उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के बाद भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा के डिपटी स्पीकर और संसद के स्थाई सदन, राज्यसभा की भी कुल 245 में से 75 पर चुनाव होने है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदन में अभी 95 सदस्य ही हैं। उसे बहुमत के लिए 123 सदस्यों के समर्थन की दरकार है। इसमें 28 सीटों की कमी है।
भाजपा के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) के अन्य दलों में अभी तमिलनाडू के ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक (एआईएडीएम) के छह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के पाँच, असम गण परिषद और महाराष्ट्र के सांसद रामदास अठावले के रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के एक–एक सदस्य है। एनडीए की सदस्य संख्या भी बहुमत से 15 सीट कम ही है। सदन में विपक्षी कांग्रेस के अभी 34 सदस्य हैं जो इतिहास में इसकी सबसे कम संख्या है।
जल्द ही रिटायर होने वाले राज्यसभा सदस्यों में मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण , केन्द्रीय मंत्री एवं सदन के नेता पीयूष गोयल के अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम, एके एंटनी, कपिल सिब्बल , जयराम रमेश , प्रफुल्ल पटेल, अंबिका सोनी , मुख्तार अब्बास नकवी , सुब्रमण्यम स्वामी , सुरेश प्रभु , एमजे अकबर और शिवसेना मुखपत्र के संजय राउत शामिल है। पंजाब से कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा और अंबिका सोनी समेत 7, उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के कपिल सिब्बल समेत 11 , कर्नाटक से 4 , उत्तराखंड से एक और हिमाचल प्रदेश से एक और असम से 2 सीट पर चुनाव है।
इतिहास-
राज्यसभा सीटो पर हालिया चुनावो में धनबल, सत्ताबल, वंशानुगत राजनीति, क्रासवोटिगं और ब्लैकमेलिंग तक के मामले बढे हैं। पर सदन का गौरवमयी इतिहास है। स्वतंत्र भारत में संसद के द्वितीय सदन की उपयोगिता और अनुपयोगिता के संबंध में संविधान सभा में विस्तृत बहस हुई थी। संविधान रचियताओ ने विविधताओं के विशाल देश के लिए राष्ट्रपति प्रणाली के बजाय संसदीय लोकतंत्र और परिसंघीय ( फेडरल ) शासन व्यवस्था में द्विसदनी संसद को सबसे उपयुक्त माना. संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्यसभा सदस्यों की संख्या 250 निर्धारित की गई। इनमें 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। 238 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित संघ-राज्य के प्रतिनिधि होते हैं। राज्यसभा सदस्यों की वर्तमान संख्या 245 है। इनमें 233 सदस्य विभिन्न 26 राज्यों और दिल्ली,पुडुचेरी के दो संघराज्य के प्रतिनिधि हैं और 12 केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत हैं। संविधान के प्रावधानो के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे विषयों में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है।
संविधान की चौथी अनुसूची में राज्यसभा सीट आवंटन का उपबंध है। ये आवंटन प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। राज्यों के पुनर्गठन और नए राज्यों के गठन के परिणामस्वरूप, राज्यों और संघ राज्य को आवंटित राज्यसभा सीटों की संख्या 1952 से बदलती रही है। सदन में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधि का निर्वाचन विधानसभा के चुने हुए सदस्यों के ‘ एकल संक्रमणीय मत द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व ‘ प्रणाली के तहत किया जाता है।
राज्यसभा स्थायी सदन है और भंग नहीं होता। प्रत्येक दो वर्ष बाद राज्यसभा के एक-तिहाई सदस्य रिटायर हो जाते हैं। सभापति का कार्यकाल 5 वर्षों का ही होता है। राज्यसभा अपने सदस्यों में से उपसभापति का चयन करती है। राज्यसभा सद्स्य सरकार में मंत्री बन सकते है।
राज्यसभा में 1969 तक वास्तविक अर्थ में विपक्ष का नेता नहीं होता था। सर्वाधिक सदस्यों वाली विपक्षी पार्टी के नेता को बिन औपचारिक मान्यता नेता विपक्ष मानने की प्रथा थी। विपक्ष के नेता के पद को संसद में विपक्षी नेता वेतन और भत्ता अधिनियम (1977) में मान्यता प्रदान की गई।
विभिन्न राज्य , केंद्र शासित क्षेत्र और उन्हें आवंटित राज्यसभा सीटें इस प्रकार है : आंध्र प्रदेश (11) , अरुणाचल प्रदेश (1) , असम (7), बिहार (16), छत्तीसगढ़ (5), गोवा (1), गुजरात(11) , हरियाणा ( 5) , हिमाचल प्रदेश (3) , जम्मू-कश्मीर (4), झारखंड (6) कर्नाटक( 12) , केरल (9), मध्य प्रदेश (11) , महाराष्ट्र (19) , मणिपुर(1) , मेघालय(1) , मिजोरम(1) , नागालैंड(1) , दिल्ली (3 ), ओडिशा (10) , पुडुचेरी (1), पंजाब (7 ) , राजस्थान (10) , सिक्किम (1) तमिलनाडु (18 ) , तेलंगाना (7) , त्रिपुरा (1) , उत्तर प्रदेश (31) , उत्तराखंड (3) और पश्चिम बंगाल (16 ). अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादरा एवं नगर हवेली, दमन एवं दीव और लक्षद्वीप के केंद्र शासित क्षेत्र लिए एक-एक सीट है।
