कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को मणिपुर जाने से पहले असम के कछार जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों से मुलाकात की, जहां उन्होंने जिरीबाम में एक राहत शिविर का दौरा किया और साल भर चली जातीय हिंसा से प्रभावित लोगों से बातचीत की। लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद राहुल गांधी का यह पहला पूर्वोत्तर दौरा है। राहुल गांधी असम के सिलचर हवाई अड्डे पर पहुंचे जहां असम और मणिपुर के कांग्रेस नेताओं ने उनका स्वागत किया। इसके बाद गांधी फुलर्टल गए और राहत शिविरों में रह रहे बाढ़ प्रभावित लोगों से बातचीत की।
राहुल गांधी का असम दौरा तब हुआ है जब राज्य कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश, भूस्खलन और उफनती नदियों के कारण भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। बाढ़ से 28 जिलों के करीब 22.70 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। राज्य में इस साल बाढ़, भूस्खलन और तूफान से कुल 78 लोगों की मौत हो चुकी है।
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कछार में बाढ़ प्रभावित लोगों के शिविर उस रास्ते पर पड़ते हैं जिस रास्ते से राहुल गांधी मणिपुर के जिरीबाम गए। जब वह जिरीबाम पहुंचे, तो उन्होंने जातीय हिंसा के कारण विस्थापित होने के बाद उनकी स्थितियों के बारे में जानने के लिए एक स्कूल में बनाए गए राहत शिविर में रहने वाले लोगों से बातचीत की। पिछले साल 3 मई से मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा देखी जा रही है और अब तक झड़पों में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं।
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इस बीच, अध्यक्ष भूपेन बोरा के नेतृत्व में असम कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राहुल गांधी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उनसे संसद के आगामी मानसून सत्र में असम में बारहमासी बाढ़ का मुद्दा उठाने का आग्रह किया गया।
राहुल गांधी के दौरे को लेकर कांग्रेस बनाम बीजेपी-
राहुल गांधी के मणिपुर और असम दौरे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी रूस यात्रा और वहां जातीय हिंसा भड़कने के बाद से मणिपुर की यात्रा नहीं करने को लेकर उनकी आलोचना की।
रमेश ने एक पोस्ट में कहा, “नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री आज मास्को जा रहे हैं। वहीं लोकसभा में विपक्ष के नेता असम और मणिपुर जा रहे हैं। नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के लिए ढोल पीटने वालों ने इस बात को लेकर बड़े-बड़े दावे किए हैं कि उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को कुछ समय के लिए रुकवा दिया था। उनकी मॉस्को की इस यात्रा के दौरान संभवत और भी विचित्र दावे किए जाएं।”
उन्होनें कहा, “चौदह महीने पहले राज्य में भड़की हिंसा के बाद से यह राहुल गांधी की मणिपुर की तीसरी यात्रा है। 3 मई 2023 को राज्य में गंभीर संकट उत्पन्न होने के बाद नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री को कुछ घंटों के लिए भी मणिपुर जाने का समय नहीं मिला और न ही उन्होंने इसकी इच्छा जताई। उन्होंने न तो राज्य के मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की है, जो कि उनकी अपनी ही पार्टी के हैं और न ही वह वहां के विधायकों, सांसदों सहित अन्य राजनेताओं से मिले हैं।”
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भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने रमेश पर पलटवार किया और राहुल गांधी पर “सिक ट्रेजडी टूरिज्म” में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि मणिपुर में हिंसा कांग्रेस की विरासत है।
उन्होंने पोस्ट किया, “मणिपुर में जातीय संघर्ष कांग्रेस पार्टी की विरासत है। राज्य में दशकों से नागरिकों, पुलिस और सेना के जवानों की हत्याएं हुई हैं, जबकि कांग्रेस सत्ता में थी।”
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मालवीय ने कहा, “तीसरी बार असफल राहुल गांधी को भूल जाइए। क्या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, जो असम से राज्यसभा के सदस्य थे, सहित किसी भी कांग्रेस नेता ने संघर्षग्रस्त क्षेत्र का दौरा किया। ‘बालक बुद्धि’ (बच्चे के दिमाग वाला एक वयस्क व्यक्ति) केवल सिक ट्रेजडी टूरिज्म में लिप्त है।”