दिल्ली: मोदी सरकार आज 100 करोड़ वैक्सीन लगाने का जश्न मना रही हैं, बड़े इवेंट और मार्केटिंग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों पर सवाल उठाते हुये रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा देश के डॉक्टरों, नर्सेस, पेरामेडिकल स्टॉफ और अस्पतालों ने; कोरोना काल में जान हथेली पर रखकर और कई बार जान की कुर्बानी देकर उन्होंने देशवासियों की मदद की; इलाज किया, उपचार किया और फिर उस समय और उसके बाद कोरोना निरोधक टीकाकरण में मदद की; उसके लिए पूरा देश उनका कृतज्ञ है।
आज जब हम लगभग 100 करोड़ टीकाकरण तक पहुंच चुके हैं। आज सरकार जिम्मेदारी का निर्वहन करने की बजाए प्रधानमंत्री, माननीय नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार एक बार फिर प्रपंच और स्वांग कर खुद की पीठ थपथपाने में लगी है। परन्तु मोदी सरकार जान ले कि जश्न मनाने से जख्म नहीं भर जाएंगे। मैं फिर दोहराता हूं – मोदी सरकार ये जान ले कि “झूठा जश्न मनाने से जख्म नहीं भर जाएंगे”। मोदी सरकार के निक्कमेपन, आपराधिक लापरवाही और कोरोना टीकाकरण की नीतियां बार-बार बदल देशवासियों की जान जोखिम में डालने के लिए जवाबदेही मांगने और सुनिश्चित करने का समय आ गया है। 139 करोड़ देशवासियों की ओर से आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मंच से मैं कहूंगा कि प्रधानमंत्री, माननीय नरेन्द्र मोदी जी और भाजपा की सरकार देश को महत्वपूर्ण पहलुओं पर जवाब दे।
74 करोड़ व्यस्क (Adult) भारतीयों को 106 करोड़ कोरोना निरोधक टीका कब तक लगेगा?
देश की कुल जनसंख्या 139 करोड़ है, जिसमें से 103 करोड़ लोग व्यस्क (Adult) हैं। सरकार के मुताबिक 29 करोड़ लोगों को (लगभग 21 प्रतिशत) कोरोना के दोनों टीके लग चुके हैं, यानि 58 करोड़ टीके (29X2)। सरकार के मुताबिक बाकी 42 करोड़ लोगों को एक टीका लगा है (100 करोड़ टीके – 58 करोड़ टीके = 42 करोड़ टीके)। इसका मतलब यह है कि देश के 32 करोड़ व्यस्क जनसंख्या (Adult) को एक भी कोरोना निरोधक टीका नहीं लगा।
इसका मतलब 74 करोड़ व्यस्क (Adult) देशवासियों को 31 दिसंबर, 2021 तक (यानि 70 दिन में) 106 करोड़ कोरोना निरोधक टीके लगने बाकी हैं, (42 करोड़ लोग X 1 = 42 करोड़ टीके + 32 करोड़ लोग X 2 = 64 करोड़ टीके – यानि 42 + 64 = 106 करोड़ टीके)। 70 दिन में, यानि 31 दिसंबर, 2021 तक, यह औसत 151 लाख टीके प्रति दिन की आती है, जबकि 16 अक्टूबर से 21 अक्टूबर के बीच 6 दिन में कोरोना निरोधक टीकों की औसत केवल 39 लाख प्रति दिन है।
क्या खुद की पीठ थपथपा कर, टेलीविज़न की हेडलाईन बनाने की बजाय, मोदी सरकार जवाब देगी कि वो 70 दिन में 106 करोड़ टीके कैसे लगाने वाली है तथा इसका क्या रास्ता व नीति है? दुनिया में दोनों टीके लगाने की औसत में भारत 19वें स्थान पर हैं।
दुनिया के दूसरे देशों की औसत देखें, तो अपने देशवासियों को दोनों कोरोना निरोधक टीके लगाने में हम 20 देशों में 19 वें स्थान पर हैं। जैसा सरकार ने माना है कि अब तक हम अपनी व्यस्क आबादी में केवल 20.60 प्रतिशत यानि 29 करोड़ लोगों को ही दोनों टीके लगा पाए हैं।
कोरोना काल में अपराधिक लापरवाही और देशवासियों की जान से खेलने की क्रूरता की जिम्मेदारी ले मोदी सरकार!
पूरे विश्व में एकमात्र मोदी सरकार ऐसी है कि जब देशवासी कोरोना से ग्रस्त होकर असहाय और बेहाल थे, ऑक्सीजन के लिए चलती हुई सांसे टूट रही थी, टोसिलाजोम इंजेक्शेन के लिए लोग 40-40 लाख रुपए लोग ब्लैक मार्केट में लेकर घूम रहे थे। रेमेडेसीवीर का इंजेक्शन जब मिलता नहीं था। अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं था। बगैर वेंटिलेटर का बैड नहीं था। टेमी फ्लू की दवाईयां भी ब्लैक में मिलती थी। भाजपा सरकार ऐसी सरकार है, जिसने देशवासियों को असहाय और बेबसी और क्रूरता के मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था।
सरकार का खुद का आंकड़ा ही 4,53,000 भारतीयों के कोरोना से ग्रस्त होकर मर जाने का है। 4,53,000 people have died as per this government on account of Corona. और जितने निष्पक्ष सर्वे हैं पूरी दुनिया के, उसके मुताबिक भारत में कोरोना के कारण 40 लाख से 65 लाख लोगों के बीच में मृत्यु हुई। तभी गंगा मैया के किनारों और तटों से लेकर और गुजरात के श्मशानों तक केवल शव ही शव नजर आते थे।
क्या समय नहीं आ गया है कि देश की भारतीय जनता पार्टी सरकार से ये कहा जाए कि एक निष्पक्ष ‘‘कोरोना जाँच कमीशन’’ का गठन हो, जो मोदी सरकार की राजनीतिक सफेदपोशों और अधिकारियों दोनों की अपराधिक लापरवाही की जांच करे? भविष्य के स्वास्थ्य के ढांचे के निर्माण के बारे में रचनात्मक सुझाव दे और कोरोना से हुई हर मृत्यु का दोबारा सर्वे कर संपूर्ण मुआवजा दे। जिस जिम्मेदारी से वो सालों से कन्नी काट रहे हैं । अब लगभग एक साल से सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है।