बिहार में तथाकथित सुशासन के राज में अपराधियों और सत्ता के आंचल में पल रहे माफियाओं की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि, दिन दहाड़े किसी की हत्या और बलात्कार कर देना बिहार में नीतीश और भाजपा के राज में आम बात है।
इसी कड़ी में मधुबनी जिले के स्वतंत्र पत्रकार अविनाश झा की हत्या की ख़बर आ रही हैं। आरोप है कि अविनाश लगातार अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से जिले के स्वास्थ्य विभाग में पर्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ काम कर रहे थें। इस कड़ी में निजी अस्पताल और स्वास्थ्य माफियाओं के निशाने पर अविनाश लापता हो गये थे। आज अविनाश का अधजला शव मिला है।
लापता पत्रकार अविनाश झा का अधजला शव पेड़ के नीचे मिला, अविनाश जिले में फर्जी नर्सिंग होम घोटाले का भंडाफोड़ करने की कोशिश में लगा था।
स्थानीय हिंदी अखबार में इस बात की पुष्टि हुई है की, आरटीआई कार्यकर्ता अविनाश झा का आधा जला हुआ शरीर, एक बोरी में बांधकर, बेनीपट्टी-बसैथ राजमार्ग संख्या 52 के पास उरेन गांव में एक पीपल के पेड़ के नीचे पाया गया।
बिहार पुलिस के सूत्रों ने खुलासा किया कि अविनाश झा की ऑटोप्सी रिपोर्ट से पता चलता है कि उनकी मृत्यु चार दिन पहले हुई थी। अब पत्रकार का शव बरामद करने के बाद बेनीपट्टी पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच दर्ज कर ली है। बेनीपट्टी एसएचओ अरविंद कुमार ने पुष्टि की है कि पुलिस हत्या सहित सभी संभावित कोणों से जांच कर रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अपराधियों की पहचान कर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय अखबार के अनुसार अविनाश झा स्वतंत्र पत्रकार और पेशे से आरटीआई कार्यकर्ता हैं, जो बिहार के मधुबनी के बेनीपट्टी के थे। वह लगातार निजी अस्पताल माफिया का मुद्दा उठा रहा था और अपने जिले में सक्रिय माफिया का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रहा था। अविनाश झा 9 नवंबर की रात करीब 9.58 बजे बेनीपट्टी के लोहिया चौक स्थित अपने आवास से लापता हो गया था।
अविनाश झा के भाई चंद्रशेखर कुमार झा ने पुलिस से मदद मांगी और अपने स्तर से परिवार ने हर संभव स्थान पर उनकी तलाश करने की कोशिश की, लेकिन उनका पता नहीं चल सका। उन्होंने पाया कि उसके दोनों मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ थे। अविनाश के भाई ने पुलिस से मदद मांगी और अविनाश के अपहरण की आशंका जताई थी।
चंद्रशेखर ने अपने भाई के गायब होने के पीछे स्वास्थ्य माफियाओं का हाथ बताया, और बड़ी साजिश का आरोप लगाया। अविनाश अस्पताल माफिया का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रहा था, जिसके कारण उसका अपहरण कर लिया गया था। उन्होंने कहा कि उनके भाई ने उनके जिले में चल रहे फर्जी नर्सिंग होम घोटाले के संबंध में कई आरटीआई आवेदन दायर किए थे। वह वर्षों से जिले के लोगों को ठगने वाले निजी अस्पताल संचालकों, कर्मचारियों और अधिकारियों की सांठगांठ का भंडाफोड़ करने की कोशिश कर रहा था, जिसके कारण वह रडार पर था।
चंद्रशेखर ने विभिन्न अस्पतालों और नर्सिंग होम का नाम लिया, जिन पर उनका आरोप था कि वे सांठगांठ का हिस्सा थे। उन्होंने जिन अस्पतालों का नाम रखा उनमें मां जानकी सेवा सदन अम्बेडकर चौक बेनीपट्टी, शिवा पॉली क्लिनिक मकिया, सुदामा हेल्थ केयर ढकजरी, अंशु कश्त और सेंटर ढकजरी, सोनाली अस्पताल बेनीपट्टी, आराधना हेल्थ एंड डेंटल केयर क्लिनिक बेनीपट्टी, जय मां काली सेवा सदन बेनीपट्टी, आरएस मेमोरियल शामिल हैं। अस्पताल बेनीपट्टी, अलजीना हेल्थ केयर बेनीपट्टी, सांवी अस्पताल नंदीभोजी चौक, अनन्या नर्सिंग होम बेनीपट्टी और अनुराग हेल्थ केयर सेंटर बेनीपट्टी।
चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि चूंकि उनके भाई के पास इन फर्जी अस्पतालों और नर्सिंग होम के संचालकों के खिलाफ सबूत हैं, इसलिए उन्हें खत्म करने की साजिश रची गई।
यहाँ बड़ा सवाल ये है कि क्या ये अस्पताल बिना किसी नेता शह के बिना ऐसा कर सकते हैं, नीतीश कुमार के राज में आखिर अपराधियों के मंसूबे इतने मजबूत कैसे हो गये है।