देश की शीर्ष अदालत के एक फैसले से 32 पूर्व महिला वायुसेना अधिकारियों को एक बड़ी राहत मिली है। बुधवार को अदालत ने इन शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की 32 रिटायर महिला अधिकारियों के पेंशन से जुड़े मामले पर फैसला देते हुए केंद्र सरकार और भारतीय वायुसेना को निर्देश दिया कि वे इन अधिकारियों की योग्यता के आधार पर इन सभी को स्थाई कमीशन और पेंशन का लाभ देने पर विचार करें। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय वायुसेना की इन पूर्व 32 महिला अधिकारियों को बहाल तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन उन्हें एकमुश्त पेंशन का लाभ दिया जा सकता है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने यह फैसला दिया है। मालूम हो कि 12 वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद इन महिला अधिकारियों को ये जीत मिली है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “देश सेवा की अनिवार्यताओं से संबंधित आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बहाली एक व्यवहार्य विकल्प नहीं हो सकता है। स्थायी कमीशन की मंजूरी के लिए भारतीय वायुसेना द्वारा योग्य पायी गयी महिला आईएएफ अधिकारी उस तारीख से एकमुश्त पेंशन लाभ पाने की हकदार होंगी जब वे सेवा में 20 साल पूरे कर चुकी होतीं, यदि उनकी सेवा जारी रहती”। CJI की बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए कहा, “हमारा मानना है कि इन महिला एसएससी अधिकारियों को पेंशन लाभ देने पर विचार किया जाना चाहिए।” सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने “निष्पक्ष दृष्टिकोण” के लिए IAF की सराहना की और केंद्र सरकार एवं वायुसेना की तरफ से पेश हुए वकील आर. बालासुब्रमण्यम से कहा कि वह भारतीय वायुसेना के प्रमुख तथा सरकार तक उनकी सराहना पहुंचायें।
ये मामला क्या है?
IAF की ये तीनों पूर्व महिला अधिकारी विधवा हैं। इन्होने अपने पतियों को देश सेवा में खो दिया था और इन सभी को ये नौकरी अनुकंपा के रूप में भारतीय वायुसेना में कमीशन के तहत मिली थी। IAF में ये अधिकारी अपनी सेवा को बढ़ाने की मांग कर रही थीं लेकिन इन तीनों की सेवा नहीं बढ़ाई गई और उन्हें रिटायर होना पड़ा था। और उसके बाद ही इन अधिकारियों ने ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहाँ से उन्हें आज राहत मिली।