वायनाड लोकसभा क्षेत्र से प्रियंका गांधी वाड्रा के नामांकन ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। भाजपा ने कांग्रेस पर “वंशवादी राजनीति” में शामिल होने का आरोप लगाया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता राजीव चंद्रशेखर ने कांग्रेस पर जनता को धोखा देने और अपने इरादे छुपाने का आरोप लगाया। उन्होनें कहा, “ये बेशर्मी है और ये कांग्रेस टाइप की बेशर्मी है- वायनाड के मतदाताओं पर अपने वंश के एक के बाद एक सदस्यों को थोपना। वो भी बेशर्मी से ये छिपाने के बाद कि राहुल दूसरी जगह से चुनाव लड़ रहे थे।”
उन्होंने कहा, “विश्वासघात के इस पैटर्न के कारण ही कांग्रेस को राहुल गांधी के नेतृत्व में तीसरे चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।”
चंद्रशेखर ने आगे कहा, “प्रियंका गांधी को देश में कहीं से भी चुनाव लड़ने का अधिकार है, लेकिन कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी के इस फैसले से कई सवाल उठते हैं। उन्होंने उनसे (वायनाड से) यह तथ्य छिपाया कि वह रायबरेली से भी चुनाव लड़ने वाले थे। उन्होंने उन्हें धोखा दिया और आज, जब उन्होंने सद्भावनापूर्वक उनका समर्थन किया और उन्हें लोगों के लिए कुछ करने का एक और मौका दिया, तो वह अपने हाथ धो रहे हैं और कह रहे हैं कि मैं रायबरेली जा रहा हूं। यह वायनाड के लोगों के साथ विश्वासघात है। वह एक ऐसी सीट से अपनी राजनीतिक शुरुआत कर रही हैं, जिसे जीतना उनके लिए बेहद आसान होने वाला है क्योंकि IUML उनका समर्थन करती है।”
चंद्रशेखर को जवाब देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने ट्रैक रिकॉर्ड की ओर इशारा किया।
उन्होंने कहा, ‘जैसे कि 2014 में PM मोदी ने वडोदरा के मतदाताओं से ‘बेशर्मी’ से ये बात छिपाई कि वो 2014 में वाराणसी से भी चुनाव लड़ेंगे?’
खेड़ा ने आगे कहा, “राहुल गांधी ने पूरे देश को वादा किया था कि जो भी निर्णय होगा वो सभी को पसंद आएगा। रायबरेली को भी दो सांसदों का लाभ मिलेगा और वायनाड में भी दो सांसदों का लाभ मिलेगा। रही बात भाजपा की तो हम उन्हें रोक थोड़ी रहे हैं। उनका कोई भी नेता मैदान में आए और चुनाव लड़े। आप(भाजपा) हमारी पार्टी की चिंता मत कीजिए कि हम किसे टिकट दे रहे हैं।”
वह गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 के लोकसभा चुनाव में वडोदरा और वाराणसी से चुनाव लड़ने और दोनों में जीत हासिल करने का जिक्र कर रहे थे। बाद में मोदी ने वडोदरा निर्वाचन क्षेत्र से इस्तीफा दे दिया था और वाराणसी सीट बरकरार रखी थी।
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे की इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर तीखी नोकझोंक हुई कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में रायबरेली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बरकरार रखेंगे और केरल में अपनी वायनाड सीट खाली कर देंगे। प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड से चुनावी मैदान में उतरेंगी।
निर्वाचित होने पर यह संसद सदस्य के रूप में प्रियंका गांधी वाड्रा का पहला कार्यकाल होगा। इसके अतिरिक्त, यह पहली बार होगा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा एक साथ संसद में काम करेंगे।
वहीं प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा ने कहा, “मैं देश की जनता को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने कांग्रेस को अच्छा आंकड़ा दिलाया और भाजपा को 400 पार जुमले की हकीकत याद दिला दी। मैं बहुत खुश हूं कि प्रियंका वायनाड से चुनाव लड़ेंगी। वे वहां भी मेहनत करेंगी। मैं उम्मीद करता हूं कि वहां की जनता उन्हें भारी बहुमत से जिताएं। जब भी मुझसे राजनीति में आने पर सवाल किया गया तब मैंने हमेशा कहा है कि प्रियंका गांधी के संसद में शामिल होने के बाद मैं सक्रिय राजनीति में आ सकता हूं। उनका(प्रियंका गांधी) संसद और सक्रिय राजनीति में होना जरूरी है।”
भाजपा ने वायनाड से प्रियंका गांधी को मैदान में उतारने के कांग्रेस के फैसले की निंदा की और इसे वंशवादी राजनीति का स्पष्ट उदाहरण करार दिया। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, ”इससे साबित होता है कि कांग्रेस एक पार्टी नहीं बल्कि एक पारिवारिक कंपनी है।”
उन्होंने वायनाड सीट खाली करने के गांधी परिवार के फैसले को निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के साथ “विश्वासघात” बताया और आरोप लगाया कि यह परिवार के भीतर राजनीतिक विरासत को बनाए रखने की एक चाल थी। उन्होंने टिप्पणी की, “इससे पता चलता है कि बेटे और बेटी के बीच पहले कौन है।”
पूनावाला ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने रायबरेली सीट नहीं छोड़ने का फैसला किया क्योंकि ऐसा करने से बाद के उपचुनाव में भाजपा को जीत मिल सकती थी।
भाजपा नेता वी. मुरलीधरन ने इसे अपमान बताया और कहा, “यह पूरे केरल राज्य का अपमान है। अब राहुल गांधी की जगह प्रियंका गांधी वायनाड से चुनाव लड़ने जा रही हैं। अमेठी और रायबरेली की तरह यह भी एक पारिवारिक निर्वाचन क्षेत्र होगा। प्रियंका गांधी जिनका केरल से कोई संबंध नहीं है, वे केरल से क्यों आकर चुनाव लड़ेंगी? ये सभी ऐसे मुद्दे हैं जो स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि कांग्रेस नेहरू परिवार की पारिवारिक संपत्ति बन गई है। यह परिवार ही है जो निर्णय लेता है, परिवार ही परिवार के उद्देश्य के लिए है।”