केरल सरकार ने मलयालम फिल्म उद्योग पर बहुप्रतीक्षित हेमा आयोग की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें फिल्म जगत में महिला अभिनेत्रियों पर हमले के कई उदाहरण सामने आए हैं। रिपोर्ट ने मलयालम सिनेमा में महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले व्यापक और लगातार यौन उत्पीड़न पर प्रकाश डाला, जिसमें कई लोगों ने आरोप लगाया कि काम शुरू करने से पहले ही उन्हें अवांछित स्थितियों का सामना करना पड़ा। साल 2017 में हेमा आयोग का गठन किया गया था, जिसमें उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमा, अनुभवी एक्टर शारदा और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी केबी वलसाला कुमारी शामिल थीं।
235 पन्नों की जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का चौंकाने वाला सच सामने आया है। रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले यौन उत्पीड़न पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट की शुरुआती पंक्तियों में कहा गया, “आप जो देखते हैं उस पर भरोसा न करें; यहां तक कि नमक भी चीनी जैसा दिखता है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रोडक्शन कंट्रोलर या जो कोई भी सिनेमा में भूमिका देता है वह पहले महिला/लड़की से संपर्क करता है या, भले ही इसका दूसरा तरीका हो, और महिला से कहा जाता है कि उसे समझौता करना होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये शब्द मलयालम उद्योग में महिलाओं के बीच बहुत परिचित हैं और उन्हें “ऑन डिमांड सेक्स” के लिए खुद को उपलब्ध कराने के लिए कहा जाता है।
https://x.com/sone_do_mujhe/status/1825480356667248666
हेमा कमेटी की यह रिपोर्ट 31 दिसंबर 2019 को सब्मिट की गई थी। वहीं, पत्रकारों समेत पांच लोगों को इसकी एक-एक कॉपी जारी की गई थी और साथ ही सूचना आयोग को भी इसकी जानकारी पहुंचाई गई थी। जस्टिस हेमा कमेटी का गठन मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक्ट्रेस के साथ हो रहे अत्याचार और शोषण को देखते हुए उसकी जांच के लिए किया गया था। यह रिपोर्ट तब सामने आई जब केरल उच्च न्यायालय ने इस संबंध में रिपोर्ट जारी करने की अनुमति देने वाले एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश के खिलाफ अभिनेत्री रंजिनी द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल मामला 14 फरवरी, 2017 का है. जब एक लीडिंग मलयालम एक्ट्रेस के साथ उन्हीं की कार में यौन उत्पीड़न किया गया। वो उस वक्त अपने घर से कोच्चि जा रही थीं। इस दौरान कुछ लड़कों के एक ग्रुप ने उन्हें अगवा कर लिया और यौन उत्पीड़न किया गया। इस घटना की खबर आग की तरह पूरे राज्य में फैल गई जिससे लोग न केवल परेशान थे बल्कि काफी गुस्से में दिखाई दिए। आरोपियों का मकसद था पीड़िता को ब्लैकमेल करना। हालांकि, 10 आरोपियों में से 6 को कुछ दिनों के अंदर ही गिरफ्तार कर लिया गया जबकि, पॉपुलर एक्टर दिलीप को जुलाई में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। मामले की सुनवाई साल 2020 से चल रही है। वहीं दिलीप जमानत पर बाहर है।
घटना के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के ही कई एक्टर्स और टेक्नीशियंस ने इस मामले पर आवाज उठाई। वहीं, महिलाओं के साथ होने वाले भेदभावपूर्ण व्यवहार पर सबकी नजर पड़ी। जिसके बाद गठित वूमन इन सिनेमा कलेक्टिव (डब्ल्यूसीसी) ने मुख्यमंत्री को एक याचिका दी। इस दौरान इंडस्ट्री में जेंडर इश्यू पर जांच की मांग की गई। घटना के बाद पांच महीने का वक्त बीत चुका था। फिर जुलाई 2017 में राज्य सरकार ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न और जेंडर इनइक्वालिटी के मुद्दों पर विचार करने के लिए थ्री मेंबर कमेटी का गठन किया। यह कमेटी रिटायर्ड केरल हाईकोर्ट जस्टिस के हेमा की अध्यक्षता में गठित हुई।
हेमा आयोग की रिपोर्ट में क्या क्या कहा गया है?
