सुप्रीम कोर्ट ने भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। ईडी ने झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि उच्च न्यायालय का आदेश “अवैध” था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय का आदेश “उचित तर्कपूर्ण” था और उसने किसी भी बयान की अवहेलना नहीं की है।
अदालत ने कहा, “इसमें वैध कारण बताए गए हैं कि बयान विरोधाभासी क्यों हैं।”
इसमें आगे कहा गया कि अगर ईडी सुनवाई के साथ आगे बढ़ता है तो उन्हें ‘मुश्किल हो सकती है’।
अदालत ने कहा, “हम और अधिक निरीक्षण नहीं करना चाहते; यदि हम और अधिक निरीक्षण करेंगे तो आप (ईडी) मुश्किल में पड़ सकते हैं।”
कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का यह फैसला सही है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस केस में तथ्यों को परखकर फैसले के पीछे का कारण दर्ज करते हुए ही उचित फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले में दख़ल देने का कोई औचित्य नहीं बनता है।
हालांकि कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सोरेन के खिलाफ केस की मेरिट को लेकर हाई कोर्ट के फैसले में की गई टिप्पणियों से निचली अदालत प्रभावित ना हो।
इससे पहले हाईकोर्ट ने हेमंत सोरेन को जमानत देते हुए कहा था कि सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया ऐसे कोई सबूत नहीं है, जिसके चलते उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता हो। हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा था कि यदि सोरेन को जमानत पर रिहा किया गया तो वह इसी तरह का अपराध कर सकते है और उन्होंने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति पुलिस थानों में ईडी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों का हवाला दिया था। लेकिन कोर्ट ने दलीलों को खारिज करते हुए जमानत दे दिया था।
हेमंत सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाला मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। सोरेन पर जमीन से जुड़े धन शोधन का आरोप है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिलहाल रांची की बिरसा मुंडा जेल में न्यायिक हिरासत में है। हेमंत सोरेन ने लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी।
सोरेन के खिलाफ जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन से जुडी है। ईडी का आरोप है कि इसे अवैध रूप से कब्जे में लिया गया था। ईडी ने सोरेन और सोरेन के कथित फ्रंटमैन राज कुमार पाहन और हिलारियास कच्छप तथा पूर्व मुख्यमंत्री के कथित सहयोगी बिनोद सिंह के खिलाफ 30 मार्च को यहां विशेष पीएमएलए अदालत में आरोप पत्र दायर किया था। सोरेन ने रांची की एक विशेष अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित और उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी।
उच्च न्यायालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दिए जाने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख 28 जून को रांची की बिरसा मुंडा जेल से बाहर आए थे।
उनकी रिहाई के बाद, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और जेएमएम नेता चंपई सोरेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और हेमंत सोरेन ने विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया। विश्वास मत जीतने के बाद वह दोबारा मुख्यमंत्री बने।
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को रांची राजभवन से गिरफ्तार कर लिया गया था।
मामले के सिलसिले में सोरेन, रांची के पूर्व उपायुक्त और आईएएस अधिकारी छवि रंजन, भानु प्रताप प्रसाद और अन्य सहित 25 से अधिक लोगों को ईडी ने गिरफ्तार किया था।