भारतीय संसद के उच्च सदन, राज्य सभा की इसी बरस खाली हो रही 72 सीटों पर द्विवार्षिक चुनावों के गुल खिलने लगे है। इसी बरस राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा के डिपटी स्पीकर के भी चुनाव होने है। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है। राज्यसभा के ये चुनाव आगामी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम की दृष्टि से अहम साबित हो सकते है। निर्वाचन आयोग ने 12 मई को इनके चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की। इन सभी सीटों के सांसदों का कार्यकाल जून से अगस्त के बीच पूरा हो रहा है। चुनाव आयोग ने 10 जून को 15 राज्यों से जिन 57 राज्यसभा सीटों पर चुनाव के लिए वोटिंग कराने की घोषणा की है उनमें उत्तर प्रदेश से 11, आंध्र प्रदेश , राजस्थान और कर्नाटक से 4- 4, तमिलनाडु और महाराष्ट्र से 6-6 , बिहार की 5, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ ,झारखंड और हरियाणा से दो–दो, मध्य प्रदेश और ओडिशा की 3-3 ,पंजाब, झारखंड, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की 2-2 और उत्तराखंड की एक सीट शामिल है। इन चुनाव की अधिसूचना 24 मई को जारी की जाएगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 मई है। वोटिंग 10 जून को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक होगी। काउंटिंग इसी दिन शाम 5 बजे से शुरू होगी।
इस बीच , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी यानि भाजपा की सदस्य संख्या सदन में पहली बार एक सौ की सीमा पार कर अभी तक 101 हो गई है। भाजपा 1988 के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली पार्टी है। भाजपा ने यह उपलब्धि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में सम्पन्न द्विवार्षिक चुनाव में 13 सीटों में से चार पर जीत दर्ज कर हासिल की। भाजपा की गठबंधन सहयोगी यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) ने असम से एक राज्यसभा सीट जीती। भाजपा ने राज्य सभा की ये चार सीटें असम, त्रिपुरा और नागालैंड के तीन पूर्वोत्तर राज्यों से जीतीं। गौरतलब है कि 5 राज्यों केरल, पंजाब, असम, त्रिपुरा और नागालैंड की 13 सीटों के लिए 31 मार्च को वोटिंग हुई थी।
इन 57 सीटों पर अभी काबिज जिन सदस्यों की वापसी लगभग तय है उनमें कर्नाटक से केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, झारखंड से मुख्तार अब्बास नकवी और महाराष्ट्र से पीयूष गोयल प्रमुख है।
राज्यसभा की कुल 245 सीटों में से अभी भाजपा के पास 101 सीटें हैं। नए चुनाव से उसकी ताकत और बढ़ेगी जिसका असर जुलाई में निर्धारित राष्ट्रपति चुनाव पर भी पड़ेगा। गौरतलब है कि 2014 में राज्यसभा में भाजपा की सिर्फ 55 सीटें थी।
कांग्रेस
राज्य सभा चुनावों के गुल ऐसे खिले कि सवा सौ बरस से भी पुरानी पार्टी कांग्रेस की ताकत सदन में और 5 सीट कम हो गई है। कांग्रेस के पास 29 सीटें हैं। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से उसकी दो सीटें कम होंगी। हालांकि इनकी भरपाई राजस्थान और छत्तीसगढ़ कर सकती है। इस बार पंजाब उसके हाथ से रहा है। सदन में कांग्रेस के मौजूदा सदस्य इसके इतिहास में सबसे कम है। 1988 में कांग्रेस के पास 108 सदस्य थे। फिर 1990 में हुए द्विवार्षिक चुनावों के बाद संख्या गिरकर 99, 2012-13 के बीच 72 पहुंच गई। कांग्रेस सदस्यों की संख्या में गिरावट जारी है।इस साल राज्यसभा में कांग्रेस सदस्यों की संख्या और कम होगी। 2024 में कई और सीटें खाली होंगी। कांग्रेस के कई दिग्गजों का राज्यसभा से कार्यकाल पूरा हो चुका है या हो रहा है। इसमें कांग्रेस के ‘ बागी ‘ गुट में शामिल आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल के अलावा केरल से एके एंटनी और पंजाब से अंबिका सोनी शामिल हैं। राज्य सभा में विपक्ष के नेता का पद पाने के लिए उनकी पार्टी के पास सदन की कुल सदस्यता का कम से कम 10 फीसद होना चाहिए. वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता का पद खो सकती है। अभी सदन में कांग्रेस के 34 सदस्य हैं।
