राजकोट के गेमिंग जोन में बड़ी सुरक्षा खामियां सामने आने के बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को राजकोट नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई। इस भीषण आग ने 28 लोगों की जान ले ली। न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और न्यायमूर्ति देवन देसाई की विशेष पीठ ने राज्य मशीनरी में विश्वास की कमी व्यक्त करते हुए सवाल उठाया कि पिछले अदालती आदेशों के बावजूद ऐसी त्रासदी कैसे हो सकती है?
गुजरात उच्च न्यायालय ने रविवार को टीआरपी गेम जोन में लगी आग का स्वत: संज्ञान लिया और इसे “मानव निर्मित आपदा” करार दिया था। हाइकोर्ट ने राज्य सरकार तथा सभी नगर निगमों को तलब किया था।
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाए और कहा कि अब हमें स्थानीय व्यवस्था और राज्य सरकार पर भरोसा नहीं है।
हाईकोर्ट ने नगर निगम को फटकार लगाते हुए पूछा, ‘लोग मशीनरी के ट्रिगर से मर रहे हैं। ढाई साल से यह सब चल रहा था तो क्या सो गये थे? या आप अंधे हो गये थे? कुछ बड़े अफ़सर गेमिंग जोन में खेलने गये थे उसकी तस्वीरें वायरल हुई इस संबंध में कोर्ट ने पूछा, जो अधिकारी वहां खेलने गए थे वो क्या कर रहे थे? दुर्घटना के बाद पेनिक बटन दबाने का क्या मतलब, अब सरकार ने सभी गेमिंग जोन बद करवाए हैं।’
जब नगर निगम ने अदालत को सूचित किया कि गेमिंग जोन ने अनुमति नहीं मांगी है, तो पीठ ने कहा कि यह उनकी भी जिम्मेदारी है। कोर्ट ने सवाल किया कि हमारे चार साल के आदेश के बाद भी अगर फायर सेफ़्टी मामले में कोई कदम नहीं लिये गये तो राजकोट नगर निगम (आरएमसी) को क्यों नहीं जिम्मेदार माना जाए?
कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा, “ढाई साल से ये सब चल रहा था, तो क्या आप सो गए? या आप अंधे हो गए थे।”
शनिवार को लगी आग कथित तौर पर गेम जोन में चल रहे वेल्डिंग कार्य के कारण लगी थी। सुविधा में अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) का अभाव था और केवल एक प्रवेश-निकास बिंदु था, जिसने आग को तेजी से फैलने में योगदान दिया। क्षेत्र में हजारों लीटर पेट्रोल और डीजल जमा था, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने स्थिति का आकलन करने के लिए घटनास्थल का दौरा किया और घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। एसआईटी को 72 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
गेमिंग जोन के मालिक और मैनेजर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है और छह लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। गुजरात के डीजीपी ने राज्य के सभी गेमिंग जोन का निरीक्षण करने और अग्नि सुरक्षा अनुमति के बिना चल रहे गेमिंग जोन को बंद करने का निर्देश दिया है।
गुजरात सरकार ने गेम जोन में आग लगने के मामले में सोमवार को छह अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया। अधिकारियों को “आवश्यक अनुमोदन के बिना खेल क्षेत्र को संचालित करने की अनुमति देने में घोर लापरवाही” के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।