राज्यसभा में अभी 12 मनोनीत सदस्य हैं : छत्रपति संभाजी (भाजपा), स्वपन दासगुप्ता (भाजपा), रूपा गांगुली (भाजपा) , रंजन गोगोई , डा नरेंद्र जाधव , महेश जेठमलानी (भाजपा), एमसी मेरी कोम , सोनाल मानसिंह ( भाजपा ) राम शकल (भाजपा) , राकेश सिन्हा ( भाजपा ) , सुरेश गोपी ( भाजपा ) और सुब्रमणियम स्वामी ( भाजपा )।
आँकलन-
जम्मू-कश्मीर में चुनाव को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। वहां परिसीमन की रिपोर्ट लंबित है। लेकिन राज्यसभा के इस बरस के द्विवार्षिक चुनाव के बाद सदन में भाजपा और एनडीए की शक्ति और कम हो जाएगी। भाजपा और उसके दलों के सदस्य करीब 10 कम हो सकते है। भाजपा को राजस्थान, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ , झारखंड आदि राज्यों में सीटों का नुकसान हो सकता है। कांग्रेस को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ में तीन–चार सीटों का फ़ायदा हो सकता है। अभी कांग्रेस के सिर्फ 34 सदस्य हैं जो उसकी अबतक की न्यूनतम सीट है।
बिहार-
इस बरस बिहार से राज्यसभा की पाँच सीटों पर चुनाव है। मोदी सरकार में मंत्री और जेडीयू नेता आरसीपी सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती, भाजपा के गोपाल नारायण सिंह और सतीश चंद्र दुबे की सीटें जुलाई में खाली हो रहीं हैं। जेडीयू के राज्यसभा सासंद किंग महेंद्र के हाल में निधन से वह सीट रिक्त है जिसपर दो बरस का कार्यकाल बचा हुआ है। जेडीयू का आरसीसी सिंह को तीसरी बार और आरजेडी का मीसा भारती को दूसरी बार राज्यसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी भेजना लगभग तय है। द्विवार्षिक चुनाव में आरजेडी को तीन सीटें मिल सकती हैं। भाजपा को दो सीटें आसानी मिल जाएंगी। लेकिन जेडीयू को एक सीट का नुकसान होगा. उसे एक ही सीट मिल सकेगी।
राजस्थान में आगामी जुलाई में राज्यसभा की चार सीटें खाली हो रही है जो अभी भाजपा के पास हैं। वहां कांग्रेस को तीन सीटें मिलना तय है। प्रदेश में पिछले बरस राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव से ऐन पहले ही कांग्रेस के कुछ विधायकों ने सचिन पायलट के नेतृत्व में बगावती रूख दिखाए थे। लेकिन कांग्रेस दो सीट जीतने में सफल रही और भाजपा को एक ही सीट मिली।
आंध्र प्रदेश में भी भाजपा को तीन सीटों का नुकसान हो सकता है। भाजपा ने आंध्र प्रदेश में अपनी पुरानी सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के जिन चार राज्यसभा सदस्यों को अपने पाले में शामिल कर लिया था उनमें से तीन का कार्यकाल आगामी जुलाई में खत्म हो रहा है। नए चुनाव में ये तीनों सीटें वहां सत्तारूढ वाईएसआर कांग्रेस को मिलने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ में जिन दो सीटों पर चुनाव होने हैं वे दोनों सत्तारूढ़ कांग्रेस को मिलने की संभावना है। वहां भाजपा को एक सीट का नुकसान होगा।
झारखंड में दो सीटों पर चुनाव है जो अभी भाजपा के पास है। पर उसे एक सीट गंवानी पड़ सकती है।
पंजाब में इस बरस राज्य सभा की सात सीटों के चुनाव होंगे जिनमें पांच सीटें अप्रैल में और दो जुलाई में खाली होनी है। इन सात सीटों में से तीन–तीन कांग्रेस और अकाली दल और एक भाजपा के पास है जो उसने अकाली दल की मदद से जीती थी।
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 12 सीटें खाली हो रही है। इनमें छह भाजपा , तीन सपा और दो बसपा के पास है। मौजूदा हालात में भाजपा के लिए ये सभी छह सीट बरकरार कठिन लगता है।
तमिलनाडु में राज्यसभा की 6 सीटों के लिए चुनाव होगा जिनमें से 4 सीटें भाजपा की सहयोगी अन्ना द्रमुक और 2 सीटें कांग्रेस की सहयोगी द्रमुक की हैं। अन्ना द्रमुक के दो सांसदो ने पिछले बरस विधानसभा चुनाव जीत कर राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। ये दोनों रिक्त सीटें अब नए चुनाव में द्रमुक को मिलने की पूरी संभावना है।
केरल से राज्यसभा में कम्यूनिस्ट पार्टियो की सीट कम से कम एक बढ़ सकती है और कांग्रेस की एक सीट कम हो सकती है।
तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और ओडिशा में बीजू जनता दल ( बीजेडी ) की राज्यसभा चुनावों के बाद सदस्य संख्या यथावत रहने की संभावना है।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के जितने सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होगा उतनी सीटें दोनों को फिर मिल जाने की संभावना है। भाजपा को कर्नाटक में लाभ हो सकता है जहां कांग्रेस के 3 और भाजपा के 1 सदस्य का कार्यकाल समाप्त होगा। इनमें भाजपा तीन सीटें जीत सकती हैं। असम और त्रिपुरा में भाजपा को एक-एक सीट का फायदा होने की संभावना है।
भारत में चुनावो पर नज़र रखने वाले गैर-सरकारी संगठन, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार 201 राज्यसभा अर्ध-अरबपति हैं। उनकी औसत संपदा 55 करोड़ रुपये है.कुछ साल पह्ले की इस रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अमीर राज्यसभा सदस्य बिहार से मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दल यूनाइटेड ( जेडीयू ) के महेंद्र प्रसाद थे जिनका हाल में हुआ है। उनकी संपत्ति करीब चार हज़ार करोड़ रुपये आँकी गई थी।