आम आदमी पार्टी
दिल्ली राज्य के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्यों की संख्या उच्च सदन में अब आठ हो गई है। पंजाब विधान सभा के हालिया चुनावों के बाद इस सूबा से पांच राज्य सभा सदस्यों का कार्यकाल नौ अप्रैल को पूरा हुआ। उनकी जगह आप पार्टी के पांचों उम्मीदवार निर्विरोध जीत गए। इनमें दिल्ली के आप विधायक रहे राघव चड्ढा, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानि आईआईटी (दिल्ली) के प्रोफेसर संदीप पाठक, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर अशोक मित्तल , उद्धोगपति संजीव अरोड़ा और पूर्व हरफनमौला क्रिकेटर हरभजन सिंह शामिल है।
पंजाब की शेष दो सीटें भी आम आदमी पार्टी के खाते में जानी तय है।
पंजाब की 5, केरल और मध्य प्रदेश की 3-3 , असम की 2 और हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा की एक–एक उन सीटों पर चुनाव पूरे हो गए जहां 13 सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल में खतम हुआ। भाजपा की अगुवाई के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस एनडीए में शामिल सभी पार्टियों के पास अभी राज्यसभा में कुल मिलाकर 114 सीटें हैं। इनमें से भाजपा के 101, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दल यूनाइटेड यानि जेडीयू के 5, तमिलनाडु की आल इंडिया अन्ना द्रविड मुनेत्र कषगम यानि एआईएडीएम के भी 5 और शेष अन्य दलों के या फिर निर्दलीय हैं।
एनडीए के राज्य सभा सदस्यों में असम गण परिषद यानि एजीपी और महाराष्ट्र के सांसद रामदास अठावले के गुट रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के एक–एक सदस्य है।
2022 में रिटायर होने वाले सदस्यों में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( भाजपा ),पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम (कांग्रेस), पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और जयराम रमेश (दोनों कांग्रेस ), भाजपा के पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी, शिवसेना नेता संजय राउत, मोदी सरकार में मंत्री और सदन के मौजूदा नेता पीयूष गोयल, बीते जमाने की टेलीविजन अदाकारा रूपा गांगुली (दोनों भाजपा) प्रमुख है। जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें कांग्रेस नेता ए के एंटनी (केरल) , आनंद शर्मा (हिमाचल प्रदेश), प्रताप सिंह बजवा (पंजाब) , दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल के पुत्र और शिरोमणि अकाली दल ( एसएडी ) के नरेश गुजराल ( पंजाब ) भी शामिल हैं।
मध्यप्रदेश
इस प्रदेश से राज्यसभा चुनाव में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी ( दोनों भाजपा) के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी जीते है। इन तीनों ने अपनी सीट बरकरार रखी है। मध्य प्रदेश से 29 जून 2022 को रिटायर होने वाले सदस्यों में श्रीमति समपतिया उइके, मोदी सरकार में मंत्री रहे और पत्रकार एमजे अकबर (दोनों भाजपा) और विवेक कृष्ण तन्खा (कांग्रेस) शामिल है। 2024 में भाजपा के अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी , डॉ एल मुरूगन, धर्मेन्द्र प्रधान और कांग्रेस के राजमणि पटेल का टर्म खत्म होगा।
अन्य राज्य
हिमाचल प्रदेश से भी एक सीट पर चुनाव निर्विरोध हो गया जिसमें भाजपा के सिकंदर कुमार जीते। असम से दो राज्यसभा सीटों में से एक भाजपा के पबित्रा गोगोई मार्गरिटा ने और दूसरी (यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल यानि यूपीपीएल) के रंगवा नारजारी ने जीती। यूपीपीएल असम में भाजपा की गठबंधन सरकार की सहयोगी है. केरल से राज्यसभा के लिए जेबी माथेर (कांग्रेस), एए रहीम (सीपीएम) और पी संतोष कुमार (सीपीआई) निर्विरोध चुने गए.त्रिपुरा से एकमात्र राज्यसभा सीट पर त्रिपुरा में भाजपा के प्रांतीय अध्यक्ष और डेंटल सर्जन डॉक्टर माणिक साहा चुने गए. नगालैंड से एस फांगनोन कोन्याक राज्यसभा के लिए निवर्तमान सदस्य केजी केने की जगह निर्विरोध चुने गए ,जिनका कार्यकाल 2 अप्रैल को समाप्त हुआ.
