कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत सरकार द्वारा राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब (हेडस्कार्फ) पर प्रतिबंध हटाने की घोषणा के बाद विवाद खड़ा हो गया है। यह आदेश पिछली भाजपा सरकार द्वारा 2022 में लाया गया था।
बीजेपी ने लगाया मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप-
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया कि कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध हटाने से राज्य में “शरिया कानून की स्थापना” हो जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अगर विपक्ष सत्ता में आया तो पूरे देश में “इस्लामिक कानून लागू किया जाएगा।”
सिंह ने कहा, “यह केवल हिजाब पर प्रतिबंध हटाना नहीं है, बल्कि राज्य में शरिया कानून की स्थापना है। अगर राहुल गांधी, कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक देश में सरकार बनाते हैं, तो इस्लामी कानून लागू किया जाएगा। यह सनातन धर्म को नष्ट करने की साजिश है और एक सुनियोजित योजना है।”
पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया वोट-बैंक की राजनीति कर रहे हैं और कहा कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों के वोट हासिल करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “हिजाब हर जगह पहना जाता है। हिजाब एक ड्रेस कोड का मुद्दा है। सिद्धारमैया स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के बीच भेदभाव पैदा करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। वह वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसा कर रहे हैं।”
बोम्मई ने कहा, “मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है और मुख्यमंत्री ने इस पर ध्यान भी नहीं दिया है। वह अल्पसंख्यकों को खुश करना चाहते हैं और उनकी नजर लोकसभा चुनाव पर है।”
पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया ने “मुसलमानों को खुश करने के लिए” हिजाब पहनने पर प्रतिबंध हटाने का बयान दिया।
उन्होंने कहा, “किसी ने भी इस हिजाब फैसले को वापस लेने की मांग नहीं की है। मुसलमानों को खुश करने के लिए सिद्धारमैया ने यह बात कही है। उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए।”
येदियुरप्पा के बेटे और कर्नाटक बीजेपी प्रमुख बीवाई विजयेंद्र ने सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध को वापस लेने के फैसले ने “हमारे शैक्षिक स्थानों की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं”।
कांग्रेस का पलटवार-
बीजेपी के दावों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने कहा कि यह कदम कानून के तहत उठाया जा रहा है और इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि बीजेपी संविधान के बारे में जानती है। उन्हें संविधान पढ़ना चाहिए। कोई भी कानून या नीति जो कर्नाटक की प्रगति के लिए अच्छा नहीं है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। अगर जरूरत पड़ी तो हम उस कानून या नियम को हटा देंगे।”
मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा कि वह इस मुद्दे पर सिद्धारमैया के साथ चर्चा करेंगे, जिसके बाद वह “चीजों को आगे बढ़ाएंगे”।
उन्होनें कहा, “इसका किसी भी प्रकार की राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। राज्य की शिक्षा नीति में संस्कृति, अध्ययन और अन्य चीजें शामिल हैं। भाजपा इस बारे में नहीं बोलेगी कि उन्होंने क्या प्रगति की है। हमारे मुख्यमंत्री निश्चित रूप से इस पर नजर डालेंगे और वैधता का पता लगाएंगे।”
राज्य के एक अन्य मंत्री एचके पाटिल ने भाजपा पर निशाना साधा और पूछा कि क्या धर्मनिरपेक्ष होना तुष्टिकरण है।
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री ने बयान दिया है। वह कानून जानते हैं। वह हमारे पहले के रुख को भी जानते हैं। मुख्यमंत्री की हमारी सोच कांग्रेस पार्टी की सोच है। भाजपा को कुछ नहीं पता है।” .
पूरा मामला क्या है?
इस साल अक्टूबर में सरकार ने हिजाब प्रतिबंध आदेश को रद्द करने का संकेत देते हुए छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान हिजाब पहनने की अनुमति दी थी। साल 2022 में उडुपी के एक सरकारी कॉलेज ने कक्षाओं के अंदर हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया था और कई अन्य संस्थानों ने भी इसका पालन किया था। बाद में, तत्कालीन बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने परिसरों के अंदर हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि “कोई भी कपड़ा जो समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून व्यवस्था को परेशान करेगा” की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इस आदेश के कारण कई विरोध और प्रतिवाद हुए, जिसके कारण राज्य में संस्थान बंद हो गए। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसने 13 अक्टूबर को खंडित फैसला सुनाया।
इसके बाद खंडपीठ ने मुख्य न्यायाधीश से मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने का अनुरोध किया और यह मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है।