भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है और उन पर एक निश्चित समुदाय या विपक्ष को निशाना बनाने के लिए “घृणास्पद और असंसदीय” भाषण देकर प्रधानमंत्री कार्यालय की गरिमा को कम करने का आरोप लगाया है। मनमोहन सिंह ने यह टिप्पणी तब की है जबकि इसी साल अप्रैल में राजस्थान में एक रैली में पीएम मोदी ने आरोप लगाया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो देश की संपत्ति “उन लोगों को वितरित कर देगी जिनके अधिक बच्चे हैं”। पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह की उस टिप्पणी का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है।
पंजाब के लोगों को लिखे एक पत्र में मनमोहन सिंह ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी “घृणास्पद भाषणों के सबसे वीभत्स रूप में शामिल हैं जो पूरी तरह से विभाजनकारी प्रकृति के हैं”।
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2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के पीएम मोदी के वादे पर निशाना साधते हुए, मनमोहन सिंह ने कहा कि पीएम मोदी की नीतियों ने पिछले 10 वर्षों में किसानों की कमाई को खत्म कर दिया है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “किसानों की राष्ट्रीय औसत मासिक आय मात्र 27 रुपये प्रति दिन है, जबकि प्रति किसान औसत कर्ज 27,000 रुपये (एनएसएसओ) है। ईंधन और उर्वरक सहित इनपुट की उच्च लागत, कम से कम 35 कृषि-संबंधित उपकरणों पर जीएसटी और कृषि निर्यात और आयात में मनमाने ढंग से निर्णय लेने ने, हमारे कृषक परिवारों की बचत को नष्ट कर दिया है और उन्हें हमारे समाज के हाशिये पर छोड़ दिया है। ”
उन्होनें कहा, “पिछले 10 वर्षों में, देश की अर्थव्यवस्था में अकल्पनीय उथल-पुथल देखी गई है। नोटबंदी की आपदा, त्रुटिपूर्ण जीएसटी और कोविड-19 महामारी के दौरान दर्दनाक कुप्रबंधन के कारण एक दयनीय स्थिति पैदा हो गई है, जहां 6-7 फीसदी से कम जीडीपी वृद्धि की उम्मीद नई सामान्य बात बन गई है।”
मनमोहन सिंह ने 2020-21 के किसानों के विरोध प्रदर्शन पर भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र की आलोचना की।
सिंह ने कहा, “पिछले 10 साल में, BJP सरकार ने पंजाब और पंजाबियत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 750 किसान, जिनमें से ज्यादातर पंजाब से थे, दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक इंतजार करते हुए शहीद हो गए। जब लाठी और रबर की गोलियों से भी मन नहीं भरा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में हमारे किसानों को ‘आंदोलनजीवी’ और ‘परजीवी’ कहकर उनका अपमान किया। किसानों की सिर्फ यही मांग थी कि उनसे चर्चा किए बिना उन पर थोपे गए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।”
उन्होंने आगे कहा, “उनकी एकमात्र मांग उनसे परामर्श किए बिना उन पर लगाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेना था। पिछले दस वर्षों में, भाजपा सरकार ने पंजाब, पंजाबियों और पंजाबियत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।”
वहीं सिंह के पत्र पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “मनमोहन सिंह जी ने पंजाब का नाम पूरे देश और दुनियाभर में रोशन किया। जब हमारी उनसे बात हुई तो उनकी आवाज में एक दर्द और पीड़ा थी। क्योंकि जिस शख्स से एक चमन को सींचा हो, अब उसे छिन्न-भिन्न किया जा रहा है। डॉ. मनमोहन सिंह जी के कार्यकाल में देश के हर वर्ग को लाभ मिला, लेकिन पिछले 10 वर्षों में तमाम वर्गों के साथ जो हुआ, वह सबके सामने है।”
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