झारखंड
झारखंड से भाजपा के राज्यसभा सदस्य मोदी सरकार के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के साथ ही भाजपा के ही महेश पोद्दार की मौजूदा सदस्यता का कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म होगा। प्रदेश में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा ( जेएमएम ) यानि झामुमो और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है। भाजपा की एक सीट कम होने की संभावना है। कुल 81 सीटों की राज्य विधानसभा में झामुमो के सर्वाधिक 29 विधायक हैं। कांग्रेस के 16, झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के तीन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेलिनवादी लिबेरेशन यानि भाकपामाले , महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार के नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के एक- एक विधायक हैं। दो विधायक निर्दलीय हैं।
राजस्थान
राजस्थान से राज्यसभा की दस सीटों में से चार 4 जुलाई को रिक्त होंगी. इन चारों पर अभी भाजपा काबिज है। लेकिन 2018 में विधानसभा चुनावों में प्रदेश में बदली सत्ता के बाद अब इन चार में से दो पर कांग्रेस काबिज हो सकती है. इनमें से एक भाजपा जीत सकती है. चौथी सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोट चाहिए जिसमें कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से जीतने की जुगत में है. अभी तक इन चारों सीटों पर भाजपा के ओम प्रकाश माथुर, के.जे. अल्फोंस, रामकुमार वर्मा, हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर काबिज है। कुछ अरसा पहले राजस्थान से राज्य सभा की सभी दस सीटें भाजपा के पास थीं. उनमें से तीन सीटें पहले ही कांग्रेस छीन चुकी है। अभी कांग्रेस के पास 108 विधायक होने से दो सीटे जीतने के लिए प्रयाप्त 82 वोट हैं। विधान सभा में 13 निर्दलीय सदस्य है। कांग्रेस को राष्ट्रीय लोकदल के एक विधायक, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (सीपीएम) और भारतीय ट्राइबल पार्टी का समर्थन मिल सकता है। भाजपा के 71 विधायक हैं. वह एक सीट जीत सकती है।
पश्चिम बंगाल
राज्य विधानसभा में भाजपा के नेता सुवेंदु अधिकारी के मुताबिक उनकी पार्टी राज्यसभा चुनाव के लिए कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस यानि टीएमसी ने पश्चिम मिदनापुर जिले के सबांग से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद टीएमसी नेता मानस भूनिया के राज्यसभा सीट खाली करने के कारण इस उपचुनाव में सुष्मिता देव को खड़ा किया जो हाल में कांग्रेस छोड़ टीएमसी में शामिल हुई थीं। राज्य की 16 में से 11 राज्यसभा सीटों पर टीएमसी का कब्जा है। कांग्रेस के पास दो और सीपीएम के पास एक सीट है।
उत्तर प्रदेश
प्रदेश से 11 सीटें जुलाई में खाली होंगी। 7 सीटों पर भाजपा जीत सकती है। 3 सीटें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ( सपा ) आसानी से जीत सकती है। लेकिन 11वीं सीट पर तस्वीर साफ नहीं है। जो 11 सीटें खाली होने जा रही हैं, उनमें से अभी 5 भाजपा, तीन सपा, दो पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी ( बसपा ) और एक कांग्रेस के पास है।