1. सेक्सुअल फेवर से मना करने वाली एक्ट्रेस को प्रोजेक्ट से बाहर निकाला गया।
2. फिल्म में काम करने किए एक्ट्रेस को एडजस्ट करने के लिए कहा गया।
3. इन माफियाओं में लीड एक्टर्स, निर्माता और निर्देशक शामिल हैं।
4. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री पर एक्टर्स (पुरुष) राज कर रहे हैं।
5. बात ना मानने वालीं अभिनेत्रियों को बार-बार शॉट देने के लिए मजबूर किया जाता है। कुछ अभिनेत्रियों ने बताया है कि उन्हें सजा के तौर पर 17 बार एक के बाद एक शॉट देने के लिए कहा गया।
6. फिल्म इंडस्ट्री में एक्टर्स की सोच है कि एक्ट्रेस को जो बोला जाए वो करें।
7. यंग एक्ट्रेस को ही फिल्म में लीड रोल दिए जा रहे हैं।
8. सहयोग करने वाली एक्ट्रेस को काम दिया जाता है और जो नहीं मानती उसे बाहर कर दिया जाता है।
9. एक्ट्रेस धमकी से बचने और परिवार की सुरक्षा के लिए शिकायत करने से डरी हुई हैं।
10. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री पर अपराधियों ने कब्जा जमा लिया है।
11. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री बस दूर से ग्लैमरस दिखती हैं, लेकिन असल में यह नर्क है।
12. जो एक्ट्रेस मान जाती हैं, उनके नाम कोड वर्ड में रखकर बुलाया जाता है।
13. एक्ट्रेस के खुलासों से सूचना आयोग भी शॉक्ड है।
14. आयोग एक्ट्रेस पर हो रहे जुल्म से आश्चर्यचकित है।
15. आखिर में रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि डर की वजह से एक्ट्रेस पुलिस में शिकायत नहीं कर रही हैं।
हेमा आयोग का कहना है कि यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कई पुरुषों को भी इंडस्ट्री में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा और कुछ बहुत ही प्रमुख कलाकारों सहित कई लोगों को अनधिकृत रूप से लंबे समय तक फिल्मों में काम करने से प्रतिबंधित कर दिया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है, “यह जानकर हैरानी हुई कि इस तरह के अनधिकृत प्रतिबंध के बहुत ही मूर्खतापूर्ण कारण थे। उन्होंने जानबूझकर या अनजाने में ‘उद्योग में शक्तिशाली लॉबी के एक या दूसरे व्यक्ति के क्रोध को आमंत्रित किया होगा।”
रिपोर्ट में कहा गया है, “इसलिए, आम तौर पर पुरुष उद्योग के खिलाफ बोलने से झिझकते/डरते थे। उन्हें डर था कि उनके द्वारा दी गई जानकारी के लीक होने से सिनेमा में उनकी भविष्य की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कई पुरुषों और महिलाओं को फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर विभिन्न टिप्पणियां प्रकाशित करके और कुछ अश्लील तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करके सार्वजनिक रूप से धमकी दी गई और बदनाम किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें ट्रोलिंग का भी शिकार होना पड़ता है और व्हाट्सएप के जरिए कई संदेश प्रसारित किए जाते हैं।
डब्ल्यूसीसी सदस्यों ने हेमा आयोग से सिनेमा की प्रत्येक प्रोडक्शन यूनिट और मलयातम कलाकारों के संघ (एएमएमए) में एक आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के गठन की सिफारिश करने का अनुरोध किया।