सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने पीड़ित को 10 लाख का मुआवजा देने का निर्देश दिया। इसमें 5 लाख का मुआवजा प्रभुनाथ सिंह और 5 लाख का मुआवजा सरकार पीड़ित को देगी।
इस केस में प्रभुनाथ सिंह को निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में उन्हें दोषी ठहराया था।
Supreme Court sentenced life imprisonment to Bihar politician Prabhunath Singh in a matter pertaining to 1995 double murder case pic.twitter.com/1WmHpKB6nb
— ANI (@ANI) September 1, 2023
ये मामला 1995 के चुनाव में छपरा के मसरख में राजेंद्र राय और दारोगा राय की हत्या से जुड़ा है। इन लोगों की प्रभुनाथ सिंह के कहे अनुसार वोट नहीं करने पर हत्या कर दी गई थी।
प्रभुनाथ सिंह हत्या के एक दूसरे मामले में उम्रकैद की सज़ा काट रहे है। जस्टिस विक्रम नाथ की फैसला पढ़ते हुए कहा – ऐसा केस पहले नहीं देखा। कोर्ट को जब बताया गया कि प्रभुनाथ सिंह की उम्र 70 साल है। तो कोर्ट ने टिप्पणी की कि भगवान ही मालिक है।
VIDEO | "Court gave the sentence of life imprisonment (to Prabhunath Singh) while the next of kin of those who died will be given Rs 10 lakh compensation. Those injured will be given Rs 5 lakh each," says Abhay Kumar, advocate of victims of 1995 double-murder case, after Supreme… pic.twitter.com/lruhGOfubV
— Press Trust of India (@PTI_News) September 1, 2023
सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को आरजेडी के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को 1995 के एक डबल मर्डर केस में दोषी करार दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 1995 के चुनाव में प्रभुनाथ सिंह के कहे अनुसार वोट नहीं करने पर छपरा के मसरख में राजेंद्र राय और दारोगा राय की हत्या के केस में पूर्व सांसद को दोषी ठहराते हुए सजा पर बहस के लिए एक सितंबर की तारीख तय की थी। कोर्ट ने प्रभुनाथ सिंह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने की इजाजत दी थी।
बिहार की महाराजगंज लोकसभा सीट से तीन बार जेडीयू और एक बार आरजेडी के टिकट पर सांसद रह चुके प्रभुनाथ सिंह पर 1995 में मसरख के एक मतदान केंद्र के पास तब 47 साल के दारोगा राय और 18 साल के राजेंद्र राय की हत्या का आरोप था। आरोप था कि दोनों ने प्रभुनाथ सिंह समर्थित कैंडिडेट को वोट नहीं दिया इसलिए उनकी हत्या कर दी गई। मृतक के भाई द्वारा गवाहों को धमकाने की शिकायत के बाद इस केस को छपरा से पटना ट्रांसफर कर दिया गया था जहां अगला इसका ट्रायल हुआ था।
2008 में पटना की अदालत ने सबूतों अभाव में प्रभुनाथ सिंह को बरी कर दिया। 2012 में पटना हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को सही ठहरा दिया था। इसके बाद मृतक राजेंद्र राय के भाई ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने कहा कि सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। केस के बाकी आरोपियों को रिहाई को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया था।
प्रभुनाथ सिंह इस समय 1995 के ही एक मर्डर केस में सजा काट रहे हैं। मसरख के विधायक अशोक सिंह की 1995 में हत्या हो गई थी जिन्होंने चुनाव में प्रभुनाथ सिंह को हराया था ।
चुनावी हार के बाद प्रभुनाथ सिंह ने कथित तौर पर कहा था तीन महीने के अंदर अशोक सिंह को मार देंगे। अशोक सिंह की हत्या उनके घर पर दिनदहाड़े कर दी गई थी। इस केस में 2017 में प्रभुनाथ सिंह को दोषी ठहराया गया और उसी केस वो इस समय जेल में सजा भुगत रहे हैं।
प्रभुनाथ सिंह कौन हैं?
प्रभुनाथ सिंह 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा के सदस्य रहे हैं। उन्होंने 1985 से 1995 तक मसरख विधानसभा क्षेत्र और 1998 से 2009 तक बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2013 में प्रभुनाथ सिंह ने उपचुनाव जीता और 2014 तक सांसद रहे। राजनीति में प्रभुनाथ सिंह पहले आनंद मोहन के साथ थे लेकिन बाद में नीतीश कुमार के साथ आ गए थे। नीतीश से विवाद के बाद 2010 में प्रभुनाथ सिंह लालू यादव के साथ हो लिए थे।
शीर्ष अदालत ने बिहार के महाराजगंज से कई बार सांसद रह चुके सिंह को दोषी ठहराते हुए कहा था कि इसमें रत्ती भर भी संदेह नहीं है कि सिंह ने उनके खिलाफ सबूतों को ”मिटाने” के लिए हर संभव प्रयास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।