दिल्ली की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई की, जिन्हें 13 मई को सीएम आवास पर आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। स्वाति मालीवाल ने AAP की “ट्रोल्स की सेना” पर पलटवार किया और बढ़ते बलात्कार और मौत की धमकियों के लिए एक लोकप्रिय YouTuber को दोषी ठहराया। उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि अगर विभव कुमार को जमानत दी गई, तो उनके जीवन और परिवार को खतरा होगा क्योंकि “वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं”।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल अदालत में तब रो पड़ीं, जब अरविंद केजरीवाल के सहयोगी विभव कुमार के एक वकील ने कहा कि उन्होंने 13 मई को दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास पर कथित हमले का स्थान इसलिए चुना क्योंकि वहां कोई सीसीटीवी नहीं था, जो घटना को रिकार्ड कर सके। मालीवाल ने कोर्ट से कहा कि अगर बिभव कुमार जेल से बाहर आया तो मुझे और मेरे परिवार को जान का खतरा हो सकता है।
स्वाति मालीवाल ने जज से कहा, “जब से मैंने शिकायत दर्ज कराई है। तब से आम आदमी पार्टी के नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि मैंने झूठी FIR कराई है। ये आरोपी के बचाव में उतरे और लखनऊ से लेकर कई जगहों पर लेकर घुमते रहे। गिरफ्तारी के बाद मुझे धमकियां मिल रही हैं। आम आदमी पार्टी का पूरा तंत्र उसके बचाव में उतर आया सड़क पर उतरे। इनके पास एक बहुत बड़ा सिस्टम है जोकि मेरे चरित्र हनन में लगा हुआ है।”
मालीवाल ने कहा, “लोगों को कहा गया है कि कोई मेरे साथ खड़ा ना हो। कभी गाडियां तो कभी कुछ कहा जा रहा है। ये आदमी बहुत पावर फुल है अगर बाहर आया तो मुझे और मेरे परिवार को खतरा है। विभव के वकील ने सुनवाई के दौरान जब कौरवों और द्रौपदी का किया उस दौरान स्वाति मालीवाल कोर्ट में रो पड़ी। विभव के लिए वकील ने झा की स्वाति मालीवाल ने मुख्यमंत्री आवास के ड्राइंग रूम को जानबूझकर चुना था क्योंकि वहां पर कोई सीसीटीवी नही है। वह जानती थी कि वहां सीसीटीवी नहीं है। उसने अपनी इस जगह को चुना ताकि वह बाद में सुविधा के अनुसार आरोप लगा सके।”
उन्होंने यह भी कहा कि ये सब कुछ एक तरह से सुनियोजित था।
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट मुख्यमंत्री के सहयोगी द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसकी न्यायिक हिरासत 24 मई को चार दिनों के लिए बढ़ाए जाने के बाद कल समाप्त होने वाली है। उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था।
वहीं विभव कुमार के वकील ने कहा कि विभव कुमार की छबि को जानबूझकर खराब की जा रही है क्योंकि स्वाति मालीवाल को लगता है कि केजरीवाल से मिलने नही देने के लिए विभव कुमार जिम्मेदार है। वकील ने कहा कि घटना के दिन एसएचओ ने कोई मेडिकल जांच नही कराई थी। विभव कुमार के वकील ने कहा कि जिन धाराओं के तहत विभव पर आरोप लगाया गया है, उन धाराओं के तहत मामला बनता ही नही है। विभव के वकील ने यह भी कहा कि मालीवाल का आरोप है कि विभव ने उनसे कहा कि तू कैसे हमारी बात नहीं मानेगी? क्या बात? कोई बातचीत ही नही हुई।
