प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों की ओर से संयुक्त तौर पर विश्वविद्यालय में ऑफलाइन कक्षाएँ बहाल करने और पुस्तकालय चालू करने की माँग को लेकर धरने शुरु कर दिया। छात्रों के धरने को देखते हुए प्रशासन ने आगामी 1 अक्टूबर से परास्नातक और शोध की कक्षाएँ चालू करने की नोटिस जारी कर दी है। लेकिन स्नातक की कक्षाओं के सन्दर्भ में कोई सूचना नहीं आयी है जिसकी वज़ह से छात्र अभी भी धरने पर बैठे हुए हैं।
एमए द्वितीय वर्ष के छात्र धर्मराज ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया बहुत ही निन्दनीय है। छात्रों द्वारा माँग उठाये जाने पर प्रशासन ने पूरे कैम्पस में पुलिस तैनात करके उसे छावनी में तब्दील कर दिया। फिर भी जब छात्र अपनी माँगों पर डटे रहे तो विश्वविद्यालय के चीफ़ प्रॉक्टर ने छात्रों को निष्कासित और निलम्बित करने की धमकी देना शुरु कर दिया। छात्रों के दबाव में आकर प्रशासन ने शाम होते-होते पीजी और रिसर्च की कक्षाओं के लिए तो नोटिस जारी की है। लेकिन यूजी की कक्षाओं पर प्रशासन अभी भी चुप्पी साधे हुए है और केवल मौखिक आश्वासन दे रहा है।
बीए द्वितीय वर्ष के छात्र चन्द्रप्रकाश ने कहा कि प्रशासन मौखिक आश्वासन देकर हमें बरगलाना चाहता है। इसके पहले भी कई बार ज्ञापन दिया जा चुका है, लेकिन हर बार विश्वविद्यालय प्रशासन मौखिक आश्वासन से ही सन्तोष कर लेता है। ऐसे में यह धरना तब तक जारी रहेगा जब तक कि प्रशासन स्नातक की कक्षाओं को खोलने के बारे में ठोस निर्णय नहीं ले लेता है। धरने में उपेंद्र, सत्यम कुशवाहा, हरिओम, राहुल पटेल, अम्बरीश, दिव्यांशु, आदर्श आदि शामिल हैं।