दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित मामले में कथित आरोपी और पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद को अपने परिवार की एक शादी में शामिल होने के लिए बुधवार को सात दिनों की जमानत दे दी। अदालत ने इस मामले में खालिद को 28 दिसंबर से 3 जनवरी तक अंतरिम जमानत दी है। खालिद फरवरी 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश को लेकर यूएपीए मामले में 14 सितंबर, 2020 को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद से हिरासत में है। इस घटना में 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए थे।
उमर खालिद और मीरन हैदर ने मुकदमें में देरी और सालों से जेल में बंद को आधार बनाकर अंतरिम जमानत की मांग की थी। बता दें कि उमर खालिद ने दिल्ली हाई कोर्ट में नियमित जमानत की मांग को लेकर याचिका दायर कर रखा है। जिसपर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।
खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों में पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल वो जेल में है। खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के कथित तौर पर मास्टरमाइंड होने के लिए आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी।
दिल्ली पुलिस ने खालिद की जमानत का विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि उसने एक बड़ी साजिश के तहत अपनी कहानी को बढ़ाने के लिए अभिनेताओं और राजनेताओं को संदेश भेजा था।
28 मई को ट्रायल कोर्ट ने खालिद की दूसरी बार नियमित जमानत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि उसकी पहली जमानत अर्जी खारिज करने वाला उसका पिछला आदेश अंतिम हो चुका है।
18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहली जमानत याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि उनके खिलाफ शहर पुलिस के आरोप प्रथम दृष्टया सच हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि सीएए विरोधी प्रदर्शन “हिंसक दंगों में बदल गया”, जो “प्रथम दृष्टया साजिशपूर्ण बैठकों में आयोजित किया गया प्रतीत होता है” और गवाहों के बयान विरोध प्रदर्शन में खालिद की “सक्रिय भागीदारी” का संकेत देते हैं।