वाराणसी ग्रामीण क्षेत्र में आजकल एक नया रिवाज चल पड़ा है जिसके तहत फ़र्ज़ी नोटिस और फ़र्ज़ी FIR से एक हत्या आरोपी और राजस्व के फ्रॉड के मास्टर माइंड अजय सिंह प्रबंधक महादेव PG कॉलेज के इशारे पर एक लड़की को सामने करके इस फर्ज़ीवाड़े और इसके संबंधित मामलें में हुई हत्या के परिजनों पर दबाव बनाने और मामलें से हट जाने के उद्देश्य से ये फ़र्ज़ी FIR करवाई गई। लेकिन बात यहां आकर रुकी की जिन लड़कों को जबरन IPC 294 में बुक किया गया वो उन वक्त घटना स्थल पर मौजूद ही नहीं थें। लेकिन अजय सिंह और CO पिंडरा के दबाव में थानाध्यक्ष की शह पर FIR रात के 11 बजे 23 जून को लिखी गई।
इस बाबत जानकारी होने पर जब परिजनों ने तहकीकात की उस वक्त घटना स्थल पर बदतमीज़ी और गाली गलौज की बात निकल कर आई जिसमें संबंधित कॉलेज और उनके कर्मचारियों का नाम सामने आया। पीड़ित पक्ष ने जब लड़की को संपर्क साधा तब-
लड़की ने FIR में दर्ज नामों और चेहरे को पहचाने से इनकार किया और कहा कि मुझे महादेव कॉलेज के टीचर और रिश्तेदारों ने शिकायत पत्र लिखने को कहा पर मैं कोई शिकायत नहीं करना चाहती थी और ना तो मुझे लडकों का नाम पता है लेकिन मुझ पर लगातार इस बात का दबाव था कि मैं शिकायत दर्ज करवाऊ। और कॉलेज के प्रबंधन और उसके कर्मचारियों ने अपने मन से ये नाम लिखकर दिया।
तक्षकपोस्ट की टीम जब लड़की के घर पहुंची लड़की ने साफ कहा कि मुझे नहीं पता था मेरे नाम गलत लोगों को फसाया गया हैं। मैं तो ग्राम बरियासनपुर की रहने वाली भी नहीं हुई बस परीक्षा देने महादेव PG कॉलेज आ रही थीं इसलिए उन्होंने मेरा फायदा उठाया।
इसी संबंध में जब लड़की को लेकर थाने पहुंचे पीड़ित पक्ष के परिजनों के साथ तक्षकपोस्ट कि एडिटर वहां पहुंची तो थानाध्यक्ष अनिल कुमार मिश्रा ने कहा लड़की ने लिख कर दिया है तो FIR करनी पड़ी लेकिन उनके पास इस बात का कोई जबाव नहीं था कि बिना जानकारी फ़र्ज़ी नाम डालकर FIR कैसे हुई ?? जब उनके सामने सूचना के साथ सबूत रखें गए तो अपनी गलती सुधारने के उनकी हेकड़ी और अकड़ इस बात की पुष्टि कर रही थीं कि CO पिंडरा अभिषेक प्रकाश, चिरईगांव चौकी राहुल मौर्या और चौबेपुर थाना अध्यक्ष अनिल कुमार मिश्रा को बखूबी ये पता था कि गलत FIR करके पीड़ित को परेशान किया जा रहा है। तक्षकपोस्ट के पास इस घटना के साक्ष्य मौजूद है की वीडियो में कौन छेड़खानी कर रहा था और किसको फंसाया जा रहा है।
इसके पहले भी पीड़ित परिवार की तरफ से चौकी और थाने को सूचित किया गया था कि उनको फ़र्ज़ी मुकदमों में परेशान किया जा सकता है।
बड़ा सवाल यहाँ ये है कि क्या कानून व्यवस्था अब अपराधियो की रखैल हो गई है। जिसका बेजा और नजायज इस्तेमाल किया जाये। इस फ़र्ज़ी FIR के विरोध में जब पीड़ित लड़कों की पत्नियां अपनी शिकायत और FIR करवाने थाने पहुंची तो उनकी FIR लिखने से मना कर दिया गया। इसका जबाव कौन देगा ???
योगी आदित्यनाथ का बुलडोज़र और कानून का डंडा केवल धर्म विशेष पर चलेगा या फिर इस तरह से वर्दी और कानून का दुरुपयोग करने वाले दोषियों पर गिरेगी गाज।