यूपी विधानसभा में 403 सीटें हैं। इस हिसाब से राज्यसभा के एक उम्मीदवार की जीत के लिए कम से कम 37 विधायकों के वोट की जरूरत होगी। भाजपा गठबंधन के पास 273 विधायक हैं उसके एनडीए को 7 सीटें आसानी से मिल सकती है।सपा गठबंधन के 125 विधायक होने की बदौलत उसके तीन प्रत्याशी जीत सकते है। 11वीं सीट के लिए मुकाबला होगा। इसके लिए विधायक राजा भैया के जनसत्ता दल लोकतांत्रिक, बसपा और कांग्रेस के समर्थन की जरूरत होगी। विधान सभा में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक और कांग्रेस की 2-2 और बसपा की एक सीट है।
प्रदेश से जो 11 सांसद रिटायर होने जा रहे हैं उनमें भाजपा के शिवप्रताप शुक्ला, संजय सेठ, सुरेंद्र नागर, जय प्रकाश निषाद , जफर इस्लाम , सपा के सुखराम सिंह यादव, विशंभर प्रसाद निषाद, रेवती रमण सिंह, बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा, अशोक सिद्धार्थ और कांग्रेस के कपिल सिब्बल शामिल हैं। यूपी से 31 राज्यसभा सांसद चुने जाते हैं। अभी प्रदेश से भाजपा के 22, सपा के 5, बसपा के तीन और कांग्रेस के एक सदस्य है। सतीश चंद्र मिश्रा के रिटायर होने के बाद बसपा के पास राज्य सभा में एक ही सीट रह जाएगी।
आंध्र प्रदेश
प्रदेश से चार राज्यसभा सीटों का कार्यकाल 21 जून को पूरा होगा। इन 4 में से 3 सीटों पर अभी भाजपा और एक पर प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी के वाईएसआर कांग्रेस का कब्जा है। रिटायर होने वाले सदस्य हैं वीवी रेड्डी ( वाईएसआर कांग्रेस) , सुरेश प्रभु, वाईएस चौधरी, और टीजी वेंकटेश (तीनों भाजपा )। भाजपा का पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेलगु देशम पार्टी यानि टीडीपी के साथ गठबंधन 2018 में टूट चुका है। ऐसे में यहां भाजपा की 3 सीटें कम होना तय है। चारों सीटों पर वाईएसआर कांग्रेस का कब्जा हो जाने की बड़ी संभावना है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र से छह राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 4 जुलाई को पूरा होगा जिनमें से 3 सीट भाजपा के पास और 1-1 सीट एनसीपी , कांग्रेस और शिवसेना के पास है। इनमें भाजपा के पीयूष गोयल, विनय सहस्रबुद्धे, विकास महात्मे, एनसीपी के प्रफूल पटेल, कांग्रेस के पी चितंबरम और शिवसेना के संजय राउत शामिल हैं।
छत्तीसगढ़
इस राज्य से राज्यसभा की दो सीटें 29 जून को खाली होंगी जिन पर अभी रामविचार नेताम (भाजपा) और छाया वर्मा ( कांग्रेस ) काबिज है। दोनों सीटें कांग्रेस के खाते में चली जाएंगी।
हरियाणा
हरियाणा से भाजपा के दुष्यंत कुमार और जीटीवी के मालिक सुभाष चंद्रा निर्दलीय का कार्यकाल एक अगस्त को खत्म होगा। भाजपा की एक सीट पक्की है। दूसरी सीट कांग्रेस को मिल सकती है।
बिहार
बिहार से पांच सीटों का कार्यकाल सात जुलाई को खत्म होगा। रिटायर करने वालों में एनडीए के संयोजक रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद यादव भी शामिल है, जो हाल में आरजेडी में शामिल हो गए हैं। भाजपा और आरजेडी के दो – दो और जेडीयू के एक दो सीट जीतने की संभावना है।
जम्मू-कश्मीर में चुनाव को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। वहां निर्वाचन क्षेत्रों के भौगोलिक परिसीमन की रिपोर्ट लंबित है।
मनोनीत सदस्य
राज्यसभा में अभी 12 मनोनीत सदस्य हैं : छत्रपति संभाजी (भाजपा), स्वपन दासगुप्ता (भाजपा), रूपा गांगुली (भाजपा) , सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई , डा नरेंद्र जाधव , महेश जेठमलानी (भाजपा), एमसी मेरी कोम , सोनाल मानसिंह (भाजपा ) राम शकल (भाजपा) , राकेश सिन्हा (भाजपा) , सुरेश गोपी ( भाजपा ) और सुब्रमणियम स्वामी ( भाजपा ) शामिल हैं। मनोनीत सदस्यों की सात सीटें अभी खाली हैं।
