध प्रदर्शन चल रहा है, जिसे अब कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और शिक्षाविदों का समर्थन मिल रहा है।
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी प्रदर्शनकारी छात्रों को अपना समर्थन दिया है और बिहार की परीक्षाओं में प्रणालीगत भ्रष्टाचार को समाप्त करने का आह्वान किया है।
बिहार पुलिस ने गांधी मैदान में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के अभ्यर्थियों द्वारा किए जा रहे छात्र विरोध प्रदर्शन को कथित रूप से भड़काने के आरोप में चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
पुलिस के अनुसार, किशोर और उनकी पार्टी के अन्य सदस्यों ने उम्मीदवारों को भड़काया, जिससे वे सड़कों पर उतर आए और शहर के विभिन्न हिस्सों में अशांति पैदा की। जिला प्रशासन द्वारा उनके अनुरोध को अस्वीकार करने के बावजूद गांधी मैदान के पास विरोध प्रदर्शन करने के लिए जन सुराज पार्टी बिहार प्रमुख के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया।
बिहार पुलिस ने एक बयान में कहा, “जन सुराज पार्टी को गांधी प्रतिमा के सामने छात्र संसद आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई थी। लेकिन, गांधी प्रतिमा के पास भीड़ जमा हो गई और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई। भीड़ और पुलिस के बीच हाथापाई हुई। भीड़ ने प्रशासन द्वारा लगाए गए लाउडस्पीकर तोड़ दिए। बार-बार अनुरोध के बावजूद, इन लोगों ने प्रशासन के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया और सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित किया। इसलिए प्रशासन ने वाटर कैनन और बल का प्रयोग कर उन्हें हटाया। गांधी मैदान थाने में जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर समेत 600-700 लोगों के खिलाफ अनधिकृत रूप से भीड़ जुटाने, लोगों को भड़काने और कानून व्यवस्था की समस्या पैदा करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है।”
पटना ज़िला प्रशासन ने छात्रों को उकसाने और विधि व्यवस्था को भंग करने के आरोप में इन लोगों के ख़िलाफ़ F.I.R दर्ज किया है:
1. मनोज भारती (जन सुराज पार्टी)
2. रह्मांशु मिश्रा, कोचिंग संचालक
3. निखिल मणि तिवारी
4. सुभाष कुमार ठाकुर
5. शुभम स्नेहिल
6. प्रशांत किशोर (एवं 2 बाउंसर जो प्रशांत किशोर के साथ थे)
7. आनंद मिश्रा
8. आर के मिश्रा (राकेश कुमार मिश्रा )
9. विष्णु कुमार
10. सुजीत कुमार (सुनामी कोचिंग)
सहित कुल 21 नामजद और 600–700 अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
इस बीच लाठीचार्ज की घटना पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “यह बहुत दुखद है कि पुलिस ने बीपीएससी अभ्यर्थियों की पिटाई की। इसमें बहुत से लोग बुरी तरह घायल हुए हैं…हम इसकी निंदा करते हैं। जो दृश्य सामने आए हैं, वे दुखद हैं। मैं एक युवा हूं और मैं उनकी स्थिति समझ सकता हूं। सबसे पहले, लोग सामान्यीकरण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे…हमने 28 नवंबर को विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाया था। हमने सीएम को पत्र लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला…बाद में बीपीएससी ने साफ किया कि नॉर्मलाइजेशन नहीं होना चाहिए था। यह पहले क्यों नहीं साफ किया गया?15-16 दिसंबर को बीपीएससी ने एक सेंटर की परीक्षा रद्द करने की घोषणा की। अगर पेपर लीक हुआ है तो सिर्फ एक सेंटर की परीक्षा क्यों रद्द की जा रही है। यह एक तरह का नॉर्मलाइजेशन ही है…इसलिए छात्र दोबारा परीक्षा की मांग कर रहे हैं। मैं भी इसका समर्थन करता हूं।”
वहीं कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने कहा, “BPSC अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज अक्षम्य अपराध है। इसके ख़िलाफ़ हर क़ीमत पर लड़ाई लड़ेंगे। हम PMCH में घायल छात्रों से मिले और अब राज्यपाल महोदय से मिलेंगे! न्याय के लिए हर द्वार जाएंगे। किसी भी परिस्थिति में अन्याय नहीं होने देंगे! बच्चों के लिए मर मिटने को तैयार हैं।”
इससे पहले किशोर ने प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया और बिहार की परीक्षा में भ्रष्टाचार को समाप्त करने का आह्वान किया था। उन्होंने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि “वे निजी यात्रा पर दिल्ली गए हैं, लेकिन उनके पास अपने राज्य के युवाओं के लिए समय नहीं है।”
पटना में प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों से बात करते हुए किशोर ने कहा, “मुख्यमंत्री के पास प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों की शिकायतें सुनने का समय नहीं है और वह दिल्ली चले गए हैं। जब तक परीक्षा रद्द करने की उनकी मांग नहीं मानी जाती, तब तक विरोध जारी रहेगा। मैं हमेशा प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ हूं।”
उन्होंने आगे कहा कि विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से पहले उन्होंने शिक्षा क्षेत्र के अधिकारियों के साथ गहन बातचीत की। किशोर ने कहा, “बिहार में कोई भी परीक्षा भ्रष्टाचार या पेपर लीक के बिना नहीं हुई है। हमें इसे समाप्त करने के लिए एकजुट होना चाहिए।”
मालूम हो कि दिसंबर के मध्य में शुरू हुआ यह आंदोलन प्रारंभिक परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र लीक होने और कई अन्य अनियमितताओं के आरोपों के बाद शुरू हुआ था। कई अभ्यर्थियों ने दावा किया कि प्रश्नपत्र देरी से दिए गए, कुछ ने कहा कि उन्हें परीक्षा शुरू होने के करीब एक घंटे बाद प्रश्नपत्र मिले। अन्य ने आरोप लगाया कि उत्तर पुस्तिकाएं फाड़ दी गईं, जिससे कदाचार की आशंका बढ़ गई।