केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने हाल ही में संसद के अंदर सत्तारूढ़ और विपक्षी सांसदों के बीच हुई हाथापाई के दौरान अपने सुरक्षा उपायों में किसी भी तरह की चूक से इनकार किया है। इस झड़प में भाजपा के दो सदस्य घायल हो गए थे। संसद भवन परिसर की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी जिस सीआईएसएफ की है, उसने सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टी के सांसदों के आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच “चुप रहने” का विकल्प चुना है।
सीआईएसएफ के उप महानिरीक्षक (ऑपरेशन) श्रीकांत किशोर ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “सीआईएसएफ की ओर से कोई चूक नहीं हुई। चूक से आपका मतलब है कि कुछ हथियारों को अंदर जाने दिया गया, तो मैं आपको बता सकता हूं कि किसी भी हथियार को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई।” उन्होंने कहा, “जब माननीय सदस्य (सांसद) आरोप लगाएंगे तो हम चुप रहेंगे।”
वरिष्ठ अधिकारी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भाजपा से जुड़े आरोपों से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। भाजपा ने राहुल गांधी पर ओडिशा के बालासोर से अपने सांसदों प्रताप सारंगी (69) और उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से मुकेश राजपूत (56) को धक्का देने का आरोप लगाया था।
जवाब में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि 19 दिसंबर को भाजपा सांसदों ने उन्हें संसद भवन में प्रवेश करने से रोका था।
घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने भाजपा सांसद हेमंग जोशी की शिकायत पर राहुल गांधी के खिलाफ मामला दर्ज किया। शिकायतकर्ता ने गांधी पर हाथापाई के दौरान “शारीरिक हमला और उकसावे” का आरोप लगाया।
सीआईएसएफ अधिकारी ने आगे स्पष्ट किया कि संसद भवन के ‘मकर द्वार’ के पास हुई हाथापाई की कोई जांच उनकी ओर से नहीं की जा रही है। श्रीकांत किशोर ने संवाददाताओं को यह भी बताया कि प्रोटोकॉल के अनुसार संसद भवन परिसर में प्रवेश के दौरान सांसदों को तलाशी की औपचारिकता से नहीं गुजरना पड़ता है।
किशोर ने कहा, “हमने अपने कर्मियों को इस कर्तव्य (संसद सुरक्षा) के लिए उचित प्रशिक्षण दिया है। सांसदों सहित सभी लोग परिसर की सुरक्षा को और बेहतर बनाने में योगदान दे रहे हैं। संसद की सुरक्षा सर्वोपरि है।”
सीआईएसएफ का यह बयान सोमवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल से घायल हुए भाजपा सांसदों सारंगी और राजपूत को छुट्टी मिलने के कुछ घंटों बाद आया है।
इस घटना पर बोलते हुए मुकेश राजपूत के सहायक ने कहा कि लोकसभा सांसद ने सिर में हल्का चक्कर और भारीपन की शिकायत की थी।
हालांकि, आरएमएल अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ को देखते हुए दोनों सांसदों को आगे की सहायता के लिए नोएडा के कैलाश अस्पताल जाने की सलाह दी गई है।