राज्य सभा इतिहास
राज्यसभा सीटो पर हालिया चुनावो में धनबल, सत्ताबल, वंशानुगत राजनीति , क्रासवोटिगं और ब्लैकमेलिंग तक के मामले बढे हैं। पर सदन का गौरवमयी इतिहास है। स्वतंत्र भारत में संसद के द्वितीय सदन की उपयोगिता और अनुपयोगिता के संबंध में संविधान सभा में विस्तृत बहस हुई थी। संविधान रचियताओ ने विविधताओं के विशाल देश के लिए राष्ट्रपति प्रणाली के बजाय संसदीय लोकतंत्र और परिसंघीय ( फेडरल ) शासन व्यवस्था में द्विसदनी संसद को सबसे उपयुक्त माना। संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्यसभा सदस्यों की संख्या 250 निर्धारित की गई। इनमें 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। 238 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित संघ-राज्य के प्रतिनिधि होते हैं। राज्यसभा सदस्यों की वर्तमान संख्या 245 है। इनमें 233 सदस्य विभिन्न 26 राज्यों और दिल्ली, पुडुचेरी के दो संघराज्य के प्रतिनिधि हैं और 12 केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत हैं। संविधान के प्रावधानो के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे विषयों में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है।
संविधान की चौथी अनुसूची में राज्यसभा सीट आवंटन का उपबंध है। ये आवंटन प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। राज्यों के पुनर्गठन और नए राज्यों के गठन के परिणामस्वरूप, राज्यों और संघ राज्य को आवंटित राज्यसभा सीटों की संख्या 1952 से बदलती रही है.सदन में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधि का निर्वाचन विधानसभा के चुने हुए सदस्यों के ‘ एकल संक्रमणीय मत द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व ‘ प्रणाली के तहत किया जाता है।
राज्यसभा स्थायी सदन है और भंग नहीं होता प्रत्येक दो वर्ष बाद राज्यसभा के एक-तिहाई सदस्य रिटायर हो जाते हैं। सभापति का कार्यकाल 5 वर्षों का ही होता है। राज्यसभा अपने सदस्यों में से उपसभापति का चयन करती है। राज्यसभा सद्स्य सरकार में मंत्री बन सकते है। राज्यसभा में 1969 तक वास्तविक अर्थ में विपक्ष का नेता नहीं होता था। सर्वाधिक सदस्यों वाली विपक्षी पार्टी के नेता को बिन औपचारिक मान्यता नेता विपक्ष मानने की प्रथा थी। विपक्ष के नेता के पद को संसद में विपक्षी नेता वेतन और भत्ता अधिनियम (1977) में मान्यता प्रदान की गई।
विभिन्न राज्य, केंद्र शासित क्षेत्र को आवंटित राज्यसभा सीटें इस प्रकार है:आंध्र प्रदेश (11), अरुणाचल प्रदेश (1), असम (7), बिहार(16), छत्तीसगढ़ (5), गोवा (1), गुजरात(11), हरियाणा (5) , हिमाचल प्रदेश (3), जम्मू-कश्मीर (4), झारखंड (6) कर्नाटक (12), केरल (9), मध्य प्रदेश (11),महाराष्ट्र (19) , मणिपुर(1), मेघालय (1), मिजोरम(1), नागालैंड(1), दिल्ली (3 ), ओडिशा (10), पुडुचेरी (1), पंजाब (7 ), राजस्थान (10), सिक्किम (1) तमिलनाडु (18), तेलंगाना (7) , त्रिपुरा (1), उत्तर प्रदेश (31), उत्तराखंड (3) और पश्चिम बंगाल (16 ). अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादरा – नगर हवेली, दमन एवं दीव और लक्षद्वीप के केंद्र शासित क्षेत्र लिए एक-एक सीट है। बहरहाल , देखना यह है कि राज्य सभा के द्विवार्षिक चुनावों में खिले गुलों में से कितने गुल किस पार्टी की झोली में जाते है।