राजस्थान में पार्टी को मजबूत करने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार रात अलवर के सर्किट हाउस में बैठक की। राहुल गांधी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ बंद कमरे में लंबी बैठक की। इस बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी मौजूद थे और यह लगभग 30 मिनट तक चली। सूत्रों के मुताबिक, अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ हुई बैठक के बाद राहुल गांधी ने कहा कि- ‘जल्द ही अच्छी खबर मिलेगी’। सूत्रों ने कहा है कि राहुल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच हर हाल में सुलह करवाना चाहते हैं ताकि आने वाले समय में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार फिर से सत्ता में आ सके।
हालांकि, इस बैठक के दौरान राहुल ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट से किन मुद्दों पर चर्चा की, यह अभी तक सामने नहीं आ सका है। लेकिन यह कयास लगाया जा रहा है कि उन्होंने इन दोनों नेताओं के बीच के खटास को मिटाने के लिए पहल की है।
सोमवार को हुई बैठक ने राजस्थान में सियासी चहलकदमी को एक बार फिर हवा दे दी है। ऐसी भी अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि राजस्थान में मुख्यमंत्री के नए चेहरे का जल्द ही ऐलान किया जा सकता है, क्योंकि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लड़ाई कुर्सी को लेकर चल रही है।
इससे पहले राहुल गांधी ने अपने यात्रा के मध्य प्रदेश चैप्टर के दौरान इंदौर में कहा था कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही कांग्रेस के लिए एसेट हैं।
बता दें कि राजस्थान में भले ही इस वक्त सरकार कांग्रेस की हो, लेकिन अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का झगड़ा किसी से छुपा हुआ नहीं है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मनमुटाव तब हुआ था जब साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद दोनों ही नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। उसके बाद ये मनमुटाव साल 2020 में और पक्का हो गया जब सचिन पायलट ने कांग्रेस के 40 से अधिक विधायकों को लेकर हरियाणा के मानेसर में डेरा डाल दिया था। उसके बाद विद्रोह तब जाके खत्म हुआ, जब आलाकमान ने सचिन पायलट से सरकार में बदलाव का वादा किया। हकीकत हम सबके सामने है कि ना तो आज तक बदलाव हुआ और इन दोनों के बीच का विवाद ज्यों का त्यों बना हुआ है।
इस साल अक्टूबर में भी जब कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हो रहा था, तब भी सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जंग तेज हो गई थी। अशोक गहलोत के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के तौर पर नाम सामने आते ही सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने के लिए प्रयास शुरू कर दिया था। लेकिन बाद में अशोक गहलोत ने अध्यक्ष पद की दौड़ से अपने आप को पीछे कर लिया।
इन सब घटनाक्रम के बीच इतना लगभग तय माना जा रहा है कि अगर गहलोत व पायलट गुट के बीच की खेमेबाजी बंद नहीं हुई तो 2023 का विधानसभा चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा। कांग्रेस को अगर राजस्थान का चुनाव जीतना है तो उसे इस लड़ाई को खत्म करना ही होगा।