सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फ्रीबीज मामला यानी चुनाव के दौरान मतदाताओं को राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त रेवडि़यों की घोषणा और उन्हें बांटने से जुड़े मामले की सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद CJI यूयू ललित ने आदेश दिया कि इस मामले को तीन जजों की पीठ के पास भेजा जा रहा है। अब तीन सदस्यीय पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। अभी तक इस मामले की सुनवाई, सीजेआई के नेतृत्व वाली दो सदस्यीय पीठ कर रही थी।
जानकारी के लिए बता दें कि 8 नवंबर को CJI यूयू ललित रिटायर हो रहे हैं तो 9 नवंबर को नए CJI बन रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पद संभालने के बाद इस तीन सदस्यीय पीठ का गठन करेंगे।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट को सुझाव दिया कि फ्रीबीज़ पर रोक के लिए एक कमेटी का गठन किया जाना चाहिए। वहीँ चुनाव आयोग ने कहा कि वह इस तरह की किसी कमेटी का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि हम इस समिति में शामिल नहीं होंगे लेकिन अगर कोई समिति बनी तो उसकी पूरी सहायता करेंगे। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम इस मामले को तीन जजों की बड़ी पीठ के पास भेज रहे हैं।
बताते चलें कि ये याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय ने शीर्ष कोर्ट में दाखिल की है। उन्होंने अपनी याचिका में कोर्ट से मांग की है कि राजनीतिक दलों को चुनावी सीजन में मुफ्त सामान देने के वादे करने से रोका जाए। याचिका में ये भी कहा गया है कि राजनीतिक दल ऐसा सिर्फ अपने वोटबैंक के लिए ही करते हैं।
हाल ही में चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के समक्ष आदर्श चुनाव संहिता में संशोधन का एक प्रस्ताव रखा है जिसके तहत चुनाव आयोग ने फ्रीबीज की की वित्तीय व्यावहारिकता के बारे में मतदाताओं को प्रामाणिक जानकारी देने को लेकर राजनीतिक दलों की राय मांगी थी। चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों को लिखे गए पत्र में उनसे 19 अक्टूबर तक उनके विचार साझा करने को कहा था। आयोग का तर्क ये है कि दल जब वोटरों को अपने वादों के आर्थिक रूप से व्यावहारिक होने की प्रामाणिक जानकारी देंगे तो मतदाता उसका आकलन कर सकेंगे।