राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जेल में बंद निर्दलीय सांसद शेख अब्दुल राशिद इंजीनियर को 5 जुलाई को संसद में शपथ लेने की मंजूरी दे दी है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट इस मामले पर 2 जुलाई को आदेश जारी करेगी। आतंकवाद रोधी एजेंसी ने यह भी कहा कि शपथ लेने के लिए अंतरिम जमानत की मंजूरी कुछ शर्तों पर निर्भर है, जिसमें मीडिया से बात न करना भी शामिल है।
एनआईए ने अपने जवाब में कहा है को राशिद द्वारा संसद में शपथ लेने पर उन्हें कोई आपत्ति नही है। राशिद को 5 जुलाई को संसद में शपथ लेने की अनुमति देने पर कोई आपत्ति नहीं है। एनआईए ने अंतरिम जमानत के दौरान मीडिया से बात न करने समेत कई अन्य शर्तों को लगाए जाने की बात भी कही है।
जम्मू-कश्मीर के बारामूला संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने वाले राशिद इंजीनियर ने सांसद के रूप में शपथ लेने के लिए अंतरिम जमानत या हिरासत पैरोल की गुहार लगाई थी।
राशिद इंजीनियर ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हरा कर जीत दर्ज की थी। राशिद इंजीनियर 2016 के जम्मू कश्मीर आतंकी फंडिंग मामले में गिरफ्तार गया गया था और फिलहाल जेल में बंद है। राशिद इंजीनियर जेल से ही लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है। इंजीनियर राशिद आतंकी फंडिंग मामले में UAPA के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं।
2008 में राशिद ने सियासत में कदम रखा था। इससे पहले वो इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे। जबकि शेख अब्दुल राशिद, जम्मू कश्मीर आवामी इत्तेहाद पार्टी के संस्थापक है। इस बार राशिद ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और दिग्गज नेता उमर अब्दुल्ला के खिलाफ चुनाव जीता। 2008 और 2014 के विधानसभा चुनाव में राशिद ने जम्मू कश्मीर सीट से जीत हासिल की थी।
इंजीनियर राशिद फिलहाल टेरर फंडिंग मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें एनआईए ने 2019 में आतंकी-फंडिंग गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया था, जो गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत पकड़े जाने वाले पहले मान्यता प्राप्त नेता बन गए थे।
विशेष रूप से, राशिद इंजीनियर और पंजाब से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह सहित जेल में बंद कुछ सांसदों ने अभी तक पद की शपथ नहीं ली है।
शेख अब्दुल राशिद कौन हैं?
अब्दुल राशिद, जम्मू-कश्मीर अवामी इत्तेहाद पार्टी के संस्थापक हैं। वह पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर के लंगेट निर्वाचन क्षेत्र से दो बार के पूर्व विधायक हैं, जहां उन्होंने 2008 और 2014 में जीत हासिल की थी। उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गए थे। उन्होंने ये सभी चुनाव एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़े।
अब्दुल राशिद का ‘इंजीनियर राशिद’ नाम 2008 से चला आ रहा है, जब उन्होंने एक निर्माण इंजीनियर के रूप में अपनी नौकरी से इस्तीफा देने के बाद अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। उन्होंने कथित तौर पर 17 दिनों के अभियान के बाद लंगेट निर्वाचन क्षेत्र जीता था।