तकनीक की प्रगति और विकसित संसाधनों के आधुनिक युग में विश्व की कल्पना एक वैश्विक गाँव में बदल चुकी है इसे यूनिवर्सल या ग्लोबल विलेज भी कहा जाता है। यहाँ विलेज से मतलब इस रूप में नहीं लिया जाता है कि वह विकास के मामले में शहरों से पिछड़ा है अथवा उसका दायरा बहुत संकुचित अथवा पिछड़ेपन का प्रतीक है। इसके विपरीत वैश्विक गाँव की यह कल्पना गाँव की उस मान्यता के आधार पर की गई है जिसमें एक समाज में रहने वाले लोग दुख – सुख में एक दूसरे के साथ होते हैं और जरूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद करने से भी पीछे नहीं रहते।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि समाज के सभी लोग एक – दूसरे से दूर नहीं बल्कि बहुत करीब होते हैं। इसी संदर्भ में आज जब हम संसाधनों की उपलब्धता और तकनीकी विकास की नजर से देखते हैं तो कई हजार किलोमीटर की भौगोलिक दूरियों के बावजूद ऐसा लगता है कि दुनिया के किसी एक कोने में बैठा कोई व्यक्ति दुनिया के दूसरे कोने में बैठे किसी व्यक्ति के साथ कुछ सेकंड में ही बात कर सकता है , उसका चेहरा भी देख सकता है और जरूरत पड़ने पर कुछ ही घंटे में उड़ कर उसके पास भी पहुँच सकता है। दुनिया के सभी देशों के लोग एक – दूसरे के करीब रहें और सुख दुःख में एक – दूसरे की मदद भी करते रहें , यही सब देखने – सुनने के लिए दुनिया के अलग – अलग देशों के विदेश मंत्री , प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति एक – दूसरे के देश की यात्राएं भी समय – समय पर करते रहते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि विदेश दौरा आज के राजनय का एक ख़ास हिस्सा भी बन चुका है। देशी – विदेशी नेताओं के ऐसे दौरे पहले बहुत कम हुआ करते थे लेकिन पिछले चार – पांच दशक में विदेशी दौरों की रफ़्तार में काफी तेजी आई है और यह माना जाता है कि जिस देश का नेता ज्यादा से ज्यादा विदेश दौरा करता है वो देश न केवल अपने पड़ोसियों से बल्कि दुनिया के संपन्न और विकसित राष्ट्रों के साथ भी अपने सम्बन्ध दीर्घ समय तक बनाए रख सकता है।
इस लिहाज से देखें तो भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्षों को बहुत पीछे कर दिया है। प्रधानमंत्री इन दिनों विदेश यात्रा पर हैं। विगत 22 सितंबर को ही मोदी क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका की यात्रा पर गए थे , उनके आज वहाँ से लौटने की संभावना है वैसे प्रधानमंत्री की यह विदेश यात्रा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक़ 5 दिन की थी और उन्हें 26 सितम्बर को स्वदेश वापस आना था लेकिन 26 सितम्बर को उनके रडियो कार्यक्रम मन की बात की रिकॉर्डिंग और प्रसारण होना है इसलिए विदेश यात्रा कार्यक्रम में बदलाव किया गया। इसी संशोधित कार्यक्रम के अनुसार उनको 26 तारीख से पहले भारत आना ही होगा और वह तारीख आज ही है। अपनी मौजूदा विदेश यात्रा से 6 महीने पहले मार्च के महीने प्रधानमंत्री बांगला देश की यात्रा पर गए।
बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने के अवसर की गई इस यात्रा के दौरान भारत के धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांगला देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने के साथ ही आधा दर्जन से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर भी किये थे। 5 करार (MoU) भी हुए, प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच साझा संचालन के लिए कई अहम परियोजनाएं शुरू करने की घोषणा भी की की गई थी। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच मिताली एक्सप्रेस पैसेंजर ट्रेन शुरू करने पर भी सहमति बनी थी इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच जिन पांच अहम् मुद्दों पर समझौता हुआ था उनमें आपदा प्रबंधन तथा कई अन्य मुद्दों के साथ ही मिताली एक्सप्रेस के संचालन का मुद्दा भी दोनों देशों के एजेंडे में शामिल था। मिताली एक्सप्रेस नाम की पैसेंजर ट्रेन ढाका से न्यू जलपाईगुड़ी के बीच चलाये जाने पर सहमति बनी थी।
कहना गलत नहीं होगा कि 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले नरेंद्र मोदी ने पहली अपने कार्यकाल के पहले साल के 6 महीनों में ही 9 देशों की यात्रा कर ली थी। इस तरह सर्वाधिक विदेश यात्रा करने वाले प्रधानमंत्री के रूप में रिकॉर्ड बनाने का सिलसिला उनके कार्यकाल के पहले साल से ही शुरू हो गया था। एक साल की अवधि में ही उन्होंने कई मामलों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी पीछे छोड़ दिया मोदी पहले ही कार्यकाल में सौ से अधिक देशों की यात्राएं कर चुके थे जबकि इंदिरा गाँधी ने अपने पूरे कार्यकाल में ही 113 विदेश यात्राएं की थीं।
विदेश यात्राओं में प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे ज्यादा बार अमेरिका का ही दौरा किया है जबकि रूस इस हिसाब से दूसरे स्थान पर है। इस क्रम में चीन तीसरे नम्बर पर आता है। उन्होंने अमेरिका की 6 से अधिक बार , रूस की यात्रा पांच बार और जापान तथा चीन की यात्राएं चार-चार बार की है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में सर्वाधिक विदेश यात्राएं की थीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में 14 देशों की यात्रा की थी मगर 2020 में कोरोना वायरस की वजह से एक भी देश की यात्रा नहीं कर पाए। इससे पहले साल 2018 में प्रधानमंत्री 20 देशों की यात्रा पर गए थे और 2017 में उन्होंने 17 देशों की यात्रा की थी। 2015 में 13 देशों की तो 2016 में 17 देशों की यात्रा की थी। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद 2020 ही एक ऐसा साल रहा जब पीएम मोदी देश से बाहर नहीं जा पाए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2015 में सबसे ज्यादा 26 विदेश यात्राएं की थीं । विदेश यात्रा के मामले में श्री मोदी अब तक पहले स्थान पर उनके पूर्वाधिकारी डॉक्टर मनमोहन सिंह 93 विदेश यात्राओं के तीसरे स्थान पर और 68 विदेश यात्राओं के साथ देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चौथे स्थान पर रहे। इस क्रम में 48 विदेश यात्राओं के साथ अटल बिहारी वाजपेयी पांचवें स्थान पर हैं ।