वकील ने कहा कि उनकी केजरीवाल से मुलाकात ही नही हो पाई। उन्होंने कहा कि विभव आए थप्पड़ मारने लगे। कोई ऐसा क्यों करेगा? क्या कोई मुख्यमंत्री के घर जैसी जगह पर ऐसी हरकत करेगा, जहां इतनी सिक्युरिटी है। विभव के वकील ने कहा कि मेडिकल तीन से चार दिन बाद हुआ। मैंने दिल्ली पुलिस के बनाये हुए काफी केस देखे लेकिन ऐसा केस कभी नहीं देखा। विभव कुमार वहां मौजूद थे क्योंकि मालीवाल ने उन्हें बुलाया था। रही बात चोटों के निशान की तो इन्हें खुद भी बनाया जा सकता है। ऐसा लग रहा है कि जैसे सब के बनाए हुए काफी कुछ प्लानिंग के तहत किया गया।
दिल्ली पुलिस ने विभव कुमार की ओर से दायर जमानत याचिका का विरोध किया है। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा कि विभव कुमार के पास क्या अधिकार है कि नौकरी जाने के पास भी वहां काम कर रहे थे। दिल्ली पुलिस ने कहा कि विभव कुमार ने मोबाइल का पासवर्ड बताने से इंकार कर दिया था। मोबाइल को फॉर्मेट किया गया।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि पार्टी प्रमुख खुद उन्हें लेडी सिंघम कह चुके है। अब आप कह रहे है कि वह विभव की छबि खराब करने वहां गई थी? विभव कौन है? विभव कुमार को पहले बर्खास्त किया जा चुका है। इसके बावजूद भी वह काम कर रहा है। इससे पता चलता है कि वह कितने रसूखदार है। आपकी खुद पार्टी की सदस्य सीएम से मिलने जा रही थी, विभव को यह कहने का कोई अधिकार नही था कि तुमने मालीवाल को आने कैसे दिया।दिल्ली पुलिस ने कहा कि जिस जगह कथित घटना हुई, उसका वीडियो फुटेज गायब है। वह हिस्सा खाली है। यह किसी तकनीकी समस्या के कारण हो सकता है या इसे जानबूझकर हटाया गया, य़ह भी हो सकता है।
दिल्ली पुलिस ने कहा बिभव को पूरी ज़मानत अर्जी 41A CrPC के आधार पर है। अगर आपको लगता है कि यह 41A CrPC के तहत नोटिस प्रावधान का उल्लंघन था। तो उचित उपाय कुछ और था न कि ज़मानत अर्जी। वैसे भी भारत मे वैसे भी महिलाएं यौन उत्पीड़न के मामले मे मुकदमा दर्ज कराने में हिचकिचाती हैं।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि जब हमे विभव की पांच दिन की कस्टडी मिली थी, उस दौरान हम मुंबई गए जहां फोन फॉर्मेट किया गया था।
जज ने पूछा कि आप फोन क्यों चाहते थे?
दिल्ली पुलिस ने जवाब में कहा कि हम य़ह पता करना था कि बिभव ने किसको फोन किए? क्या मुख्यमंत्री को फोन करके परमीशन की बात कही? इन्होंने फोन तो दिया लेकिन पासवर्ड नहीं बताया। हम बिभव के फोन की जांच इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हमें यह जानना है कि वह किस किस से बात करता था? सेवा समाप्त होने के बाद भी वह वहां पर कैसे काम कर रहा था? वीडियो डिलीट किया गया, शायद वह उसमें मिल सकता है। वह मुंबई फोन फॉर्मेट करने के लिए गया और फॉर्मेट करने से पहले उसका बैकअप तैयार किया जाता है।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि बिभव प्रभावशाली व्यक्ति है अगर इस स्टेज पर ज़मानत दी जाती है तो वह सबूतों को प्रभावित कर सकते है।
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में दो हफ्ते पहले एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया जब स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार ने उन्हें “पूरी ताकत से बार-बार” मारा और मुख्यमंत्री के आवास पर उन्हें “सात-आठ बार लात और थप्पड़ से मारे गए”।
इसके जवाब में केजरीवाल ने कहा है कि मामले की निष्पक्ष जांच से न्याय मिलेगा, क्योंकि इसके दो संस्करण हैं।