प्रयागराज: भारत मे क्रिकेट एक धर्म का रूप ले चुका है जहाँ इसके करोड़ों चाहने वाले है वही लाखो करोड़ों युवा इसमे अपना भविष्य देखते है। आई पी एल ने युवको मे एक नई जागृति पैदा कर दी है और आज हर युवा क्रिकेट खिलाड़ी इसमे खेलने के सपने देखता है क्योंकि उसे इसमे अपने भविष्य की दिवाली नजर आती है।
उत्तर प्रदेश के लाखो , करोड़ों बच्चे भी इसमे अपना उज्जवल भविष्य देखते है और क्यों न देखे । उन्हें भी इस खेल के जरिए अपना नाम व पैसे कमाने का अधिकार है लेकिन चंद खिलाड़ियों के अलावा बाकी के खिलाड़ियों को निराश हाथ लगती है। इसका मुख्य कारण है उनका प्रदेश की टीम में चयन न होना और खेलने का अवसर न मिलना। उत्तर प्रदेश की किसी भी वर्ग टीम मे खेलने की सम्भावनाएं बहुत कम है क्योंकि 25 करोड़ की जनसंख्या वाले प्रदेश मे जहां हजारो खिलाड़ी चयन के लिए भाग लेते है वही कुछ ही खिलाड़ियों को चुने जाने की मजबूरी है। केवल 15-16 खिलाड़ी ही चुने जा सकते है।
प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति यह घोर अन्नाय है। 25 करोड़ जनसंख्या वाले प्रदेश से भी एक टीम का खेलना व 10 लाख वाले प्रदेश व शहर से भी एक टीम का खेलना हमारे प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति सरासर बेईमानी है। निकट भविष्य मे चंडीगढ़ , पोडूचेरी, पूर्व उत्तर के 5 राज्यों को बी सी सी आई ने पूर्ण मान्यता दी है जिसके फलस्वरूप वहां के खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खूब खेलने का मौका मिल रहा है।
अब समय आ गया है कि उत्तर प्रदेश से भी कम से कम 4 टीम बननी चाहिए जिससे यहां के भी खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खेलने का मौका मिल सके। महाराष्ट्र , गुजरात जहाँ की जनसंख्या क्रमशः 13 करोड़ व 8 करोड़ हैं तीन तीन टीमें खेलती है तो उत्तर प्रदेश से भी 4 टीमों को खेलना चाहिए। प्रदेश से जब 4 टीमें खेलेगी तभी खिलाड़ियों को न्याय मिल पायेगा और अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त होगा।ये आवाज़ है उत्तर प्रदेश और मध्य क्षेत्र के धाकड़ बल्लेबाज रहे अशोक बाम्बी की। उन्होंने यूपी से एक से अधिक टीमें बोर्ड के प्रत्येक क्रिकेट टूर्नामेंटों के लिए बनाये जाने की कई बार वकालत की है। उत्तर प्रदेश में क्रिकेट सहित हर खेल की प्रतिभाएं भरी पड़ी है। लेकिन उचित समय पर उनको अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं मिलता है। बड़ौदा, गुजरात की अलग अलग टीमें होने के कारण ही वहां से पठान बंधू,मुनाफ पटेल, बुमराह, पार्थिव पटेल सहित कई खिलाड़ी निकले हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को इस पर तत्काल गौर करना चाहिए। पूर्व रणजी क्रिकेटर अशोक बाम्बी की ये आवाज़ सुनी जानी चाहिए।यूपी से एक से अधिक टीमों के बनाए जाने की वकालत कई अन्य मंचों से भी की गई है।