हरियाणा विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया है जो राज्य में भोजनालयों सहित किसी भी स्थान पर हुक्का बार खोलने या चलाने या ग्राहकों को हुक्का परोसने पर प्रतिबंध लगाता है। सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध और व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन) हरियाणा संशोधन विधेयक, 2024 को विधानसभा में पारित कर दिया गया है। गृह मंत्री अनिल विज ने सदन में “सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध, व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन), हरियाणा संशोधन विधेयक, 2024” पेश किया था।
विधेयक के अनुसार, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध, व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन), अधिनियम 2003 — हरियाणा में “ईटिंग हाउस” में हुक्का बार खोलना या चलाना, ग्राहकों को हुक्का परोसने पर कम से कम एक वर्ष की कैद की सज़ा होगी, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही जुर्माना जो 1 लाख रुपये से कम नहीं होगा अधिकतम तीन लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
बिल की धारा-4 ए के मुताबिक, “कोई भी व्यक्ति स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति की ओर से कोई हुक्का बार नहीं खोलेगा या चलाएगा या भोजनालय सहित किसी भी स्थान पर ग्राहक को हुक्का नहीं परोसेगा।”
विधेयक में “ईटिंग हाउस” को “कोई भी स्थान जहां आगंतुकों को उपभोग के लिए किसी भी प्रकार का भोजन या जलपान प्रदान किया जाता है या बेचा जाता है” के रूप में परिभाषित किया गया है।
बिल के अनुसार, मूल अधिनियम की धारा 21 के बाद, धारा 21-ए डाली जाएगी। यह प्रावधान हुक्का बार चलाने पर सजा से संबंधित है।
बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी ने संशोधन के एक प्रावधान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “हुक्का बार” को किसी भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान के रूप में परिभाषित किया गया है, जहां लोग हुक्का या नरगिल से तम्बाकू धूम्रपान करने के लिए इकट्ठा होते हैं, जो व्यक्तिगत रूप से एक वाणिज्यिक सेवा के रूप में प्रदान किया जाता है लेकिन इसमें पारंपरिक हुक्का शामिल नहीं होता है।
उन्होनें कहा, “इसके तहत, यह उल्लेख किया गया है कि पारंपरिक हुक्का इसमें शामिल नहीं है। लेकिन वास्तव में पारंपरिक हुक्का क्या है, यह बिल में परिभाषित नहीं किया गया है। इससे क्या होगा कि चीजों को दरकिनार करने के लिए, (उल्लंघनकर्ता) उस (पारंपरिक) हुक्के में हानिकारक और निषिद्ध पदार्थ डाल देंगे। इस प्रकार, यह उस उद्देश्य को विफल कर देगा जिसके लिए यह विधेयक लाया जा रहा है।”
कांग्रेस के बीबी बत्रा ने भी मांग की कि “पारंपरिक हुक्का” को परिभाषित किया जाए।
विज ने कहा कि यह उल्लेख किया गया है कि “हुक्का बार” का अर्थ कोई भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान है जहां लोग धूम्रपान करने के लिए इकट्ठा होते हैं, और यह उन लोगों के लिए नहीं है जो घर पर पारंपरिक हुक्का पीते हैं।
चौधरी ने यह भी पूछा कि अगर कोई उस “पारंपरिक हुक्का” को किसी व्यावसायिक स्थान पर रखता है और उसमें प्रतिबंधित पदार्थ डालता है तो कानून कैसे लागू होगा।
विज ने जोर देकर कहा कि विधेयक विशेष रूप से वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के बारे में बात करता है और कांग्रेस नेता ने मंत्री के स्पष्टीकरण पर संतोष व्यक्त किया। बाद में बिल पास हो गया।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों में निकोटीन युक्त तंबाकू के साथ हुक्का नरगिल परोसने वाले हुक्का बारों को गंभीरता से लिया है।
ऐसे हुक्का बारों द्वारा विभिन्न स्वाद/जड़ी-बूटियाँ भी परोसी जाती हैं। कई बार तो हुक्का बार में फ्लेवर/जड़ी-बूटियों की आड़ में प्रतिबंधित दवाएं भी परोसी जाती हैं।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के विवरण में कहा गया है, “इस तरह के हुक्का में एक पानी की पाइप प्रणाली और चारकोल के साथ गरम किया गया स्वादयुक्त घटक ‘शीशा’ शामिल होता है। इससे जुड़े कम या कोई जोखिम नहीं होने की गलत धारणा और कई स्वादों की उपलब्धता और धुएं की कम कठोरता के कारण, इसका उपयोग काफी बढ़ गया है।”
आगे यह भी कहा गया, “हालांकि, ऐसे स्वाद वाले हुक्के के धुएं में विभिन्न विषाक्त पदार्थ होते हैं, जो न केवल धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के लिए बल्कि निष्क्रिय धूम्रपान के कारण आस-पास के लोगों के लिए भी हानिकारक होते हैं।”