रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग करने वाली सुब्रमण्यम स्वामी की जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने बीजेपी नेता की उस दलील को संज्ञान में लिया जिसमें कहा गया है कि, ‘अभी तक इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है और इसलिए इस जनहित याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए’। सीजेआई ने कहा, “संविधान पीठ के मामले खत्म होने के बाद हम इसे सूचीबद्ध करेंगे।”
इससे पहले 19 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा बताया गया था कि केंद्र राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने से संबंधित मुद्दे पर विचार कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए कहा था और स्वामी से कहा था कि यदि वह असंतुष्ट हैं तो वे इस मुद्दे पर अपने अंतरिम आवेदन के निपटारा के लिए उसके समक्ष फिर से अर्जी देने को स्वतंत्र हैं। कोर्ट ने कहा था कि, सॉलिसिटर जनरल से पता चला कि संस्कृति मंत्रालय में वर्तमान में प्रक्रिया जारी है। कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता स्वामी अगर अगर चाहें तो अतिरिक्त अर्जी दे सकते हैं। स्वामी ने कहा था, मैं किसी से मिलना नहीं चाहता। हम एक ही पार्टी में हैं, यह हमारे घोषणा पत्र का हिस्सा है। उन्हें छह हफ्ते में या जब भी फैसला करने दीजिए।
बीजेपी नेता ने कहा था, ‘मैं फिर आऊंगा।’ स्वामी ने कहा था कि 2019 में तत्कालीन संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने इस मुद्दे पर बैठक बुलाई थी और रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा था, मुद्दा यह है कि उन्हें तो हां या ना कहना होगा। विधि अधिकारी ने कहा था कि सरकार इस मामले में विचार कर रही है।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह फरवरी के दूसरे सप्ताह में स्वामी की याचिका पर सुनवाई करेगी।
केंद्र सरकार रामसेतु मामले पर अपना पक्ष पहले ही सुप्रीम कोर्ट को बता चुकी है। केंद्र ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया था कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। इस परियोजना के लिए सरकार कोई वैकल्पिक मार्ग की खोज करेगी। स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि राम सेतु लाखों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है, लिहाजा इसे न तोड़ा जाए. साथ ही रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए।
रामसेतु तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट से पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर की एक श्रृंखला है। इसे आदम का पुल भी कहा जाता है।
बता दें कि संसद के शीतकालीन सत्र में बीजेपी सांसद कार्तिकेय शर्मा के रामसेतु पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि, ‘जिस जगह पर पौराणिक रामसेतु होने का अनुमान जाहिर किया जाता है, वहां की सैटेलाइट तस्वीरें ली गई हैं। इन तस्वीरों में आइलैंड और चूना पत्थर दिखाई दे रहे हैं, पर यह दावा नहीं कर सकते हैं कि यही रामसेतु के अवशेष हैं’।