पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने ‘वारिस पंजाब दे’ प्रमुख और खडूर साहिब से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह की हिरासत पर चिंता जताई। चन्नी ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “वे हर दिन आपातकाल के बारे में बोलते हैं। लेकिन आज देश में अघोषित आपातकाल के बारे में क्या? यह भी आपातकाल है कि जिस व्यक्ति को पंजाब में 20 लाख लोगों ने सांसद चुना वह एनएसए के तहत सलाखों के पीछे है। वह यहां अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों की बात नहीं रख पा रहे हैं। यह भी आपातकाल है।”
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उनकी टिप्पणी पर विवाद बढ़ने पर कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत थे और पार्टी के रुख को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। कांग्रेस महासचिव एवं संचार प्रभारी जयराम रमेश ने पोस्ट कर कहा, “अमृतपाल सिंह पर सांसद चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा व्यक्त किए गए विचार उनके अपने हैं और किसी भी तरह से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति को नहीं दर्शाते हैं।”
अमृतपाल सिंह को पिछले साल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत नौ सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी मोगा के रोडे गांव में एक घटना के बाद हुई, जहां सिंह और उनके समर्थक अपने एक सहयोगी को छुड़ाने की कोशिश के दौरान अजनाला पुलिस स्टेशन में पुलिस से भिड़ गए।
जेल में रहते हुए, अमृतपाल सिंह ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़ा। वह खडूर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए।
परिणाम घोषित होने के कुछ सप्ताह बाद, अमृतपाल सिंह को संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए इस महीने की शुरुआत में चार दिन की हिरासत पैरोल पर दिल्ली लाया गया था।
इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) नेता भगवंत मान ने चन्नी की टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया।
मान ने कहा, “चन्नी क्या कहते हैं, इसकी मुझे चिंता नहीं है। मुझे पंजाब की कानून-व्यवस्था की ज्यादा चिंता है।”
आप और कांग्रेस दोनों विपक्ष के इंडिया गुट का हिस्सा हैं।
चन्नी की टिप्पणी से छिड़ गया विवाद-
चरणजीत चन्नी की टिप्पणी पर भाजपा की ओर से तीखी प्रतिक्रिया हुई, पार्टी नेता गिरिराज सिंह ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से स्पष्टीकरण की मांग की। उन्होंने अलग सिख राज्य की वकालत करने वाले आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा, “यह देश के लिए खतरनाक है कि कांग्रेस खालिस्तान का समर्थन कर रही है।”
गिरिराज सिंह ने कहा, “चन्नी के बयान पर मैं इतना ही कहूंगा कि इंदिरा गांधी का हत्यारा खालिस्तानी और खालिस्तानी का समर्थक कांग्रेसी, यह भारत की संप्रभुता पर हमला है, इसपर कार्रवाई होनी चाहिए… कांग्रेस का हाथ खालिस्तानियों के साथ।”
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने कांग्रेस पर हमला बोला। आरपी सिंह ने कहा, “यह कांग्रेस का डीएनए है जो सामने आ रहा है। यह कांग्रेस ही थी जिसने भिंडरावाले को खड़ा किया और उसके माध्यम से पंजाब को विभाजित किया और बाद में चुनाव जीता। आज, वे अमृतपाल के साथ खड़े हैं। चूंकि 2027 में पंजाब में चुनाव होने वाला है और वह (चरणजीत सिंह चन्नी) जानते हैं कि वे चुनाव हारने वाले हैं और इसलिए, वे किसी ऐसे व्यक्ति का समर्थन कर रहे हैं जो देश को विभाजित करने की कोशिश करता है। लेकिन वह और क्या कर सकते हैं, यह उनकी पार्टी लाइन है।”
आरपी सिंह ने कहा, “मल्लिकार्जुन खड़गे और उनकी पार्टी को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उनकी पार्टी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ खड़ी है जो देश को बांटने की कोशिश कर रहा है।”
केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा, “एक पूर्व मुख्यमंत्री देशद्रोही की तरह व्यवहार कर रहे हैं और सदन के माध्यम से पूरे देश को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों पर NSA लगाया गया है लेकिन असल में यह किस पर लगाया गया है- यह उन पर लगा है जो देश और पंजाब को तोड़ना चाहते थे… एक पूर्व मुख्यमंत्री ने देश और पंजाब को तोड़ने की बात कही, कांग्रेस और राहुल गांधी उनके सामने बैठे थे और उनसे यह कहलवा रहे थे। जब हमने उनसे सदन में सबूत लाने के लिए कहा तो वे बैकफुट पर चले गए और उनके पास कोई जवाब नहीं था। उनके कारण कांग्रेस पार्टी और पूरा INDI गठबंधन शर्मिंदा हुई।”
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा लोकसभा में ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख और निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह को लेकर दिए गए बयान पर कहा, “यह मामला कोर्ट में है और उनपर गंभीर आरोप है ऐसे में संसद में यह बातें करना सही नहीं है… कांग्रेस पार्टी ने कब किससे क्या छीना है यह सबके सामने है।”
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी चरणजीत सिंह चन्नी की टिप्पणी की आलोचना की। उन्होंने कहा, “जिस व्यक्ति के बारे में वह (चरणजीत सिंह चन्नी) बात कर रहे थे, कोई भी उस विचार का समर्थन नहीं कर सकता। वह (चुनाव) जीत गए हैं और अब उन्हें (सदन में) बोलने का अधिकार है, लेकिन अगर कोई देश के हित के खिलाफ जाता है , यह सरकार चुप नहीं बैठेगी।”